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ये दशक विमेंस वेब के लिए कई मायनों में एक यादगार साल साबित हुआ, सबसे ज़्यादा इसलिए कि आप सब के प्यार ने हमें विमेंस वेब - हिंदी शुरू करने को प्रेरित किया।
ये दशक विमेंस वेब के लिए कई मायनों में एक यादगार साल साबित हुआ, सबसे ज़्यादा इसलिए कि आप सब के प्यार ने हमें विमेंस वेब – हिंदी शुरू करने को प्रेरित किया।
ये दशक विमेंस वेब के लिए कई मायनों में एक यादगार साल साबित हुआ, सबसे ज़्यादा इसलिए कि आप सब के प्यार ने हमें विमेंस वेब – हिंदी शुरू करने को प्रेरित किया। इस के लिए आप सबको तहे दिल से हमारा शुक्रिया!
विमेंस वेब – हिंदी के लिए ये वर्ष भी एक बेहद ही महत्वपूर्ण वर्ष रहा। इस वर्ष आप लोगों ने अपनी पोस्ट्स द्वारा बेशुमार प्यार बरसाया, तो हम आगे की ओर बढ़े! इस साल हमने सोचा क्यों ना हम आपसे साझा करें अब तक की पब्लिश्ड वे पोस्ट्स जिन्हें आपने सबसे ज़्यादा पसंद किया!
मिनाक्षी शर्मा की इस पोस्ट में जानी मानी फिल्म अभिनेत्री दिव्या दत्ता इस बार अपनी फिल्म के लिए नहीं बल्कि किसी और वजह से सुर्ख़ियों में है। अभी कुछ दिन पहले उन्होंने मशहूर कॉमेडियन कपिल शर्मा के शो में एक कविता सुनाई जिसके बाद वो वायरल हो गई हैं। ये कविता उनके भाई डॉ. राहुल दत्ता ने लिखी है जिसमें लैंगिक समानता की बात को इतने अच्छे और प्यारे भाव से रखा गया है जिसे हर किसी को सुनना चाहिए।
कमला भसीन के अपने शब्दों में, संयुक्त राष्ट्र संघ के अनुसार दुनिया की हर तीन में से एक औरत पर हिंसा होती है। यानि, सौ करोड़ औरतों पर हिंसा होती है। यह दुनिया की सब से बड़ी जंग है जो कभी बंद नहीं होती और सबसे दुःख और शर्म की बात यह है कि यह जंग सबसे ज़्यादा परिवारों के अन्दर होती है।
प्रियंका काबरा पूछती हैं, कभी सोचा है? कौन हैं वो लोग जिनके कुछ बोलने से हम इतना डरते हैं? लोग क्या कहेंगे, ये सोच-सोचकर जीवन भर हम अपनी इच्छाओं का गला घोंटते हैं। ऐसे कपड़े मत पहनना, लोग क्या कहेंगे?
विनीता धीमन कहती हैं, हम सब कभी न कभी तो बीमार हो ही जाते हैं। जब आप एक छोटी बच्ची थीं, तब बीमार होने पर आपकी माँ आपका कितना ध्यान रखती थीं। कब सोना है, कब दवाई देनी पड़ेगी और खाना-पीना सबका ख्याल माँ को था।
कमला भसीन कहती हैं, ख़ूबसूरती चेहरों में नहीं होती, वो तो दिलों से निकली ज्योति। ब्यूटी इंडस्ट्री ने ख़ूबसूरती को फ़क़त ३६-२६-३६ बता, औरतों को बार्बी डॉल सा बना दिया।
इस नारीवादी कविता में रश्मि कह रही हैं, आइये कहें, ‘आधुनिक नारी हूँ मैं! मैं द्रौपदी नहीं कि पति की दुर्बलता पर चीर हरण का शिकार बनूँ, मैं मजबूर माँ नहीं कि कन्या के जन्म पर सिर झुकाऊँ!’
कमला भसीन फिर कहती हैं, 100 करोड़ से ज़्यादा लड़कियों और महिलाओं पर हिंसा हो रही है। संयुक्त राष्ट्र संघ के अनुसार दुनिया में हर तीन में से एक औरत पर हिंसा होती है।दुनिया में 700 करोड़ से ज़्यादा लोग हैं। इनमें से आधे यानि 300 करोड़ औरतें हैं।
इस पोस्ट में कमला भसीन कह रही हैं कि मैं दो कारणों से नारीवाद को बहुवचन में लिख रही हूँ, एक तो इसलिए कि मुझे स्त्रीलिंग पुल्लिंग का न करना पड़े इस्तेमाल। दूसरा इसलिए क्योंकि मेरी नज़र में एक नहीं, अनेक हैं नारीवाद, और मेरे नारीवाद में भी है कई नारिवादों का स्वाद।
अंशु सक्सेना की आपकी इस पसंदीदा फेमिनिस्ट कहानी का एक हिस्सा है, ‘थोड़ी देर पहले ही उसने रोहित को किसी दूसरी महिला के साथ स्कूटर पर जाते देखा था। वह महिला रोहित के साथ ऐसे बैठी थी मानो वह उसकी पत्नी हो।’
आरती की यादें इस पोस्ट के ज़रिये हम सब को भी खूब अच्छी लगीं। वे कहती हैं, मैं जब ससुराल आई थी, बहुत ही सहमी-सहमी सी आई थी और जी हॉं परिवार में सबका स्वभाव समझने में भी समय लग गया। मैं ठहरी कामकाजी, तो घर और कार्यालय के बीच में तारतम्य बैठाना भी जरूरी था, क्योंकि सभी के सहयोग से ही तो ग्रहस्थी चलती है न।
तो ये तो थीं अब तक की आपकी टॉप 10 पोस्ट्स। इस पोस्ट से यह मत समझिये कि हमारी पसंदीदा पोस्ट्स की लिस्ट यहीं ख़त्म हो जाती है। ये कहना गलत नहीं होगा कि हमारे पास आपकी पब्लिश्ड पोस्ट्स का असीमित खज़ाना है। हमें आशा है कि आप यूँ ही बाकि सब पोस्ट्स पर भी अपना प्यार यूँ ही बरसाते रहेंगे।
विमेंस वेब – हिंदी, आपका है और आप से ही है!
मूल चित्र : Canva
Editor at Women’s Web, Designer, Counselor & Art Therapy Practitioner. read more...
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