कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं?  जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!

मैं लिखना नहीं चाहती : हर नर लगे गिद्ध और नारी मांस का टुकड़ा, कुछ और नहीं

शर्मिंदगी और हार का दर्द, बेबसी, घृणा और क्रोध जो भीतर कढ़ कर ज़हर बन गया है, मुझे हर नर में एक गिद्ध नज़र आता है, नारी में मांस का लोथड़ा, बस और कुछ नहीं

शर्मिंदगी और हार का दर्द, बेबसी, घृणा और क्रोध जो भीतर कढ़ कर ज़हर बन गया है, मुझे हर नर में एक गिद्ध नज़र आता है, नारी में मांस का लोथड़ा, बस और कुछ नहीं

मैं लिख नहीं पाती
बसंत के आगमन पर भी
कोंपलों की अधखुली पंखुड़ियां
मध्धम पड़ते जाड़े की धूप
नरम घास पर छिटकी
मासूम अनछुई सी ओस
और हवा में
आते फाल्गुन की आहट
कुछ भी
मैं लिख नहीं पाती

प्रेम मास में प्रेमलिप्त
कोई शब्द नहीं उतरते
किसी शाख पर बैठे
पपीहे की कूक
मदमस्त नभ में उड़ते
पंछियों की उडान
या दूर कहीं से आती
किसी बांसुरी की तान
कुछ भी
मैं लिख नहीं पाती

मुझको रह रह कर
सताती है एक तस्वीर
जो मैंने देखी नहीं
बस सुनी है की दर्द से सुन्न
रक्त से लथपथ
अपनी अंतड़ियों में उलझी
मूंद ली आखें उसने
न्याय की आस लगा
मुझसे
तुमसे
हमसे
मैं लिख नहीं पाती

शर्मिंदगी और हार का दर्द
बेबसी, घृणा और क्रोध
जो भीतर कढ़ कर
ज़हर बन गया है
मुझे हर नर में
एक गिद्ध नज़र आता है
नारी में मांस का लोथड़ा
बस और कुछ नहीं

मैं लिख नहीं पाती
कलम नहीं चलती मेरी
प्रेम, प्रकृति, माधुर्य
कुछ भी नहीं
महज़ आंसू और गुहार
इंसानियत की हार
वसंत का हर श्वास
मानो क्रूर अट्ठास
कुछ भी
मैं लिख नहीं पाती
मैं लिखना नहीं चाहती

मूल चित्र : Pexels

विमेन्सवेब एक खुला मंच है, जो विविध विचारों को प्रकाशित करता है। इस लेख में प्रकट किये गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं जो ज़रुरी नहीं की इस मंच की सोच को प्रतिबिम्बित करते हो।यदि आपके संपूरक या भिन्न विचार हों  तो आप भी विमेन्स वेब के लिए लिख सकते हैं।

About the Author

Sarita Nirjhra

Founder KalaManthan "An Art Platform" An Equalist. Proud woman. Love to dwell upon the layers within one statement. Poetess || Writer || Entrepreneur read more...

22 Posts | 117,525 Views
All Categories