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दूसरों से उम्मीद अब बहुत हुयी अब खुद पे ऐतबार ज़रूरी है, अगर चाह है कि बदल जाए ये दुनिया, तो सबसे पहले ख़ुद का बदल जाना भी ज़रूरी है।
ख्वाहिशों के महल, मिलते नहीं बस सोचने से। मंजिल को पाने के लिए, चलने की ज़िद भी ज़रूरी है।
थक गए होंगे भाग्य को आज़माते आज़माते। अब ज़रा खुद को आज़माना भी ज़रूरी है।
जीना है अगर जी भरकर जीवन को ज़रा सा भी। तो फिर से बचपन में, लौट जाना भी ज़रुरी है।
अगर चाह है कि बदल जाए ये दुनिया। तो सबसे पहले ख़ुद का बदल जाना भी ज़रूरी है।
सर अपना रखना है, अगर सम्मान से ऊँचा। तो अहम् छोड़ कर थोड़ा, झुक जाना भी ज़रुरी है।
चाहते हो जो कुछ, सामने वाले से तुम। तो पहले उसे देना भी ज़रूरी है।
प्यार, नफरत या दुआ जो दोगे, वही मिलेगा। अच्छे के लिए सत्कर्मों का , व्यापार भी ज़रुरी है।
सही वक्त पर सब कुछ, तुझे भी मिलेगा। बस अपने पर तेरा, ऐतबार ज़रुरी है।
मूल चित्र : Canva
Samidha Naveen Varma Blogger | Writer | Translator | YouTuber • Postgraduate in English Literature. • Blogger at Women's Web- Hindi and MomPresso. • Professional Translator at Women's Web- Hindi. • I like to express my views on various topics read more...
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