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समाज में औरतों की व्यवस्था देख कर आज मेरे मन में एक ही सवाल रह रह कर आता है - कलियुग को ख़त्म करने के लिए क्या हम सबको ख़त्म होना होगा?
समाज में औरतों की व्यवस्था देख कर आज मेरे मन में एक ही सवाल रह रह कर आता है – इस युग को ख़त्म करने के लिए क्या हम सबको ख़त्म होना होगा?
कृष्ण की बांसुरी मौन है, सुन पृथ्वी पर नारी का क्रंदन! शिव का कंठ भी सूख गया जब हलाहल अबोध को लील गया! धनुष त्याग राम व्यथित हुए मारा था रावण फिर ये बाकी कौन रहे! दुर्गा का त्रिशूल शर्मसार है लौट आए जिनका था संहार किया! विष्णुचक्र सुदर्शन अचंभित है, उसकी गति, धार सब खंडित है!
मूल चित्र : Canva
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