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जन्मदिन मुबारक विद्या बालन! विद्या भले ही अपना जन्मदिन मना चुकी हैं, लेकिन मैं इस महीने को उनके नाम करती हूँ और उनको एक बार फिर शुभकामनाएं देती हूँ!
सिनेमा जगत में अपना रास्ता खुद बनाने वाली हस्तियों में से एक सम्माननीय नाम है विद्या बालन! हाल ही में अपना ४0 वा जन्मदिन मनाती हुई विद्या को कई फिल्मी हस्तियों ने शुभकामनाएं देते हुए अपनी भावनाएं व्यक्त की। उन्हीं में से १ जनवरी को ट्वीट करते हुए माधुरी दीक्षित ने कहा कि विद्या की लगन और मेहनत सुनहरे पर्दे पर साफ दिखाई पड़ती है।
माधुरी दीक्षित का कथन पूरी तरह सच है। विद्या बालन का फिल्मी सफर काफी उतार चढ़ाव से भरा रहा है। १ जनवरी १९७९ को केरला में जन्मी विद्या की कर्मभूमि मुंबई रही है। सेंट जेवियर्स से पढ़कर विद्या ने मुंबई विद्यपीठ से समाजशास्त्र में एम.ए. किया। पिता श्री पी.आर बालन एक चैनल के उपाध्यक्ष हैं और मां सरस्वती एक गृहणी। विद्या से बड़ी बहन हैं जिनका नाम प्रिया है।
विद्या ने मॉडलिंग और म्यूजिक विडियोज में अपनी किस्मत आजमाई मगर असफलता ही हाथ लगी। १९९५ में टीवी सीरियल ‘हम पांच’ की विद्या हम सब को याद है।
२००३ में विद्या ने एक बंगाली फ़िल्म ‘भालो थेको’ में अपने अभिनय के जलवे दिखाए जिसे काफी सराहा गया। इसी साल विद्या ने अपनी पहली हिंदी फिल्म ‘परिणीता’ में लोलिता का किरदार निभाया और पूरे बॉलीवुड पर सशक्त अभिनेत्री के तौर पर अपनी छाप छोड़ी। इस किरदार के लिए विद्या ने फ़िल्म फेयर अवॉर्ड फॉर न्यू फेस भी जिता ।
२००३ की सफलता के बाद विद्या ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। भूल भुलैया, लगे रहो मुन्ना भाई, हे बेबी, कहानी, किस्मत कनेक्शन, पा, इश्किया, नो वन किल्ड जेसिका जैसी फिल्मों में सशक्त भूमिका निभाकर उन्होंने अपने अभिनय का लोहा मनवाया।
और, फिर वह फ़िल्म आई जिसके रिलीज के बाद विद्या पर काफी ताने कसे गए। इस छींटाकशी से बेबाक विद्या फिर भी सफलता की सीढ़ी चढ़ती चली गई। यह फ़िल्म थी, ‘द डर्टी पिक्चर’। इस फ़िल्म में विद्या ने दक्षिण भारतीय अदाकारा सिल्क स्मिता का किरदार निभाया। सिल्क की बेबाकी, उनकी गरीबी का फिल्मी जगत ने उठाया हुआ फायदा, सिल्क का अपने जिस्म से प्यार और आखिर में मायूसी में की हुई आत्महत्या। यह सारी कहानी विद्या ने सुनहरे पर्दे पर जीवित कर दी। किरदार को निभाने की कोशिश में विद्या ने इस फ़िल्म में बिकिनी भी पहनी और अपने सह कलाकारों के साथ कामुक दृश्य भी किये। फ़िल्म बहुत चली लेकिन बॉलीवुड और मीडिया ने विद्या की लगन और किरदार के प्रति ईमानदारी को अश्लीलता का नाम दिया।
विद्या को जब रजत शर्मा के ‘आप की अदालत’ में बुलाया गया तब भी उनके अभिनय को अश्लीलता का नाम देकर कई सवालों की बौछार की गई। सभी सवालों का विद्या के पास एक ही जवाब था कि बिकिनी पहनना हो, चाहे किसी कलाकार के साथ हमबिस्तर होना, सिल्क के किरदार को निभाने की कोशिश थी और उस किरदार के प्रति विद्या की ईमानदारी। विद्या ने आप की अदालत में यह भी कहा कि इस फ़िल्म का नाम ‘द डर्टी पिक्चर’ इसलिए है क्यों कि गंदगी हमारी सोच में है सिल्क में नहीं। इस फिल्म के दिग्दर्शन मिलन लूथरा से यह सवाल किसी ने नहीं पूछा।
विद्या की कुछ स्त्री प्रधान फिल्में इतनी प्रभावशाली रहीं कि लोगों के मन पर गहराई तक अपनी छाप छोड़ गई। उन में से मेरी पसंदीदा फ़िल्म है, ‘शादी के साइड इफेक्ट्स’। इस फिल्म में विद्या ने ट्रिशा का किरदार निभाया है जो फ़रहान अख़्तर की बीवी हैं और एक बच्ची कि मां। बच्ची होने के बाद एक स्त्री की मानसिकता में आनेवाला बदलाव, शरीर का बेडौल होना, पति को कम समय दे पाना और इन सभी बदलावों के चलते पति-पत्नी के सबंधों में आनेवाला तनाव विद्या ने सुनहरे पर्दे पर सजीव कर दिया है। यह फ़िल्म देखकर सिनेमा हॉल से बाहर निकल ने वाला हर पति अपने बच्चों की मां के प्रति कुछ ज्यादा संवेदनशील हुआ होगा।
ऐसी ही एक थ्रिलर फिल्म है ‘कहानी’ । इस फ़िल्म में विद्या ने एक प्रेगनेंट महिला का रोल किया है जो अपने पति की हत्या का बदला लेना चाहती है। इस बदले की प्लैनिंग वह किस बखूबी से करती है यह देखने लायक है। फ़िल्म में विद्या ने दिखाया है कि औरत अगर घर संभाल सकती है, तो ज़रूरत पड़ने पर महाकाली का रूप भी लेे सकती है।
हाल ही में रिलीज हुई फिल्म ‘मिशन मंगल’ में विद्या ने एक वैज्ञानिक की भूमिका निभाई है जिसने होम साइंस की थ्योरी को मंगल यान उड़ाने में इस्तेमाल किया। यह फ़िल्म एक सच्ची कहानी है। जब पूरी टीम हार मानने लगती है तब विद्या कि सूझबूझ और साहस पूरे टीम को फिर से जोड़ कर इतने बड़े मिशन को कामयाबी की ओर ले जाती है।
अपनी बेबाकी के चलते विद्या कई विवादों में घिरी रहीं। २००८ में शाहिद कपूर के साथ की ‘किस्मत कनेक्शन’ फ़िल्म के बाद उन्होंने कहा कि वह उस रिश्ते का हिस्सा नहीं बन सकतीं जिस रिश्ते में उन्हें उनके शरीर के वजन के चलते हमेशा नीचा दिखाया जा रहा हो। यह वक्तव्य देते हुए उन्होंने शाहिद कपूर का नाम तो नहीं लिया लेकिन विद्या के फैन्स भांप गए कि उनका इशारा किस तरफ था।
२०१४ में हुए ६६ वे कैंस फेस्टिवल में विद्या को जूरी मेंबर के तौर पर चुना गया और वहां पर विद्या ने सब्यसाची की साड़ी पहनी, साथ ही में नाक में नथ और सिर पर पल्लू भी रखा। विद्या के इस लुक को लेकर उनकी खिल्ली उड़ाई गई। लेकिन अपनी ही मस्ती में मस्त विद्या को इस निंदा से कोई फर्क नही पड़ा। बड़े ही आत्मविश्वास से उन्होंने इस लुक को सहजता के साथ निभाया।
एक और विवाद के चलते ‘आप की अदालत’ में विद्या पर रजत शर्मा ने आरोप लगाया कि उन्हें साथी कलाकार के साथ लिप लॉक करते हुए बड़ा मज़ा आता है। इस बात का खंडन करते हुए विद्या ने कहा कि वह सिर्फ उसे दिया गया किरदार ईमानदारी के साथ निभाती हैं। और अगर यह उस किरदार को चित्रित करने की ज़रूरत है तो लिप लॉक से विद्या को कोई परहेज नही।
सभी विवादों से विद्या एक सुलझी हुई नारी के रूप में बाहर निकल आईं। विद्या ने दिखा दिया कि वे एक ऊपर की तरफ बढ़ने वाली नारी हैं, जिन्हें समाज के तानों से कोई फर्क नहीं पड़ता।
मेरा मानना है विद्या बालन बॉलीवुड के लिए नारी सशक्तिकरण की सबसे सही मिसाल हैं। खुद के हुनर को साबित करने के लिए ना तो उन्होंने कभी किसी झूठी पब्लिसिटी का सहारा नहीं लिया।
स्त्रियों के हर रूप को समाज के सामने लाने की कोशिश विद्या ने बखूबी की है। फिल्म ‘पा’ में वह एक प्रोजेरिया के शिकार बच्चे की एकल मां हैं, तो ‘तुम्हारी सुलू’ में एक नाइट रेडियो जॉकी। ‘भूल भुलैया’ में एक मानसिक रोगी तो, ‘मिशन मंगल’ में एक गृहणी और सफल वैज्ञानिक। २००३ से २०१९ तक विद्या ने बॉलीवुड और हमारे समाज को नारी सशक्तिकरण का ऐसा रूप में दिखाया है जो शायद ही किसी और महिला कलाकार ने आज तक दिखाया हो।
विद्या बालन बॉलीवुड की अकेली बोटॉक्स फ्री अदाकारा हैं। अपने हुनर को उन्होंने सर्वोपरि रखा। अपने काम के आड़े ना तो उन्होंने अपने शरीर की शेप, साइज़ को आने दिया ना झूठी कॉस्मेटिक सर्जरी को।
सिद्धार्थ रॉय कपूर से शादी के बाद उन्होंने कहा कि वह उसी इंसान से शादी कर सकती थीं जो उनका शारीरिक और भावनात्मक सम्मान कर सके। बॉलीवुड एक्ट्रेसेस के ‘परफेक्ट लुक सिंड्रोम’ से विद्या बालन कहीं आगे निकल चुकी हैं। उनका काम उनका आत्मविश्वास भी है और पहचान भी। इसीलिए शारीरिक सुंदरता के दिखावे के लिए उन्हें किसी भी तरह की सर्जरी की जरूरत नहीं पड़ी।
विद्या बालन के अवॉर्ड्स की फहरिस्त बहुत बड़ी है। ६ फ़िल्म फेयर अवॉर्ड, नेशनल अवॉर्ड, ६ स्क्रीन अवॉर्ड और सबसे ऊपर है पद्मश्री। इंसान का काम बोलता है इस मुहावरे का विद्या जिता जागता उदाहरण हैं। इसके अलावा विद्या कई सामाजिक संस्थाओं से जुड़ी हैं और मानवता के प्रति अपना कर्तव्य बखूबी निभा रही हैं।
ये ना भूलते हुए कि अपने करियर की शुरुआत विद्या ने १९९० में छोटे पर्दे से की, टीवी पर उनकी पहली एड फिल्म थी सर्फ डिटर्जेंट की। फिर और भी कई विज्ञापनों में विद्या दिखाई दी जैसे कि एक्टिव व्हील, वेनस साबुन आदि। आज २०२० में विद्या जहां खड़ी हैं वहां उन्हें देखकर एक सच्चे फैन के तौर पर मेरा सिर गर्व से ऊंचा हो जाता है।
सच्ची नारी को किसी सहानुभूति की जरूरत नहीं, ना वो किसी झूठे कॉस्मेटिक सर्जरी की मोहताज है, यह विद्या ने दुनिया भर को दिखाया है। अंतरराषट्रीय स्तर पर उन्होंने दिखा दिया कि फैशन ज़ीरो फिगर और हाई हील्स ही नहीं है। फैशन वह है जो आपके चेहरे के आत्मविश्वास और आंखों की चमक में नज़र आए।
२०१४ में विद्या को पद्मश्री से नवाज़ कर भारत सरकार ने विद्या को एक सशक्त नारी के रूप में उभारा है।
विद्या बालन का जन्मदिन बीते एक हफ्ते से ऊपर हो चुका है, लेकिन जन्मदिन के इस महीने में विद्या की सच्चाई, बेबाकी और समझदारी को आप सभी वाचकों के सामने रखने से मैं रोक नहीं पाई।
जन्मदिन मुबारक विद्या बालन। आप जियो हजारों साल, साल के दिन हों पचास हजार!
नारी के इस परिपूर्ण रूप को एक नारी की ओर से सलाम!
ट्रेलर : YouTube
मूल चित्र : Youtube
I am Pragati Jitendra Bachhawat from Mumbai. Homemaker and an Indian classical vocalist. Would love to explore a new Pragati inside through words and women's web. read more...
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