कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं?  जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!

सिर्फ ‘बाहर वालों’ को ही सज़ा क्यों मिलती है?

सबने बड़े आराम से कह दिया, “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ”, पर कौन बचाए हमें उससे, जो हिफाज़त और प्यार के नाम पर, रूढ़िवाद की फॉंसी चढ़ा दे?

सबने बड़े आराम से कह दिया, “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ”, पर कौन बचाए हमें उससे, जो हिफाज़त और प्यार के नाम पर, रूढ़िवाद की फॉंसी चढ़ा दे?

अपनी मूँछ
ऊँची रखने के चक्कर में,
अपनी औलाद की खुशियॉं
बेचने में कोई ऐतराज़ नहीं….
पर खबरों में
लड़की के साथ हुई दरिंदगी पर
उदास हो जाते हैं।

छाती ठोक कर कहते हो,
“हमारे घर की लड़कियॉं हमारी शान है!”
तो अपनी शान को
कौन
अचानक से किसी गैर के हाथ थमा देता है?

सीना तान कर कहते हो,
“मेरी बेटी मेरी जान है!”
तो कौन जान की
जान लेता है,
जब वो अपने सच्चे प्यार से ब्याह रचाना चाहती है?

सबने बड़े आराम से कह दिया,
“बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ”
पर कौन बचाए हमें
उससे
जो हिफाज़त और प्यार के नाम पर
रूढ़िवाद की फॉंसी चढ़ा दे?

किसी ने ठीक ही कहा है….
लड़कियाँ आजकल
न बाहर
और न ही घर में सुरक्षित हैं।

बाहर हैवानोें का खतरा होता है,
और घर में…
अपने कहलाने वालों की
कट्टर सोच का…

मूल चित्र : Canva 

विमेन्सवेब एक खुला मंच है, जो विविध विचारों को प्रकाशित करता है। इस लेख में प्रकट किये गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं जो ज़रुरी नहीं की इस मंच की सोच को प्रतिबिम्बित करते हो।यदि आपके संपूरक या भिन्न विचार हों  तो आप भी विमेन्स वेब के लिए लिख सकते हैं।

About the Author

1 Posts | 1,486 Views
All Categories