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क्या सब उस छठे आरोपी, जो अब नाबालिग नहीं रहा, के अगले अपराध का इन्तज़ार कर रहे हैं? फिर उसके बाद ही उसे सजा देंगे? यही न्याय है क्या?
2020 की जनवरी माह की 22 तारिख का इन्तज़ार केवल निर्भया के परिवार को नहीं, सारे हिन्दुस्तान को था, पर अब निर्भया केस में नया मोड़ आया है : नया डेथ वॉरंट जारी हुआ है, अब 1 फरवरी 2020 को, फांसी पर लटकाए जाएंगे चारों गुनहगार।
निर्भया के दोषी मुकेश की दया याचिका गृह मंत्रालय ने, गुरुवार रात राष्ट्रपति को भेजी थी जिसे आज, शुक्रवार को राष्ट्रपति ने खारिज कर दिया है। सूत्रों का कहना है कि गृह मंत्रालय ने राष्ट्रपति से इस याचिका को खारिज कर मौत की सज़ा बरकरार रखने की सिफारिश की थी। माननीय राष्ट्रपति ने मुकेश की दया याचिका खारिज कर दी है।
इसके बाद दिल्ली की पटिलाया हाउस कोर्ट ने आज नया डेथ वारंट जारी कर दिया। अब सभी दोषियों को 1 फरवरी 2020 को सुबह 6 बजे फांसी दी जाएगी।
करीब सात साल पहले 16 दिसंबर, 2012 की रात को दिल्ली में निर्भया से गैंगरेप हुआ था, दोषियों ने उनके साथ दरिंदों जैसा व्यवहार किया था, चलती बस में उनके साथ बर्बरता हुई थी इसके चलते उन्हें लगभग अधमरी हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया था। कुछ दिन के इलाज के बाद निर्भया की मौत हो गई थी।
इसके खिलाफ देशभर में जबर्दस्त गुस्सा देखा गया था। सरकार ने इस घटना के बाद, तनाव और दबाव के चलते दुष्कर्म से जुड़े कानून को सख्त बनाया था।
6 आरोपी निर्भया के साथ छह आरोपियों ने बलात्कार किया था। पूरे 6 आरोपी गिरफ्तार हुए थे जिनमें से एक ने खुद को फांसी लगा कर आत्महत्या कर ली थी। बाकी 4 आरोपियों को 1 फरवरी 2020 को फांसी होगी। यह तो 5 हुए, फिर छठवां कौन था?
निर्भया कांड का जब-जब जिक्र होगा, तब-तब लोग उस नाबालिग दुष्कर्मी को सब याद करेंगे, जिसने निर्भया के साथ सबसे ज्यादा दरिंदगी की थी। आज वह लगभग 24 साल का हो गया है। गांव वालों को भी नहीं पता नहीं कि वह अब कहां है?
दिसंबर माह मे सन 2016 में उसे रिहा कर दिया गया था, और एक एनजीओ को सौंप दिया गया था, उसके बाद से वह कहां है कोई नहीं जानता ? उसके गांव के प्रधान आचार्य कहते हैं कि, उसे भी फांसी दो। वह भी उतना ही कसूरवार है जितने बाकी।
तथाकथित नाबालिग को सिलाई मशीन और ₹10000 देकर नए जीवन के तरफ अग्रसर कर दिया क्या? किसी ने खोज खबर ली कि ऐसी विकृत और विक्षिप्त मानसिकता वाला वह आरोपी कहां घूम रहा है? क्या कर रहा है? क्या सच में उसने एक सामान्य जीवन को अपना लिया? या वापस किसी मासूम लड़की को शिकार बनाने भटक रहा है?
पिछले 7 सालों से निर्भया के गुनहगारों को फांसी के फंदे में, नहीं लटकाया गया। मानव अधिकार आरोपियों के लिए ही बने हैं क्या? हर बार मानवाधिकार का हवाला देकर और क़ानूनी प्रक्रिया से वो बच रहे थे, पर हमारे मानवाधिकार का क्या?
इसी पर अदालत ने लताड़ लगाते हुए कहा कि सरकार और जेल प्रशासन ने एक ऐसी ‘कैंसर ग्रस्त व्यवस्था’ की रचना की है जिसका फायदा मौत की सजा पाए अपराधी उठाने में लगे हैं।
हम सभी हिंदुस्तानी 22 तारीख का इंतजार कर रहे थे, जिसे अब 1 फरवरी 2020 कर दिया गया है । क्या 1 फरवरी को निर्भया को पूरा न्याय मिल जाएगा? आज मेरा भी एक प्रश्न है जब निर्भया कांड में आरोपी की संख्या 6 थी तो, केवल 5 को दंडित कर हमने कौन सी जीत हासिल कर ली?
क्या उस छठवे आरोपी( जो अब नाबालिग नहीं रहा) के अगले अपराध का इन्तज़ार कर रहे हैं, फिर उसके बाद ही सजा देंगे।यही न्याय है क्या?
सच मे न्याय व्यवस्था कितनी खोखली और अंधी है।
मूल चित्र : Canva
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