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आज वही दौर वापस आ गया है, पहले तुझे था मेरा इंतज़ार, आज तेरे इंतजार में मेरा ठहरा हुआ वक्त, कुछ और ठहर गया है, यह वक्त भी, गुज़र जाएगा और गुज़र जाएंगे हम भी।
सूखे दरख्त, दबी जुबां में शायद बुदबुदा रहे थे कुछ बात थी मन में, शायद कुछ समझा रहे थे, वक्त रहता नहीं, सदा यूं ही, कुछ पल मेरे पास बैठो तुम भी। यह वक्त भी, गुज़र जाएगा और गुज़र जाएंगे हम भी।
तब ये, झुर्रीयाँ, सफेदी, खुरदुरापन, याद आएगा। छूट जायेगा, कुछ, कुछ याद बन जायेगा। हाँ! हम भी रोटी और सपने की तलाश में तुझको गोद में उठा नहीं पाए। बढ़ गया कद जब मुझसे तेरा, तब जान पाये। हाय! तेरे बचपन को, गुजरते तो देख ही नहीं पाए।
आज वही दौर वापस आ गया है, पहले तुझे था मेरा इंतज़ार आज तेरे इंतजार में मेरा ठहरा हुआ वक्त, कुछ और ठहर गया है।
तुझे ज़रूरत नहीं मेरी, समझ सकता हूं मैं, मगर तेरी ज़रूरत पूरी करने को ही, तुझसे दूर रहा था मैं। नहीं ला सकता गुज़रे पल को वापस के जी सकूं तेरे संग, कुछ पल हंसी।
इल्तज़ा है मेरी, जिंदगी तू जी ले अभी, हर पल, मत बिखर, कल की तलाश में। उसे भी तो देख, बिना मांगे है जो तेरे पास में।
जो चाहता था वह मिल भी गया तो क्या? इसे पाने में जो खोया, उसका क्या? इससे पहले कि ये आज, कल बन जाय। इससे पहले कि तेरे मासूम भी तेरी नीड़ से उड़ जाये। हम तुम और वो मिले, हँसे, झूमें, जी लें इस पल को, इससे पहले कि देर हो जाये।
आज जब हम अपनी अपनी दुनिया में व्यस्त रहते हैं दुखते शरीर, कमज़ोर नज़र, दुखते घुटने, कमर के साथ ये सूखे दरख्त से हमारे बुजुर्ग कुछ सीख दे रहे हैं, चेतावनी दी है कि आज अपने बच्चों के साथ जी लो
क्योकिं कल वो भी अपना जीवन संवारने आगे निकल जाएंगे, जैसे हम निकल चुके हैं दोस्तों यही जीवन का चक्र है, जो चलता ही रहेगा बैठो कुछ पल भी उनके पास, जो दौड़ नहीं पाते आपके साथ एक हाथ से कमज़ोर होते हाथ को थामो, तो दूसरे से नन्हे हाथों को पकड़ो सफलता का मज़ा दुगना हो जाएगा, कसम से!
मूल चित्र : Canva
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