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मैरिटल रेप, कई घरों में छिपा एक घिनौना सत्य

कुछ पुरुष यह समझते हैं कि शादी का मतलब उन्हें कभी भी अपनी पत्नी के साथ जबरदस्ती करने का लाइसेंस मिल गया है, वह पत्नी नहीं एक वस्तु मात्र है।

कुछ पुरुष यह समझते हैं कि शादी का मतलब उन्हें कभी भी अपनी पत्नी के साथ जबरदस्ती करने का लाइसेंस मिल गया है, वह पत्नी नहीं एक वस्तु मात्र है।

“अजी सुनती हो! अनु को देखने लड़के वाले आ रहे हैं।”

“अच्छा अनु के बापू तुम ज़रा बाज़ार से सामान ला देना, मैं कागज़ पर लिस्ट बना देती हूं।”

घर-भर तैयारियों में जुट गया और वह दिन भी आ गया जब लड़के वाले आ चुके थे। तरह तरह का नाश्ता परोसा जा रहा था, खूब खिदमत की गई। कुछ देर बाद अनु पारंपरिक रूप से चाय की ट्रे हाथों में लिए आई।

लंबा कद, तीखे नैन-नक्श, लंबे घने बाल, गोरा सुंदर मुखड़ा देख पहली नजर में ही वह सभी को भा गई। लड़के (निमेष) से अकेले में कुछ बातें हुईं और उसने भी हां कर दी। एक महीने में ही शादी की तारीख निकल आई। अनु उसका स्वभाव ठीक से जान भी ना पाई थी और शादी हो गई।

वह रात भी आ गई

सारे रस्मो रिवाज़ निभाने के बाद वह रात भी आ गई जिसका सभी को बेसब्री से इंतज़ार रहता है। तारों से भरी चांदनी रात में, मद्धम रोशनी में गुलाब के फूलों से सजी सेज और शरमाती सकुचाती अनु, सिर झुकाए सेज पर बैठी थी। लड़खड़ाते क़दमों से निमेष ने कमरे में प्रवेश किया। अनु ने घूंघट और सरका लिया इस इंतज़ार में कि वह उसका घूंघट हटाएगा।

पर ये क्या!

पर ये क्या! उसने अनु की चुनरी खींच कर दूर फेंक दी। गहने खींच खींच के निकाल दिए, कपड़े फाड़ दिए और फ़िर…….. वह वहशी दरिंदा अपनी ही पत्नी की इज़्ज़त को तार-तार कर चुका था। दर्द सहते हुए अनु रात भर सिसकती रही।

भोर होने तक वह फ़ैसला ले चुकी थी

भोर होने तक वह फ़ैसला ले चुकी थी। आखिर वह आधुनिक युग की नारी थी। सबसे पहले उसने अपने मोबाइल से खुद की तस्वीरें लीं, फटे कपड़े, टूटे गहने, कान के बाले खींचकर निकाल देने से बहता हुआ खून, बिखरे बाल, सब कुछ कैमरे में कैद कर लेने के बाद उसने सीधे पुलिस स्टेशन फोन किया।

पुलिस ने दरवाज़ा खटखटाया

थोड़ी ही देर में पुलिस वाले महिला पुलिस अधिकारी को साथ लिए उनके घर का दरवाजा खटखटा रहे थे। उसके सास ससुर घबरा गए, एक तो घर में इतने मेहमान, ऊपर से अचानक पुलिस का आ जाना, इज्जत पर बन आई थी। महिला अधिकारी ने कहा, “आपकी बहू ने शिकायत की है आपके बेटे ने उसका बलात्कार किया है।”

ससुर जी ने कहा, “आप कुछ ले देकर मामला रफा-दफा क्यों नहीं करते? आखिर कल उनकी सुहागरात थी, हो गया होगा कुछ| शुरुआत है, बहू नादान है, वह नहीं समझती। हमसे तो कुछ नहीं कहा उसने!”

महिला पुलिस अधिकारी ने उसके ससुर को लगभग धक्का देते हुए अनु के कमरे में प्रवेश किया। साथ में सास और ननद भी थीं, वे अनु की हालत देख हतप्रभ रह गईं। अब कहने सुनने को कुछ बाकी नहीं रह गया था। आगे निमेष को जेल हुई और अनु उससे तलाक लेकर अपने मायके में रह नौकरी करने लगी। हां लोगों ने कुछ दिनों तक बातें ज़रूर बनाई, पर फिर सब चुप हो गए।

रेप सिर्फ घर के बाहर ही नहीं होते

दोस्तों, रेप सिर्फ घर के बाहर ही नहीं होते, बल्कि घर के अंदर भी होते हैं जिन्हें मैरिटल रेप कहा जाता है। पर ना तो ये केस कहीं दर्ज किए जाते हैं, ना ही इन पर कभी सुनवाई होती है। अगर आवाज़ उठा भी दी जाए, तो लड़की के ही घरवाले और ससुराल वाले मिलकर उसका मुंह बंद कर देते हैं। कुछ पुरुष यह समझते हैं कि शादी का मतलब उन्हें कभी भी अपनी पत्नी के साथ जबरदस्ती करने का लाइसेंस मिल गया है। वह पत्नी नहीं एक वस्तु मात्र है। ऐसी सोच को बदलना होगा और इसकी शुरुआत “घर” से ही करनी होगी| अपने बेटों को बचपन से ही नारी की इज़्ज़त करना सिखाएं और बेटियों को गलत के प्रति आवाज़ उठाना सिखाएं। ना कि औरत को तो सहना ही पड़ता है या पति की ग़लत बातों को नज़रंदाज़ करना चाहिए, ऐसी सीख दें| अन्यथा कुछ नहीं बदलेगा।

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मूल चित्र : Canva 

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Ekta Kashmire

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