कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं?  जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!

क्या आप इन 7 भारतीय महिला क्रिकेटर्स को जानती हैं?

ये महिलाएं अपने देश का नाम रोशन कर रही हैं! आप भी, अब जितने शौक से पुरुषों का क्रिकेट देखते हैं वैसे ही महिला क्रिकेट भी देखें।

Tags:

ये महिलाएं अपने देश का नाम रोशन कर रही हैं! आप भी, अब जितने शौक से पुरुषों का क्रिकेट देखते हैं वैसे ही महिला क्रिकेट भी देखें।

भारत में क्रिकेट सबसे ज्यादा पसंद किया जाने वाला खेल है। आप और हम क्रिकेट के चहेते चेहरों से अच्छी तरह से वाकिफ़ हैं। कपिल देव से लेकर विराट कोहली तक हमने क्रिकेट को देखा है लेकिन क्या आपको अपनी महिला क्रिकेट टीम की जानकारी है? क्या आप हरसिमरन कौर, शेफाली वर्मा, ऋचा घोष को पहचानते हैं?

ICC विमेंस T20 वर्ल्ड कप 2020 के लिए टीम इंडिया का ऐलान

क्रिकेट वर्ल्ड कप को शौक से देखने वाले हम लोग शायद ही ये जानते होंगे कि हमारी महिला क्रिकेट का वर्ल्ड कप भी आने वाला है। अभी हाल फिलहाल ही ICC महिला क्रिकेट T20 वर्ल्ड कप 2020 के लिए भारतीय महिला टीम का ऐलान किया है।

भारतीय महिला क्रिकेट टीम

भारतीय महिला क्रिकेट टीम में हैं – हरमनप्रीत कौर (कप्तान), स्मृति मंधाना (उप कप्तान), शेफाली वर्मा, जेमिमा रोड्रिगेज, हरलीन देओल, दीप्ति शर्मा, वेदा कृष्णमूर्ति, ऋचा घोष, तानिया भाटिया (विकेट कीपर), पूनम यादव, राधा यादव, राजेश्वरी गायकवाड़, शिखा पांडे, पूजा वस्त्राकर, अरुंधति रेड्डी।

टीम में खेलने वाली कई महिलाए अपनी कड़ी मेहनत और जज़्बे से आगे बढ़ी हैं

इस टीम में खेलने वाली कई महिलाए अपनी कड़ी मेहनत और जज़्बे से आगे बढ़ी हैं। पुरुषों के साम्रज्य वाले इस खेल में इन महिलाओं ने कभी हार नहीं मानी और उनकी इस सफलता के पीछे किसी के पिता, किसी की माता और किसी के भाई का भी भरपूर साथ रहा।

आइये पढ़ें इनमें से कुछ की कहानी:-

ऋषा घोष, उम्र – 16 वर्ष 

पिता ने सपने को पूरा करने के लिए पूरा साथ दिया

16 साल की ऋचा घोष ने कभी भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कोई मैच नहीं खेला। लेकिन फिर भी उनकी प्रतिभा ने उन्हें ये मौका दिलाया। 16 साल की ऋचा घोष बंगाल में पैदा हुई। वो जब साढ़े चार साल की थीं तभी उन्होंने बल्ला उठा लिया था और ये फैसला कर लिया था कि वो क्रिकेटर बनेंगी। ऋचा के पिता बंगाल के अंशकालिक अंपायर थे और उन्होंने ही अपनी बेटी के सपने को पूरा करने के लिए पूरा साथ दिया।

शेफाली वर्मा, उम्र – 15 वर्ष  

क्रिकेट की ट्रेनिंग एक लड़के के रूप में लेनी शुरू की

हरियाणा के झज्जर की शेफाली ने 8 साल की उम्र में घरेलू क्रिकेट एसोसिएशन से शुरुआत की थी। एक अनोखी कहानी जो शेफाली से जुड़ी है वो ये कि उन्होंने क्रिकेट की ट्रेनिंग एक लड़के के रूप में लेनी शुरू की थी क्योंकि उनके शहर में तब लड़कियों के लिए कोई क्रिकेट एकेडमी नहीं थी। उनके पिता संजीव वर्मा ने कई जगह अपनी बेटी के लिए ट्रेनिंग कैंप में जाकर गुज़ारिश भी की लेकिन कोई मानता नहीं था। बेटी के इस जूनून को समझते हुए आखिरकार संजीव ने शेफाली को बाल काटने को कहा और उसका एडमिशन हो गया। शेफ़ाली के पिता तो साथ थे लेकिन उनके कई रिश्तेदार उनके लड़कों के साथ खेलने पर ताने देते हैं और कहते थे ये लड़की अपनी ज़िंदगी बर्बाद कर देगी। लेकिन कहते हैं ना जहां चाह वहां राह, आज वही लोग शेफाली की कामयाबी पर उसकी पीठ थपथपाते हैं।

स्मृति मंधाना, उम्र – 23 वर्ष 

अपने भाई को अपनी प्रेरणा बनाया

मुंबई की इस क्रिकेटर ने अपने भाई को अपनी प्रेरणा बनाया जब वो महाराष्ट्र अंडर 16 के प्लेयर थे। 9 साल की उम्र में स्मृति महाराष्ट्र की अंडर 15 और 11 की उम्र में उन्हें अंडर 19 की टीम  के लिए चुना गया था।

पूनम यादव, उम्र – 28 वर्ष 

उनके भाई उनके साथ मैदान जाने लगे

अर्जुन अवॉर्ड से सम्मानित खिलाड़ी पूनम यादव उत्तर प्रदेश के आगरा की हैं। क्रिकेट की दुनिया में उनका शुरुआती सफ़र थोड़ी अचड़ने भी लेकर आया लेकिन उनके मां मुन्नी देवी और पिता रघुवीर सिंह समझ चुके हैं कि क्रिकेट के प्रति बेटी का लगाव बढ़ता जा रहा है जिसे रोका नहीं जा सकता। लड़कों के साथ प्रैक्टिस करने की शिकायत पर 2-3 दिन वो मैदान नहीं जा सकीं तो उनके भाई उनके साथ मैदान जाने लगे।

हरलीन देओल, उम्र – 21 वर्ष 

मां उनकी ताकत बनकर उनके साथ खड़ी रहीं

पंजाब की हरलीन देओल अपना वर्ल्ड कप खेलेंगी। बचपन में हरलीन लड़कों के साथ गली क्रिकेट खेला करती थीं। क्योंकि लड़कों के साथ लड़कियों का इस तरह खेलना कई लोगों को पसंद नहीं आता था इसलिए कई बार पड़ोसियों ने हरलीन की परवरिश पर तरह-तरह के सवाल भी उठाए। ऐसे वक्त में हरलीन की मां उनकी ताकत बनकर उनके साथ खड़ी रहीं और बेटी को बिना किसी डर के आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती रहीं।

दीप्ति शर्मा, उम्र – 22 वर्ष 

पिता ने दिया साथ 

दीप्ति जब सिर्फ 9 साल की थी तो उनके भाई क्रिकेट की प्रैक्टिस करने जाते थे। वो भी अपने भाई के साथ स्टेडियम में बैठकर खेल को बड़े चाव से देखती थी। उस दौरान एक महिला क्रिकेटर ने दीप्ति को बॉल फेंकते हुए देखा और उससे बहुत प्रभावित हो गई। उस महिला क्रिकेटर ने दीप्ति के भाई को को कहा की अपनी बहन को क्रिकेट खिलाओ। बस फिर क्या था पिता भगवान सिंह ने बिना किसी ना नुकर के अपनी बेटी को खेलने दिया और फिर दीप्ति नहीं रुकी।

तानिया भाटिया, उम्र – 22 वर्ष  

अपने परिवार के साथ से आगे बढ़ीं 

महिला क्रिकेट टीम की विकेट कीपर चंडीगढ़ की तानिया भी अपने परिवार के साथ से आगे बढ़ती रही। उनके पिता यूनिवर्सिटी लेवल के क्रिकेट प्लेयर थे थे लेकिन बाद में बैंक की नौकरी करने लगे। इसलिए अपनी बेटी के क्रिकेटर बनने के सपने को उन्होंने समझा और भरपूर साथ दिया।

शायद आप अब तक इन्हें जानते नहीं थे लेकिन अब जान गए हैं। ये महिलाएं अपने देश का नाम रोशन कर रही हैं। आप भी अब जितने शौक से पुरुषों का क्रिकेट देखते हैं वैसे ही महिला क्रिकेट भी देखें।

नोट – महिला क्रिकेट वर्ल्ड कप 20 फरवरी, 2020 से शुरू होने वाला है।

मूल चित्र : Twitter 

विमेन्सवेब एक खुला मंच है, जो विविध विचारों को प्रकाशित करता है। इस लेख में प्रकट किये गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं जो ज़रुरी नहीं की इस मंच की सोच को प्रतिबिम्बित करते हो।यदि आपके संपूरक या भिन्न विचार हों  तो आप भी विमेन्स वेब के लिए लिख सकते हैं।

About the Author

133 Posts | 492,996 Views
All Categories