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भारत की पहली नेत्रहीन आईएएस ऑफ़िसर के तौर पर, प्रांजल पाटिल महिलाओं के लिए एक प्रेरणा हैं। यह है उनके आगे बढ़ने और आसमाँ को छूने की कहानी!
अनुवाद : मानवी वाहने
चुनौतियों का सामना करना मुश्किल होता है, वे हमारा हौसला कम करती हैं और हम ज़िंदगी से अलग होने लगते हैं। हममें से कई लोग उन चुनौतियों के डर से ज़िंदगी से दूर भागते हैं जिनका सामना हमें मानसिक और शारीरिक रूप से करना पड़ सकता है।
मुझे नहीं लगता कि ऐसी कोई भी चुनौती उस व्यक्ति के लिए मुश्किल है जो भीतर से मज़बूत है और जिसके पास यह हौसला है कि वह हर बार चुनौती को पार कर जाए।
प्रांजल पाटिल के विषय में पढ़कर वाकई मेरा दिन बन गया। वे देश की पहली नेत्रहीन महिला आईएएस ऑफ़िसर हैं। और उन्होंने कुछ महीने पहले तिरुवनन्तपुरम की सब-कलेक्टर के तौर पर ज़िम्मा सम्भाला।
हम में से कई खुद को स्त्री होने के कारण कोसते हैं या उन हालात को ज़िम्मेदार ठहराते हैं, जिनके कारण हम बस हाउस वाइफ बनकर रह गयीं। और शायद अपना दुखड़ा भी रोते हैं कि स्त्री होने की सभी मुश्किलों के साथ एक कामकाजी पत्नी के काम कभी ख़त्म ही नहीं होते!
प्रांजल की कहानी ने मेरे दिल को तुरंत छू लिया क्योंकि इतनी चुनौतियों का सामना करने के बाद भी सफल होने के लिए उन्होंने हौसला बनाए रखा।
“हमें कभी हार नहीं माननी चाहिए क्योंकि अपनी कोशिशों से हम सभी वह मुक़ाम हासिल कर सकते हैं जो हम करना चाहते हैं।”- केरल की 30 वर्षीय ऑफ़िसर प्रांजल ने कहा।
मज़बूत इरादों वाली यह स्त्री, प्रांजल महाराष्ट्र के उल्हासनगर से हैं और उन्होंने अपनी आँखें 6 साल की उम्र में ही खो दी। पर उन्होंने कभी उम्मीद नहीं छोड़ी और पोलिटिकल साइंस में ग्रैजूएशन के साथ ही जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी से इंटर्नैशनल रिलेशन्स में मास्टर की पढ़ाई पूरी की।
रिपोर्ट्स के मुताबिक़, 2016 में सिविल सर्विसेज़ की परीक्षा में उत्तीर्ण होने के बाद भी इंडियन रेलवे अकाउंट्स सर्विसेज़ में उन्हें अपॉइंट्मेंट देने से मना कर दिया गया।
लेकिन वे सिविल सर्विसेज़ की परीक्षा में पुनः उत्तीर्ण होने के अपने सपने को पूरा करने के लिए दृढ़ निश्चित थी। वे अपने दृढ़ निश्चिय में इतनी मज़बूत थीं कि उन्होंने अपने द्वितीय प्रयास में अपनी रैंकिंग सुधार ली।
2016 में उन्होंने UPSC परीक्षा में उत्तीर्ण होने के साथ 773 रैंक प्राप्त की थी लेकिन अगले ही वर्ष उन्होंने 124 रैंक हासिल की।
अपनी ट्रेनिंग अवधि के दौरान प्रांजल की नियुक्ति एर्नाकुलम के असिस्टेंट कलेक्टर के पद पर हुई थी।
इस तरह से प्रांजल सभी स्त्रियों को मार्ग में आने वाली चुनौतियों में भी मज़बूत बने रहने का और सुखद अंत पर विश्वास करने का संदेश देती हैं !
मूल चित्र : YouTube
Professor by profession, gypsy soul, loves everything ethnic, believes in love, compassionate epicurean and a smart foodie ❤️ read more...
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