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मेरी गुज़ारिश है आपसे, अपने ग़ैर ज़िम्मेदार लड़के की शादी करके उसकी ज़िम्मेदारी अपनी बहु पर ना डालें। ऐसा करके आप एक और परिवार की तबाही के लिए ज़िम्मेदार होंगे।
मेरी गुज़ारिश है आपसे, अपने ग़ैर ज़िम्मेदार लड़के की शादी करके उसकी ज़िम्मेदारी अपनी बहु पर ना डालें। ऐसा करने से आप एक और परिवार की तबाही के लिए ज़िम्मेदार होंगे।
हमारी भारतीय संस्कृति में शादी पवित्र बंधन है। विवाह संस्कार 16 संस्कारों में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है, लेकिन यह किसी समस्या का समाधान कैसे हो सकता है?
मिश्रा जी का 28 वर्षीय पुत्र तरूण सुंदर, मल्टीनेशनल कंपनी में कार्यरत और इनकम भी अच्छी-खासी है… दिल्ली में 3 बैडरूम फ्लैट भी है। लेकिन अच्छी जॉब होने के साथ तरूण के अच्छे खासे शौक भी हैं, जैसे रात को देर रात तक पार्टी, मोबाइल पर फिल्में देखना और दारू पीना और कभी कभी सिगरेट पीना।
आजकल ये शौक तो सभी लड़को में मिल जाते है। तरूण के माता-पिता को भी इसके बारे में सब पता था। वो अपने बेटे को इन व्यसन से बचाना चाहते थे, लेकिन उनके लाख मना करने के बाद भी तरूण उनकी एक बात नहीं सुनता था। उसे पता था कि इकलौता बेटा होने के कारण उसके माता-पिता उसके साथ कोई सख्ती नहीं कर सकते थे। और वो इस बात का पूरा फायदा उठा रहा था।
उनके मिलने-जुलने वाले सभी लोगों को भी इस बात का पता था कि तरूण अच्छी जॉब के साथ गलत संगत का आदी है, तो सभी उसके माता पिता को यही सलाह देते थे कि आप इसकी शादी कर दो, सुधर जाएगा। उसके माता-पिता को यह सलाह पसन्द आईं और लगे फिर अच्छी लड़की ढूंढने, जो उनके पुत्र को संभाल सके और उनकी परेशानी को दूर कर सके।
काफी रिश्ते आए और एक सुंदर, सुशील लड़की से उसकी शादी कर दी गई। शादी के कुछ दिनों तक तो सही रहा लेकिन फिर तरूण ने अपना असली रूप दिखाना शुरू कर दिया। ये मीरा के लिए बिल्कुल नया था, अब रोज रात को पीना और फिर अपनी वाइफ के साथ ज़बरदस्ती करना।
मीरा ने अपने सास-ससुर को भी बताया। तो उनका कहना था, “अब तुम देखो, पहले तो कम पीता था लेकिन तुम्हारे आने के बाद तो यह बिल्कुल बदल गया है, अब तुम ही संभालो इसे। हमने तो सोचा था कि शादी हो जायेगी, बीवी मिल जाएगी तो सुधर जाएगा। अब तरूण को तुम ही सुधारो।”
फिर तो रोज पति पत्नी के झगड़े होने लगे। सास-ससुर भी मीरा को ही सुनाते थे, “तुम्हारे आने के बाद हमारा बच्चा बिगड़ गया है, हमारी कोई बात नही सुनता। तुमने ही ढील दे रखी है। तुम इसके साथ थोड़ा गुस्से से पेश आओ तो शायद यह सुधर जाए।”
मीरा ने भी काफी कोशिश की लेकिन उसका कोई फायदा नहीं हुआ। तरूण अब तो उसके साथ मार-पीट भी करने लगा। उसके सुधरने के कोई आसार नहीं थे। मीरा की हिम्मत भी अब जवाब देने लगी। अंत में मीरा ने अपने परिवाजनों को इस बारे में बताया और उन्होंने मीरा और तरूण का तलाक करवा दिया। अब मीरा दुबारा से अपनी ज़िंदगी नए तरीके से शुरू करने के लिए खुद को तैयार कर रही है।
हमारे समाज में आज भी ऐसे कई उदाहरण है जहां यह देखने को मिल जाता है कि ‘बिगड़ैल लड़कों की शादी कर दो तो वो सुधर जाएंगे’, लेकिन ऐसा नहीं होता। जो लड़का अपने माता-पिता के कहने से नहीं सुधरा उसे एक अनजान लड़की कैसे सुधार सकती है? और विवाह किसी को बिगाड़ने और सुधारने का प्रयास कैसे कर सकता है? किसी का चरित्र निर्माण कैसे के सकता है? ये बात विचार करने योग्य हैं।
आप सब का क्या कहना है इस बारे में?
मूल चित्र : Pexels
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