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हज़ारों आवाज़ों को अनसुना कर के, क्या हमें इस तरह के व्यक्ति को आमंत्रित करना चाहिए जो महिलाों और अन्य समूहों के खिलाफ इतनी अभद्र टिप्पणी करता है?
राष्ट्रपति पद का कार्यभार संभालने के बाद राष्ट्रपति बोलसोनारो की यह पहली भारत यात्रा होगी। उनके साथ सात मंत्री, शीर्ष अधिकारी और एक बड़ाबिज़नस डेलीगेशन भी आयेगा।
ब्राज़ील के राष्ट्रपति बोलसोनारो पहले सेना में थे, उसके बाद उन्होंने राजनीति में प्रवेश किया और 1 जनवरी 2019 को ब्राज़ील के राष्ट्रपति बन गए। ब्राज़ील की पूर्व सैन्य व्यवस्था द्वारा किए जाने वाले यातना के इस्तेमाल को खुला समर्थन देने, महिला द्वेषी, नस्ली और समलैंगिकों के प्रति पूर्वाग्रह रखने वाला बयान देने के लिए उन्हें लोगों की काफी आलोचना झेलनी पड़ी।
बावजूद इसके बोलसोनारो भ्रष्टाचार, अपराध और अर्थव्यवस्था की खस्ता हालत के खिलाफ मतदाताओं के आक्रोश को अपने पक्ष में करने में कामयाब रहे, और राष्ट्रपति की गद्दी हासिल कर ली
26 जनवरी 20 20 हमारा गणतंत्र दिवस बहुत ही धूम से मनाया जाएगा। हमारे लिए यह एक राष्ट्रीय त्योहार है। इस पवित्र दिन ही हमारे देश के संविधान को लागू किया गया था।
इस बार गणतंत्र दिवस पर ब्राज़ील के राष्ट्रपति को आमंत्रण दिया गया है और वह 4 दिन भारत में मेहमान नवाजी करेंगे। मेरा प्रश्न है कि क्या इस दिन इस तरह के नेता को बुलाया जाना चाहिए जिसने महिलाओं के विरोध में बयान दिए हो या एक वो खुद एक तानाशाह के रूप में जाना जाता हो?
वैसे तो हम कोई नहीं होते राष्ट्रपति बोलसोनारो के चरित्र का आकलन करने वाले, लेकिन उनके इस बयान से बिल्कुल स्पष्ट हो जाएगा, जो उन्होंने 2014 मैं एक महिला सांसद के लिए दिया कि, मैं इस तरह की महिला का रेप नहीं कर सकता। यदि मैं रेपिस्ट भी होता तब भी इस महिला का रेप नहीं कर सकता क्योंकि यह मेरी टाइप की नहीं है।
इनकी मानसिकता का परिचय देने के लिए यह वाक्य पर्याप्त है और एसे किसी व्यक्ति को अपने देश बुलाकर उन्हें सम्मानित नहीं करना चाहिए।
हमें ये तो पता चल चूका है कि बोलसोनारो एक संवेदनहीन व्यक्ति हैं। उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा कि अगर उनका बेटागे होता तो वे उसे प्यार नहीं कर पाते और चाहते कि वह कार एक्सीडेंट में मर जाए। अब ऐसा ब्यान देते व्यक्ति के बारे में कुछ और बोलने की संभावना ही कहाँ है?
उनके विरोधी उन्हें तानाशाही के उपासक कहते हैं। उनकी अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के साथ तुलना की जाती है।
अक्सर नक्सली टिप्पणियां करते हैं महिला विरोधी बयान दे जाते हैं। इस तरह के विवादास्पद बयान के कारण उनको ट्रोल किया जाता है। मगर हमें लगता है कि इन सब के बावजूद इन पर कोई असर नहीं हो रहा है।
भारत में स्त्रियां जिन हालात से गुजर रही हैं, वह किसी से छिपे नहीं है। यहां पर प्रतिदिन कई बेटियों का बलात्कार और उसके बाद नृशंस हत्या की जा रही है, सारे देश में इसके विरोध में आवाज़ उठाई जा रही है। ऐसे में बोल्सोनारो जैसे मंत्री का यहां आना और वो भी गणतंत्र दिवस जैसे अवसर पर आपत्तिजनक है।
मुझे बचपन से सिखाया गया है कि मेरे दोस्तों से मेरे चरित्र का पता चलता है। उस तथ्य से बोल्सोनारो का भारत में आना भी ठीक ओर इशारा नहीं करता। पहले से ही हमारे लोग खासकर मंत्री देश की बेटियों और औरतों के विरुद्ध गलत-सलत ब्यान देते फिरते हैं। उस पर बोल्सोनारो जैसे एक और मंत्री का, जो उन्ही मंत्रियों की भाषा में बात करता हो, मेहमान बन कर इस देश में आना कितना ठीक है?
ऐसा इंसान हमारे भटके हुए नौजवानों को क्या सीख देगा? उन नौजवानों को तो अपने गलत विचारों पर एक प्रभावशाली व्यक्तित्व की मुहर लगती दिखेगी और वे अपने भटके हुए पथ पर और तेज़ी से चलेंगे। ऐसे नौजवानों के बीच किसका वर्तमान और किसका भविष्य सुरक्षित रहेगा?
मुझे इस समय अपने कानों में उन तमाम लोगों के नारे सुनाई के रहे हैं जो इन अभद्र चरित्रों के खिलाफ एक जंग लड़ रहे हैं।
मेरा सवाल है कि क्या उन आवाज़ों को अनसुना कर के, हमें इस तरह के व्यक्ति को आमंत्रित करना चाहिए जो महिलाों के खिलाफ इतनी अभद्र टिप्पणी करता है और खुलेआम बलात्कार जैसे शब्दों का प्रयोग करता है?
भारत देश, मेहमान को भगवान मानता है और हमारे देश में अतिथि को पूजा जाता है लेकिन यदि मेहमान बोलसोनारो जैसा व्यक्ति हो तो क्या उसकी आवभगत की जा सकती है?
इन सब बातों से यह बिल्कुल स्पष्ट है कि इस तरह का व्यक्ति की उपस्थिति से हमारे राष्ट्रीय त्योहार गणतंत्र दिवस की गरिमा नष्ट होती है। ऐसा व्यक्ति जो महिलाओं का सम्मान नहीं कर सकता, वह किसी भी राजनीतिक या व्यवसायिक मैत्री ले लायक नहीं है।
गांधी जी के देश में डॉ .अंबेडकर के द्वारा बनाए हुए संविधान का पालन करने वाले भारतीय इस मेहमान के आगमन से काफी नाराज़ हैं उनकी भावना आहत है।
अंत में मैं फिर पूछना चाहती हूँ कि ऐसा मेहमान हमें चाहिए और ये मेहमान अपने मेजबान के बारे में क्या कहता है? ज़रा गौर से सोचें इस बात को…और अब मेरे साथ आप भी पूछें, ‘अतिथि तुम कब जाओगे?’
मूल चित्र : Canva
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