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प्रेगनेंसी अमेंडमेंट बिल 2020 : गर्भपात संबंधी नियमों में एक बदलाव

इस विधेयक के तहत गर्भपात की अधिकतम सीमा 20 हफ्ते से बढ़कर 24 हफ्ते कर दी गई है। अब महिलायें प्रेगनेंसी के 24वें हफ्ते में भी वैद्य गर्भपात करा सकेंगी। 

इस विधेयक के तहत गर्भपात की अधिकतम सीमा 20 हफ्ते से बढ़कर 24 हफ्ते कर दी गई है। अब महिलायें प्रेगनेंसी के 24वें हफ्ते में भी वैद्य गर्भपात करा सकेंगी। 

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी बिल में संशोधन को मंजूरी दी

एक स्वस्थ भारत के निर्माण के लिए बहुत ज़रूरी है उसके राष्ट्र के सारे नागरिक स्वस्थ हों। ऐसे ही स्वस्थ भविष्य की कामना करते हुए केंद्रीय मंत्रिमंडल ने टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी बिल में थोड़े बहुत बदलाव किए हैं।

केंद्रीय कैबिनेट ने 29 जनवरी 2020 को संशोधित गर्भपात विधेयक (Medical Termination of Pregnancy Amendment Bill-2020) को मंज़ूरी दे दी गई है, इस मंज़ूरी के साथ ही मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट, 1971 के संशोधन का रास्ता भी साफ हो गया है।

अब इस बिल को संसद के आगामी सत्र में पेश किया जाएगा, जो 01 फरवरी 2020 से शुरू होगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई।

इस बिल का मुख्य उद्देश्य हेतु गर्भपात अधिनियम (मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी एक्ट) 1971 में संशोधन किया जायेगा। हालांकि अभी इस विधेयक को कानून बनने हेतु लंबा रास्‍ता तय करना होगा। इस विधेयक को कई पहलू पर गौर करना होगा, कहीं कोई इस कानून का गलत फायदा ना उठा ले। बहुत ज़रूरी हो तभी इस कानून का इस्तेमाल किया जाए।

औरतों के हक में आया एक और कानूनी बदलाव

दुनिया में भगवान के अलावा एक स्त्री जीवन का सृजन करती है, लेकिन यही सृजन उसके जीवन का अंत या बंधन बन जाए तो क्या उसे ये अधिकार नहीं मिलना चाहिए कि वह अपनी प्रेगनेंसी को वैध तरीके से टर्मिनेट कर सके?

वैसे तो मां बनने का सुख दुनिया के सारे सुखों से बढ़ कर है, मगर मां बनने की भी कई शर्ते हैं। मां को बच्चा पैदा करने के लिए शारीरिक और मानसिक रूप से तैयार होनी चाहिए। किसी दबाव के साथ माँ बनना काफ़ी तकलीफ दायक हो सकता है। इसके अलावा यदि गर्भावस्था की शुरुआत में पता चल जाए कि होने वाला  बच्चा विकलांग है, तो यह जानते हुए किसी मां को मजबूर नहीं किया जा सकता कि उसे यह बच्चा पैदा करना ही होगा।

दुष्कर्म की शिकार लड़की की व्यथा

पीड़िता जिसका रेप हुआ हो, जिसको याद तक कर सिहर जाते हैं, अगर उस रेप से वह गर्भवती हो जाती है, तो उसे पूरा अधिकार मिलना चाहिए की वह इस जबर्दस्ती की प्रेग्नेंसी को टर्मिनेट कर सके।

विकलांग भ्रूण 

यदि गर्भ में ही सोनोग्राफी के द्वारा पता चल जाए की भ्रुण में कोई विकार है, उसका विकास पूरा नहीं वो पा रहा है या बच्चा विकलांग हो सकता है, तब गर्भवती को पूरा अधिकार होना चाहिए कि वह इस प्रेगनेंसी को टर्मिनेट कर दे।

सार्थक उद्देश्य

महिलाओं के लिए सही इलाज, साथ ही मानवीय या सामाजिक आधार पर सुरक्षित तथा वैध गर्भपात सेवाओं का विस्तार करने के लिए गर्भपात (संशोधन) विधेयक, 2020 लाया जा रहा है।

महिलाओं की सुरक्षा और सेहत की दिशा में उठाया गया ठोस कदम

केंद्र सरकार का कहना है, कि यह महिलाओं की सुरक्षा और सेहत की दिशा में उठाया गया ठोस कदम है। इससे बहुत महिलाओं को लाभ मिलेगा। उनका स्वास्थ सुधरेगा मनोबल बड़ी बढ़ेगा, समाजिक स्तर में सुधार होगा।

विधेयक के मुख्य बिंदु 

  • इस विधेयक के तहत गर्भपात की अधिकतम सीमा 20 हफ्ते से बढ़कर 24 हफ्ते कर दी गई है।
  • इस विधेयक के तहत अब महिलायें प्रेगनेंसी के 24वें हफ्ते में भी वैध गर्भपात करा सकेंगी। 
  • इसके लिए दो डॉक्टरों की अनुमति लेनी होगी जिसमें से एक डॉक्टर सरकारी होगा।
  • विशेष तरह की महिलाओं के गर्भपात (अबॉर्शन) के लिए गर्भावस्था की सीमा 20 से बढ़ाकर 24 सप्ताह करने का प्रस्ताव है, ऐसी महिलाओं की गर्भावस्था को (एमटीपी) नियमों में संशोधन के जरिए परिभाषित किया जाएगा।
  • इनमें दुष्कर्म पीड़ित, सगे-संबंधियों के साथ यौन संपर्क की पीड़ित तथा अन्य महिलाएं (दिव्यांग महिलाएं, नाबालिग) भी शामिल होंगी।
  • संशोधन विधेयक के तहत, मेडिकल बोर्ड की जांच में मिली भ्रूण संबंधी विषमताओं (कोई विकार) के मामले में गर्भावस्था की पहले वाली सीमा(20 हफ्ते) लागू नहीं होगी। परिस्थिति के हिसाब से यह सीमा बढ़ा दी जाएगी।
  • मेडिकल बोर्ड के संगठक (दल), कार्य और अन्य विवरण, कानून के नियमों के अंतर्गत ही निर्धारित किए जाएंगे।
  • इस संशोधन में कहा गया है कि जिस महिला का गर्भपात कराया जाना है, उसका नाम और अन्य जानकारियां किसी खास व्यक्ति के अतिरिक्त किसी और को नहीं दी जाएंगी।

कई याचिकाएं 

हाल के दिनों में न्यायालयों में कई याचिकाएं दी गईं जिनमें भ्रूण संबंधी विषमताओं या महिलाओं के साथ यौन हिंसा के कारण से गर्भधारण के आधार पर मौजूदा स्वीकृत सीमा(20 हफ्ते) से अधिक गर्भावस्था( 24 हफ्ते) की अवधि पर गर्भपात कराने की अनुमति मांगी गई। इतनी सारी याचिका को ध्यान में रखकर इस संशोधन को तैयार किया गया है।

बेहद प्रभावशाली संशोधन 

देश की महिलाओं की शारीरिक और मानसिक परेशानियों को हल करने के लिए बहुत ही प्रभावशाली कदम उठाया जा रहा है जिसमें स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने महिलाओं को सुरक्षित गर्भपात सेवाएं उपलब्ध कराने और उनके  स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए विभिन्न मंत्रालयों के साथ विस्तृत विचार-विमर्श के बाद गर्भपात कानून में संशोधन का प्रस्ताव जारी किया है।

हम सभी भारतीय महिलाएं इस संशोधन का स्वागत करती हैं, इस अधिकार के साथ छुपे हुए हमारे कर्तव्य के प्रति भी सचेत रहने का पूरी निष्ठा से वादा करती हैं।

महिला होने के नाते हम यह सुनिश्चित करने की कोशिश करेंगे कि इस संशोधन का इस्तेमाल लोग लिंग परीक्षण कर प्रेगनेंसी टर्मिनेट करने में ना करें।

मूल चित्र : Canva 

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