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आइये एक ब्रेक लें और इस जीवन को जीवंत बनाएं!

ओस की नमी के स्पर्श से, भिगो लो अपने पाँवों को, इन्हीं पैरों से पगडंडियों पे, कुछ निशान बना लो! जीवन को अपने कुछ तो जीवन्त बना लो!

ओस की नमी के स्पर्श से, भिगो लो अपने पाँवों को, इन्हीं पैरों से पगडंडियों पे, कुछ निशान बना लो! जीवन को अपने कुछ तो जीवन्त बना लो!

जीवन को अपने कुछ तो
जीवन्त बना लो।
काजल जैसी रातों के
देखे हुए सपनों को
चम्पई भोर की सुवासित
किरणों से सजा लो।

ओस की नमी के स्पर्श से
भिगो लो अपने पाँवों को
इन्हीं पैरों से पगडंडियों पे
कुछ निशान बना लो।

किसी परिचित की स्मित पर
अपनी स्मित की लकीर खींच दो,
कुछ पेड़ों की शाखों
से पहचान बना लो।

बसंती बयारों में लहरा के
अपने विस्तृत आँचल को।
पंछियों के कलरव से
हर क्षण को उल्लास बना लो।

सांवली सी साँझ में
सजा लो अपने नीड़ को
सूरज की तपिश से
अपने चाँद को चमका लो ।

जीवन को अपने कुछ तो
जीवन्त बना लो ।

मूल चित्र : Canva

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