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किसी को नहीं लेकिन जैसे जैसे जीवन रुपी इस परीक्षा से गुज़रने लगी हूँ, डिग्री के लिए दिए जाने वाले वो एक्साम्स बहुत छोटे और आसान लगते हैं।
सुन कर अच्छा नहीं लगता ना परीक्षा का नाम? किसे अच्छा लगता था एक्साम्स देना। किसी को नहीं लेकिन जैसे जैसे जीवन रुपी इस परीक्षा से गुज़रने लगी हूँ, डिग्री के लिए दिए जाने वाले वो एक्साम्स बहुत छोटे और आसान लगते हैं।
जानती हूँ परीक्षा का नाम सुनकर बहुत लोगों की राय, तर्क अलग होते हैं। परीक्षाओं से ख़ास लगाव किसी का नहीं देखा जाता लेकिन चिढ़ जाती हूँ कभी-कभी रोज़ उठ आते इन सवालों से! मैं ही क्यूँ? हमेशा मैं ही क्यूँ?
लेकिन फिर जब किसी की उम्मीद में खुद को देखती हूँ। किसी की आँख में मेरे लिए विश्वास देखती हूँ। किसी के लिए परेशानी में सबसे पहले बात करने वाले इंसान का दर्ज़ा देखती हूँ तो लगता है इन परीक्षाओं की ही देन है ये एहसास।
टूट कर खुद, किसी और का सहारा बन जाना, वो अनुभूति अतुल्य है! और इसी अनुभूति का श्रेय देती हूँ इन परीक्षाओं को।
कभी-कभी लगता है अच्छा ही होता था परीक्षाओं का होना। कितना कुछ सिखा जाती हैं ये परीक्षाएं! और कहीं ना कहीं बचपन में होती ये परीक्षाएं भी हमें एक निखरा हुआ व्यक्तित्व बनाने में मदद करती हैं।
मुझे गलत मत समझिएगा। मैं नंबर के लिए बच्चों को पारेषण करने वाली या रैंक की होड़ में अपने बच्चों को भगाने वाली माँ कतई नहीं हूँ लेकिन स्कूल स्तर पर होने वाली परीक्षाएं बच्चों को और निखार कर ले आती है।
ये परीक्षाएं हमें अपने लक्ष्य के लिए जी जान लगाना सिखाती हैं। मेहनत की कसौटी पर खरा उतारना सिखाती हैं।
बस इसी कारण परीक्षा देने वाले के साथ खड़े रहिये। इन परीक्षाओं को उनका भविष्य नहीं, उनके भविष्य को संवारने के केवल एक रास्ते की तरह समझिये। उनका हौसला बने रहिये।
तो अब बताइये परीक्षाएं अच्छी लगती है ना?
मूल चित्र : Canva
Now a days ..Vihaan's Mum...Wanderer at heart,extremely unstable in thoughts,readholic; which has cure only in blogs and books...my pen have words about parenting,women empowerment and wellness..love to delve read more...
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