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सुरेखा सीकरी तीसरा नेशनल फिल्म अवार्ड पाने पर कहती हैं कि उनकी सेलिब्रेशन ये है कि वे दिल से खुश हैं और उनकी इस ख़ुशी में उनके प्रशंसक भी शामिल हैं!
पश्चिमी उत्तर प्रदेश की एक ऐसी पीढ़ी का बहुत ही खूबसूरत अंदाज में प्रतिनिधित्व करतीं वो अम्मा, जो पुराने रीति-रिवाज़ों के साथ-साथ एक आधुनिक विचारधारा की समर्थक भी हैं। जिनके बोल कड़वे ज़रूर हैं लेकिन उनका दिल ममता से लबालब भरा हुआ है। मिज़ाज थोड़ा रूखा है, लेकिन जब मन हो तो पूरे परिवार पर उनका प्यार सावन की तरह बरसता है – ये हैं सुरेखा सीकरी!
‘बधाई हो!’ फिल्म की वो अम्मा जो अपनी अधेड़ उम्र बहु, जो पहले से ही दो बेटों की मां है, के फिर से मां बनने की खुशखबरी सुनकर जब बोलना शुरू करती हैं, तो फिर अभिनय की दुनिया के बड़े-बड़े दिग्गज भी उनकी उस अदाकारी, बॉडी लैंग्वैज और ठेठ मेरठिया लहजे के सामने घुटने टेक देते हैं – ये डायलाग
‘बच्चा खा रा, उसे उठा रा, उसके हाथ में मेंहदी लग रखी?’ ‘अम्मा बताई तो थी कल रात’ ‘के बताई थी?’ ‘तू दादी बनण वाली है, बालक होण वाला है!’ ‘बच्चे मां-बाप का नाम रौशन करा करैं हैं, तूने तो उन्हें भी मौका न दिया! सब कैहवेंगे, वो जा रे जितेंद्र के बालक, जितेंद्र का बालक गोद में लिए! सबसे पहले तो न्यूं जानणा है मुझे, टैम कब मिल गया तुझे? चिटकनी लगाने की अरजैंट रैहवे थी! जभी मैं कहूं बहु का बदन क्यूं टूटा करै है? हां? भाग कहां रहे अब, मेरी क्यों सुनोगे? तुमने सरकार की न सुनी! रेडियो पे, टीवी पे गला दर्द कर गया सरकार का, हम दो हमारे दो चिल्लाते-चिल्लाते!’
अधेड़ उम्र बहु को मां बनने पर पानी पी-पी कर कोसती अम्मा, जब अन्य लोगों को अपनी बहु को ताने मारती देखती हैं, तो इसी बहु के बचाव की मुद्रा में आकर ईश्वर का धन्यवाद भी करती हैं कि भगवान ने उन्हें ऐसी बहु दी!
सुरेखा सीकरी का ये किरदार अपनी किस्म का एक ऐसा किरदार है जिस पर रिसर्च करने की आवश्यक्ता है! एक ऐसा किरदार जो हर घर में पाया जाता है। अभिनय सीखने वालों के लिए इस किरदार का अध्ययन करने से बेहतर कुछ नहीं हो सकता। अभिनय कला की बेमिसाल प्रस्तुती है यह। यकीनन यह सुरेखा सीकरी का जादू है। मेरे दिल से उन्हें सादर नमन!
24 दिसंबर, 2019 को 66वें नेशनल फिल्म अवॉर्ड समारोह में सुरेखा सीकरी को अपने इसी किरदार के लिए बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस के अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने उन्हें अवॉर्ड देकर सम्मानित किया । 74 साल की सुरेखा व्हीलचेयर पर अवॉर्ड लेने पहुंचीं। सुरेखा जी को स्टैंडिग ओवेशन भी दिया गया।
सुरेखा सीकरी का ये तीसरा नेशनल फिल्म अवार्ड है। इससे पहले इन्होंने तमस (1988) और माम्मो (1995) जैसी फिल्मों के लिए नैशनल अवॉर्ड जीता है।
सुरेखा जी से जब पूछा गया कि तीसरी बार नैशनल अवार्ड मिलने की खुशी में क्या आप सेलिब्रेट नहीं करेंगी? तो हंसते हुए कहती हैं कि सेलिब्रेशन तो यही है कि मैं दिल से खुश हूं। मैं अपने परिवार वालों और दोस्तों से मिल रही हूं।
बालीवुड, तुम सच में किस्मत वाले हो जो तुम्हें सुरेखा सीकरी जैसी ऐक्ट्रैस मिली। ईश्वर से उनके बेहतर स्वास्थ्य और खुशहाल जीवन की कामना करती हूं!
मूल चित्र : YouTube
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