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तनिशा गहरी सोच में थी, बस वो सोच रही थी कि ऐसा क्या हो गया था कि बहनों के इस मज़बूत रिश्ते पर समाज की दकियानुसी सोच भारी पड़ गई।
तान्या और तनिशा देहरादून में अपने मां-बाप के साथ रहती हैं। दोनों बेटियां मां-बाप की लाडली हैं। एक दूसरे से उम्र में भले ही 6 साल का फर्क था लेकिन बातों और शरारतों में दोनों एक से बढ़कर एक थीं। तान्या बड़ी थी और तनिशा छोटी। तान्या बड़ी थी इसलिए घर में सबकी लाडली थी तनिशा की भी। वो अपनी बड़ी बहन को ऐसे प्रोटेक्ट करती थी जैसे वो इसकी छोटी बहन हो। तान्या भी तनिशा की गलतियों पर उसे बड़ी बहन के नाते बचाती रही थी।
समय बड़े आराम से बीत रहा था और अब दोनों उम्र के उस पड़ाव पर पहुंच गए थे जहां अब तान्या को घर से दूर कॉलेज जाना था। थोड़ा मुश्किल था लेकिन ज़िंदगी तो चलने का ही नाम है। कुछ महीनों में आदत भी हो गई।
दोनों बहनें भले ही कई-कई दिनों एक दूसरे से मिल नहीं पाती थीं लेकिन रोज़ रात को फोन पर दिनभर की बातें शेयर किया करती थीं। छोटी से छोटी बात भी। बहनें थीं तो एक दूसरे को सब बताती थीं, अपने सपने भी और अपने डर भी। तनिशा को पता था वो कुछ गलती भी कर दे तो तान्या उसे सब से बचा लेगी और तान्या को पता था कि कुछ भी हो जाए तनिशा उसका साथ कभी नहीं छोड़ेगी।
दोनों बहने ऐसे ही कुछ किस्से अक्सर फोन पर याद करती रहती थीं। एक बार ऐसा ही किस्सा तान्या को याद आया कि कैसे एक बार वो स्कूल से ज़रा लेट हो गई थी तो 4 साल की तनिशा ने रो-रो के अपना बुरा हाल कर लिया था। तनिशा जब भी स्कूल जाती अपनी बड़ी बहन की ऊंगली नहीं छोड़ती थी। उसे एक बार स्कूल में बहुत डांट पड़ी थी लेकिन तान्या ने उसकी सारी शैतानी अपने सिर ले ली थी।
यूं ही करते करते 20 साल बीत चुके थे। तान्या अब कॉलेज पास कर चुकी थी और जॉब कर रही थी। घरवाले उसके लिए लड़का ढूंढ़ रहे थे। किसी जान पहचान में एक अच्छा रिश्ता जल्द ही मिल गया और तान्या को शादी करके विदा कर दिया गया। तान्या का ससुराल ज़्यादा दूर नहीं था इसलिए तनिशा कई बार उससे मिलने जाती रहती थी और हमेशा की तरह उसे सब बताया करती थी।
लेकिन तान्या अब बहुत कुछ छिपाने लगी थी। तनिशा ने तान्या के बर्ताव में बदलाव महसूस किया, उसे लगा शायद तान्या को उसके घर पर बार-बार आने से परेशानी है इसलिए तनिशा ने उसके ससुराल जाना कम कर दिया।
एक दिन तान्या के फोन का इंतज़ार करते हुए तनिशा को अचानक ऐसा एहसास हुआ कि कुछ गलत है। तनिशा बिना किसी को बताए वहां से निकल गई और तान्या के घर पहुंची। वहां तनिशा को जो दिखाई देता है उसके बाद उसके पैरों तले ज़मीन खिसक जाती है। तान्या को उसका पति मार रहा था। बस तनिषा को इतना ही देखना था कि उसने अपने हाथ में पास में पड़ा चाकू उठाया और सबको डराकर अपनी बहन तनिशा को लेकर वहां से चली गई, हमेशा-हमेशा के लिए।
कार में वापस जाते हुए तनिशा से अपनी बड़ी बहन की ऐसी हालत देखी नहीं गई। उसे बहुत गुस्सा आ रहा था। बचपन में सबसे उसे बचाने वाली तान्या आज खुद इतनी बेबस कैसे हो गई उसे समझ नहीं आ रहा था।
“दीदी, ये क्या कर रही थी तुम और किसके लिए?”
“तनिशा, मैंने सोचा सब ठीक हो जाएगा, बस वक्त ले रही थी।”
“वक्त ले रही थीं या मरने का इंतज़ार कर रहीं थी तुम?”
“सच में मुझे पहचान नहीं आ रहा कौन हो तुम, इतनी बार मैं तुम्हारे घर आई, अपनी हर बात बताई और तुमसे एक बार भी मुझे बताया नहीं गया कि तुम्हारे साथ ऐसा हो रहा है? याद है कि भूल गई कैसे हम बचपन में, जवानी में एक-एक बात बताया करते थे। और आज ज़िंदगी की इतनी बड़ी बात तुमने अपनी बहन से छिपाई…”
“मुझे माफ़ कर दो तनिशा, शायद मैं समाज के झूठी ज़िम्मेदारियों के ढकोसले में फंस गई थी।”
“दीदी, मुझे समाज या किसी इंसान की कोई परवाह नहीं है। मुझे तुम खुश चाहिए, भले ही इसके लिए मुझे किसी ग़लत इंसान की जान ही क्यों ना लेनी पड़ी।”
तनिशा ने तान्या के ससुराल वालों पर केस किया और लड़ा भी। अपनी बहन को हक और इंसाफ दिलाने के लिए तनिशा पूरी तरह तैयार थी। बस वो सोच रही थी कि ऐसा क्या हो गया था कि बहनों के इस मज़बूत रिश्ते पर समाज की दकियानुसी सोच भारी पड़ गई। तनिशा अपनी उसी बड़ी बहन तान्या को ढूंढने की कोशिश कर रही थी। क्योंकि ये तान्या वो नहीं थी जो उसे हिम्मत और निडर जीना सिखाती थी।
मूल चित्र : Canva
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