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‘ये दुनिया वाले पूछेंगे’ ये गाना लोगों की सोच बखूबी ब्यान करता है

'ये दुनिया वाले पूछेंगे' पर ये कम्बख़्त दुनिया वाले भी न, कोई इनसे पूछे भला, ये दूसरों के जीवन में इतनी दिलचस्पी क्यों लेते हैं, कोई और काम नहीं इन्हें?

‘ये दुनिया वाले पूछेंगे’ पर ये कम्बख़्त दुनिया वाले भी न, कोई इनसे पूछे भला, ये दूसरों के जीवन में इतनी दिलचस्पी क्यों लेते हैं, कोई और काम नहीं इन्हें?

ये कम्बख़्त दुनिया वाले भी न पता नहीं दूसरों के जीवन में इतनी दिलचस्पी क्यों लेते हैं?

अरे भई किसी की जिंदगी!

उसका अपना फैसला!

उसकी अपनी मर्ज़ी!

उसका अपना प्यार!

उसकी अपनी राय!

और तुम कौन?

खामखां?

सच कहो तो जितनी दिलचस्पी ये दुनिया वाले दूसरों के जीवन में लेते हैं, उसकी 1% भी अपने विषय में ले लें तो इनका खुद का जीवन संवर जाए!

लेकिन ना, ये तो बस दूसरों के जीवन में तांक-झांक करेंगे! वो भी पूरे हक के साथ!

तभी तो अक्सर दो चाहने वाले इन्हीं के डर से अपने जज़्बात ज़ाहिर करने में भी घबराते हैं और डरते हैं कि यदि दुनिया वालों को पता चल गया तो न जाने कौन-कौन सी नई कहानियां बनाकर जीवन में बवाल पैदा कर दें!
अक्सर मुलाकातों का मतलब निकालना और उसमें हुई बातचीत को लेकर तरह-तरह के कयास लगाना ही दुनिया का समय बिताने के लिए किया जाने वाला सबसे मनपसंद कार्य जो है!

1969 में आई फिल्म महल के गीत ‘ये दुनिया वाले पूछेंगे!’, जो आनंद बख्शी द्वारा रचित, कल्याणजी-आनंदजी द्वारा संगीतबद्ध, और किशोर-आशा द्वारा स्वरबद्ध किया गया, में भी इसी दुनिया के डर के मारे राजेश (देवानंद) और रूपा (आशा पारेख) शर्माते, घबराते, सकुचाते अपनी मुलाकात को लेकर एक दूसरे को समझा रहे हैं कि इन दुनियावालों की नज़रों से बच कर रहना होगा।

आशा पारेख की खूबसूरत नाज़ों-अदाओं और देवानंद के चिर-परिचित रोमांटिक अंदाज़ की गर्मजोशी से भरा गीत है, ये दुनिया वाले पूछेंगे! किशोर कुमार ने इस गीत के हर शब्द को अपने भीतर उतार कर जिस तसल्ली से गाया है वह और किसी के बस की बात हो ही नहीं सकती! यही किशोर है।

पहले के गीतों मे एक किशोर हुआ करते थे और आज के गीतों में केवल शोर हुआ करता है! किशोर जब गीत गाते हैं तो मुझे नहीं लगता कि उनके स्वर के साथ फिर किसी अन्य वाद्ययंत्र की आवश्यक्ता रहती होती होगी! उनका स्वर गीत के हर भाव को श्रोताओं तक पहुंचाने में पूर्णतया सक्षम है!

इस गीत में देवानंद और आशाजी के बीच एक ऐसी कैमिस्ट्री महसूस होती है जिसे शब्दों में बयां करना कठिन है! नज़दीक के पलों में देवानंद जिस प्रकार से आशा पारेख की आँखों में झांकते हैं, वह दिल की धड़कन बढ़ाने के लिए काफी है!

उस दौर में गीतों को खूबसूरत बनाने के लिए तरह तरह के प्राप्स का इस्तेमाल किया जाता था। इस गीत में भी रंगबिरंगी खूबसूरत छतरियों का इस्तेमाल किया गया है! लेकिन खास बात यह है कि छतरियों का इस्तेमाल बाकी की फिल्मों की तरह बरसात या धूप से बचने के लिए नहीं किया गया है। अपितु दुनिया वालों के सवालों की तेज़ बौछार से बचने के लिए एक प्रतीक चिन्ह के रूप में किया गया है!

लेकिन मुझे नहीं लगता कि छाते की आड़ में छिपे इस प्रेमी जोड़े को दुनिया वाले अपने सवालों की बौछार से अछूता छोड़ देंगे! दुनिया वालों के सवालों की बौछार इस सकुचाते-शर्माते प्रेमी जोड़े को शर्म से सरोबार कर देगी! फिर भी ये दोनों इन छतरियों के पीछे छिपते छिपाते प्रेम की पींगें बढ़ाते हुए एक दूसरे को समझा रहे हैं –

“ये दुनिया वाले पूछँगे
मुलाक़ात हुई क्या बात हुई
ये बात किसी से ना कहना
ये दुनिया वाले पूछँगे!

ये बात अगर कोई पूछे
क्यों नैन तेरे झुक जाते हैं
तुम कहना इनकी आदत है
ये नैन यूँ ही शरमाते हैं
तुम लोगों से ये ना कहना
साँवरिया से लागे नैना!”

कहते हैं कि जब किसी पर प्रेम का रंग चढ़ता है तो वह दुनिया वालों को सबसे पहले नज़र आ जाता है! और यह राज़ खोलती हैं प्रेमी की आँखें जो अपने प्रियतम की छवि सबसे छिपाने के लिए खुद-ब-खुद झुक जाती हैं! बस इन्हीं झुकी नज़रों से दुनिया वाले अंदाज़ा लगा लेते हैं कि हो न हो यह प्रेम से जुड़ा मामला ही है!
चाहे फिर लाख बार आँखों के झुकने को उनकी आदत बता कर पल्ला झाड़ने की कोशिश की जाए, दुनिया हरगिज़ मानने वाली नहीं!

“मैं तो ये राज़ छुपा लूंगी
तुम कैसे दिल को सम्भालोगे
दिल क्या तुम तो दीवारों पे
मेरी तस्वीर बना लोगे
देखो ये काम नहीं करना
मुझको बदनाम नहीं करना
ये दुनिया वाले पूछँगे

ये पूछँगे वो कौन है जो
चुपके सपनों में आता है
ये पूछँगे वो कौन है जो
मेरे दिल को तड़पाता है
तुम मेरा नाम नहीं लेना
सर पे इल्ज़ाम नहीं लेना
ये दुनिया वाले पूछँगे!”

रूपा को डर है कि वह तो प्रेम का राज़ छिपा लेगी लेकिन लगता है कि निहायत ही रोमांटिक, अल्हड़, बेसब्र और बेपरवाह राजेश इस राज़ को जग जाहिर कर डालेगा और वह खामखां बदनाम हो जाएगी। वह राजेश को समझाने की कोशिश में लगी है कि मेरे सपनों में आने की बात छिपा लेना, वरना मैं यूं ही बेकार में बदनाम हो जाऊंगी!

लेकिन मेरे हिसाब से तो चाहे कुछ कर लो, कितना ही छिपा लो, दुनिया वालों को तो सब जानना है कि –

मेरे ख्वाबों में कौन आया?
आकर बाकी सबको कर गया पराया?
किसे सोचकर धड़कन रुक जाती है?
किसके ख्याल भर से आँखें झुक जाती हैं?
किसे सोचकर शर्म से लाल हो जाते गाल ये मेरे?
किसकी याद से अचानक खुल जाते बाल ये मेरे?
दुनिया को सब जानना है, और हम तो हरगिज़ बताने वाले हैं नहीं …..!

तो दुनिया वालों, दम है तो, जाओ पता लगा लो कि किससे मुलाकात हुई और मुलाकात में क्या बात हुई!

मूल चित्र : YouTube

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