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दोस्तों एक तरफ जहां वर्तमान में हम आसमान छूने की बात करते हैं, वहीं दूसरी ओर वर्जिनिटी का मुद्दा आए दिन अखबारों और समाचारों में देखा और पढ़ा करते हैं।
मुझे समझ नहीं आता कि औरतों को ‘सीलबंद’ कहकर ये समाज अपनी किस तरह की मानसिकता दिखाता है? क्या आप जानते हैं आखिर वर्जिनिटी है क्या? और ये सवाल हमेशा लड़कियों पर ही क्यों उठाया जाता है? लड़कियों की वर्जिनिटी को लेकर गंदे-गंदे कमेंट करना आखिर कहाँ तक उचित है।
एक-दो सेंटीमीटर की कोई नाज़ुक सी झिल्ली, लड़कियों के पूरे अस्तित्व की पहचान होती है! यह बात सुनने में कितनी अजीब है ना, लेकिन अफसोस की बात ये है कि हमारे समाज में आधी से ज़्यादा लड़कियों के चरित्र का प्रमाण होती है ये पतली झिल्ली। आइये आपको बताते हैं इस नाजुक झिल्ली के बारे में प्रमुख बातें:
एक झिल्ली होती है, जिसे हम विज्ञान की भाषा में ‘हाइमन’ कहते हैं। अब जब हम बात हाइमन की कर रहे हैं तो आपको बता दें कि ज़्यादातर लड़कियों की योनि में जन्म से ही एक गुलाबी झिल्ली होती है। हमारे समाज के लोगों का मानना है कि अगर किसी लड़की का हाइमन ब्रेक अर्थात फट चुका है तो इसका अर्थ है कि उसके यौन संबंध बन चुके हैं और उस लड़की कीवर्जिनिटी खत्म हो चुकी है, जिसे हम कहते है कौमार्य भंग हो जाना। और ये बताते हुए आज मुझे काफी दुःख हो रहा है कि भारतीय समाज में हाइमन का फटना आज भी न सिर्फ बेहद शर्मनाक माना जाता है बल्कि यह लगभग अस्वीकार्य ही है।
हमारे समाज में लड़के और लड़कियों को बराबर का दर्ज़ा दिया जाता है, तो सिर्फ लड़कियों से ही क्योंवर्जिनिटी का सवाल पूछा जाता है? लड़कों से क्यों नहीं? एक तरफ समाज ये मनाता है कि लड़के और लड़की में कोई अंतर नहीं, फिर इतना बड़ा फर्क कैसे कर सकता है हमारा ये समाज? आपको ये जानना बेहद ज़रूरी है कि लड़के भी वर्जिनिटी खोते हैं। और वो अपनी वर्जिनिटी सिर्फ और सिर्फ सेक्स के दौरान ही खोते हैं जबकि लड़कियां हैवी एक्सरसाइज, साइकिलिंग और अन्य फिसिकल एक्टिविटी के चलते अपनी वर्जिनिटी खोती हैं।
हमारे समाज को ये समझना बेहद ज़रूरी है कि सेक्स और वर्जिनिटी दो अलग-अलग चीज़ें हैं। वर्जिन होने का मतलब सेक्स से बिलकुल नहीं है। आजकल साइंस के ज़माने में लोग इस तरह की बातें करते हैं तो आश्चर्य भी होता है और समाज की प्रगति पर एक सवाल भी उठता है। साइंस में वर्जिन शब्द कहीं नहीं है। ये हमारे समाज द्वारा बनाया गया शब्द है। जिसे हमारे समाज की लड़कियों का एक चरित्र प्रमाण पत्र बना दिया गया है।
हमारे समाज के लोगो को वर्जिनिटी को लेकर अपनी सोच बदलनी चाहिए, समाज की स्त्रियों को सम्मान देना चाहिए न कि बार बार ये मुद्दा उठाया जाना चाहिए। पुरुषों को समझना चाहिए कि जिन स्त्रियों को वो बदनाम कर रे हैं उन्ही में से किसी एक की कोख से उन्होंने जन्म लिया है।
दोस्तों वर्जिनिटी के बारे में अपनी राय बदले, लड़कियों से अगर कोई भी उसकी वर्जिनिटी का सर्टिफिकेट मांगे तो पहले अपने वर्जिन होने का प्रमाण पत्र दे। महिलाओं को सम्मान दें और अपनी सोच बदलें। महिलाओं के विकास में अपना सहयोग दें न कि उनका चरित्र हनन करें।
मूल चित्र : Canva
Shailja is a writer,blogger & a content curator by profession. A editor in collaboration with India Imagine. In her Free time she loves to chat with her friends and learn new things. She thinks that read more...
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