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शेयर मार्केट में क्या आप नए हैं? क्या आप स्टॉक्स में अपने पैसे को लगाने से कतराते हैं? तो ये लेख आपके लिए है, आगे पढ़ें और इस फील्ड से भी अपनी पहचान बढ़ाएं।
ऑरिजिनल पोस्ट : पूर्णिमा कवळेकर
अनुवाद : मानवी वाहने
शेयर मार्केट की इस गाइड को लिखने से पहले, मैंने अलग – अलग प्रोफेशनल बैकग्राउंड से आने वाले अपने कुछ दोस्तों से इन्वेस्टमेंट को लेकर उनकी मान्यताओं के बारे में बात की, इनमें चार्टेड अकाउंटैंट, पत्रकार, होम मेकर, आईटी प्रोफेशनल और एक व्यवसायी शामिल थे।
इससे मेरा इस बात पर विश्वास और पक्का ही हुआ कि बहुत से निवेशक, ख़ासकर महिलाएँ अपने पॉर्ट्फ़ोलीओ में स्टॉक्स एड करने को लेकर सशंकित हैं।
इसके पीछे दो मुख्य कारण हैं : स्टॉक्स रखने के लाभों को लेकर जानकारी की कमी और शेयर ट्रेडिंग को कैसे शुरू किया जाए – इस सम्बंध में जानकारी न होना। इस लेख का उद्देश्य आपको स्टॉक मार्केट की बेसिक जानकारी उपलब्ध कराना और मार्केट में कदम रखने में आपकी मदद करना है।
मैंने अगस्त 2004 में 118 रुपयों से हिंदुस्तान यूनिलीवर के शेयर्स ख़रीदे, लगभग चार सालों तक अपने पास वे शेयर्स रखें और उसका कुछ हिस्सा 2006 में 252 रुपयों में बेच दिया। मेरा प्रॉफ़िट : 134 रुपए प्रति शेयर जो कि मेरे द्वारा शेयर ख़रीदने में खर्च किए रुपयों से 100 % से भी अधिक है।
मैंने यहाँ दो चीज़ें सही की। पहली, मैंने सही समय पर शेयर्स ख़रीदे जब कंज्यूमर स्टोरी का भारत में विकास शुरू ही हुआ था और दूसरी, मैंने लम्बे समय तक शेयर्स अपने पास रखे। मैंने कम्पनी से लाभांश के 4 राउंड्स भी जमा किए।
वहीं दूसरी ओर, मुझे विश्वास है कि आपको उन लोगों के बारे में भी पता होगा जिन्होंने मार्केट में पैसे गँवा दिए हैं। उसके आधार पर कोई धारणा मत बनाइए। पैसे गँवा देने के बहुत से कारण हो सकते हैं, जैसे बिक्री का ग़लत समय, ग़लत स्टॉक्स का चुनाव या जल्दबाज़ी में की गयी बिक्री। आँकड़ों के अनुसार, मार्केट में किया गया कोई भी निवेश अगर लम्बे समय तक रखा जाए तो वह निवेशक के लिए फ़ायदेमंद साबित होता है।
इसमें कोई शक नहीं कि थोड़ा रिस्क होता है – जैसे यह उम्मीद करना कि क्या आपको निवेश से 7 – 9 % से अधिक रिटर्न प्राप्त होगा? लेकिन आप मार्केट में निवेश करने से पहले निवेश को लेकर अपनी मान्यता और हानि झेल सकने की अपनी क्षमता के बारे में स्पष्ट दृष्टिकोण रखते हुए यह निर्णय ले सकते हैं कि आप कितना रिस्क लेना चाहते हैं।
सबसे पहला और ज़रूरी कदम है कि आप अपना ट्रेडिंग अकाउंट बनाएँ (उदाहरण के लिए : https://trade.hdfcsec.com/, www.icicidirect.com/home.asp)
ज़्यादातर बैंक और स्टॉक ब्रोकिंग कम्पनी यह सुविधा उपलब्ध कराती हैं, तो जिस बैंक में आपका अकाउंट है, आप वहाँ से अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
आप कितना रिस्क उठाना चाहते हैं, यह आप पर निर्भर करता है। रिस्क लेने की क्षमता समझने में उम्र एक ज़रूरी भूमिका निभाती है। सामान्यतः जिनके पास काम करने के लिए अधिक साल बचे हैं, वे अपनी बचत का अच्छा भाग शेयर्स में लगा सकते हैं। ऐसा करके, आप शेयर मार्केट की किसी भी अस्थिरता को झेल सकते हैं और अपने निवेश को सकारात्मक रिटर्न्स कमाने का मौक़ा दे सकते हैं।
हालाँकि, रिस्क प्रोफाइल तय करने में सिर्फ उम्र ही एक फ़ैक्टर हो यह ज़रूरी नहीं। एक 35 वर्षीय शायद किसी 25 वर्षीय व्यक्ति से ज़्यादा रिस्क लेने को तैयार हो। यह व्यक्ति के निजी हालात के साथ ही स्टॉक का चुनाव करने की उनकी स्किल्स पर भी निर्भर करता है।
सिर्फ इस आधार पर ख़रीदना कि सभी वह ख़रीद रहे हैं या ट्रेंडिंग क्या है, समझदारी की बात नहीं। यह टिप्स आपकी ज़रूरत के हिसाब से एक स्ट्रेटेजी बनाने में मदद करेंगी :
आपके स्टॉक के रिटर्न कम्पनी के फ़ंडामेंटल बिज़नेस मैनज्मेंट पर और उस क़ीमत पर निर्भर करते हैं जितने में आप शेयर ख़रीदेंगे। एक अच्छे स्टॉक को बुरी क़ीमत पर ख़रीदना नुक़सानदायक होगा।
बुरी क़ीमत क्या होती है? इसका एक सूचक प्राइस अर्निंग रेशीओ (मार्केट की वर्तमान प्राइस प्रति शेयर अर्निंग्स से विभक्त या ईपीएस) होगा। पीई आपको बताता है कि ग्रोथ प्रोस्पेक्ट्स के कारण आप अर्निंग्स के हर रुपए के लिए कितनी क़ीमत चुका रहे हैं। यदि स्टॉक का पीई अपने इंडस्टरी औसत से अधिक है या बेंचमार्क इंडेक्स किस क़ीमत पर ट्रेडिंग कर रहा है, तब आपको उसे ख़रीदने से पहले दो बार सोचने की ज़रूरत है।
जिस कम्पनी को आप देख रहे हैं, उसके साइज़ का अनुमान मार्केट कैपिटलाइज़ेशन (अच्छे शेयर्स के नम्बर हर शेयर के मार्केट प्राइस से मल्टिप्लाईड) के आधार पर लगाएँ।
आपको विभिन्न कम्पनियों के मार्केट कैपिटलाइज़ेशन के विषय में अधिक जानकारी CRISIL या इंडिया स्टॉक न्यूज़ पर प्राप्त हो जाएगी।
यदि आप 20 वर्ष के आसपास हैं (काफी रिस्क ले सकते हैं), और पूँजी में मूल्य वृद्धि आपका मुख्य लक्ष्य है, तो आप स्मॉल कैपिटलाइज़ेशन (500 करोड़ से कम मार्केट कैपिटलाइज़ेशन) या फिर मिड कैपिटलाइज़ेशन (500 करोड़ से 5000 करोड़ तक के बीच) जिनके पास एक लम्बे समय में विकसित होने की अच्छी सम्भावना हो, पर ध्यान दे सकते हैं।
यदि आप 30 से 50 वर्ष के बीच हैं (मध्यम रिस्क ले सकते हैं) मिड कैपिटलाइज़ेशन और लार्ज कैपिटलाइज़ेशन ( 5000 करोड़ से अधिक का मार्केट कैपिटलाइज़ेशन) मिलाकर ले सकते हैं।
50 वर्ष से ऊपर के निवेशकों (कम रिस्क ले सकते हैं) को कैपिटल प्रेज़र्वेशन/पूँजी संरक्षण पर ध्यान देना चाहिए। स्थिर कम्पनियाँ, ख़ासकर जो लार्ज मार्केट कैपिटलाइज़ेशन, अच्छे फ़ंडामेंटल्स और पॉज़िटिव कैश फ़्लो के साथ हैं, ऐसे निवेशकों के लिए आदर्श हैं। सेक्टर के लीडर्स बेहतर होंगे। ऐसे स्टॉक्स का चुनाव करें जिनका लगातार लाभांश देने का ट्रैक रीकॉर्ड हो क्योंकि यह रिटायरमेंट के दौरान रेगुलर कैश फ़्लो उपलब्ध कराता है।
FMCG, दवाइयों आदि के सेक्टर से डिफ़ेंसिव स्टॉक्स लेना ऐसे निवेशकों के लिए सही है जो कम रिस्क लेना चाहते हैं।
यह सुनिश्चित करें कि स्टॉक के पास उचित ट्रेडिंग वॉल्यूम हो। उन कम्पनियों पर ध्यान दें जो उचित रूप से पारदर्शी हों, जिनके पास ऑपरेटिंग प्रोफ़िट मार्जिंस हों, जो कॉन्स्टैंट कैश फ़्लो बनाते हों और जो एक्वटी पर 10 प्रतिशत से ऊपर रिटर्न रखते हों। उन कम्पनियों को अनदेखा करें जो कम स्टॉक के साथ और हाई मैनेज्मेंट स्टेक के साथ हों। सबसे ज़रूरी, एक स्टॉक तभी ख़रीदें यदि आप उसका बिज़्नेस समझते हों।
एक बार स्टॉक्स और सेक्टर्स की पहचान हो जाए, तो शीघ्र ही पॉर्ट्फ़ोलीओ बनाने पर काम शुरू करना सही तरीका होगा। समय के अनुसार निवेश करना, लगभग 6-12 महीनों के समय तक, आपको आत्मविश्वास हासिल करने में मदद करेगा। अच्छी तरह से विविध पॉर्ट्फ़ोलीओ बनाना और उचित संख्या में स्टॉक्स, जैसे 10 स्टॉक्स, रखना याद रखें।
निवेश करने का एक ज़रूरी नियम निवेश का टाइम फ़्रेम समझना है।
यदि आप लॉन्ग टर्म निवेशक हैं, तो शॉर्ट टर्म फ़ंड्स में न फँसे। यदि आप शॉर्ट टर्म निवेशक हैं, तो आपका रिस्क लेवल ऊँचा है। मीडियम से लॉन्ग टर्म समय (लगभग 1 वर्ष से अधिक) वाले निवेशकों के पास कम्पनी में निवेश करने के लिए उचित कारण होने चाहिए।
यह कम से कम महीने में एक बार करना चाहिए। मार्केट्स बहुत ही गतिशील हैं और चूँकि छोटे से बड़े स्तर पर कई बदलाव होते रहते हैं, यह खुद से सबकुछ मैनेज करने वाले निवेशक के लिए ज़रूरी है कि वह सावधान रहे और ज़रूरत हो तो पॉर्ट्फ़ोलीओ में बदलाव करता रहे।
त्रैमासिक परिणाम को फ़ॉलो करते रहें और नियमित रूप से उस कम्पनी और इंडस्टरी पर ध्यान रखें जिसमें आपने निवेश किया है। अपने सम्पूर्ण पॉर्ट्फ़ोलीओ को ऐग्रेगट मार्केट परफ़ोरमेंस – BSE सेंसिटिव इंडेक्स या NSE 50 इंडेक्स से बेंचमार्क करते रहना अपने पॉर्ट्फ़ोलीओ के परफ़ोरमेंस का मूल्यांकन करने का अच्छा तरीक़ा है।
अब आप मार्केट में कदम रखने के लिए तैयार हैं। हर उस स्टॉक के बारे में रिसर्च करें जिसे आप ख़रीदने की योजना बना रहें हैं और सिर्फ इसीलिए कि ‘कोई और ख़रीद रहा है, तो आप भी ख़रीदना चाहते हैं’ – को अनदेखा करें।
हैपी इन्वेस्टिंग!
मूल चित्र : Pixabay
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