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वो लड़की – मानसिक संतुलन खोये लोगों की मदद करें उन्हें नज़र अंदाज़ ना करें

दोस्तों हम मानसिक संतुलन खोये हुए लोगों से डरते जरूर हैं कि कहीं यह इंसान हमारे ऊपर अटैक न कर दे, परंतु सोचने वाली बात यही है कि यह जन्म जात ऐसे नहीं होते।

दोस्तों हम मानसिक संतुलन खोये हुए लोगों से डरते जरूर हैं कि कहीं यह इंसान हमारे ऊपर अटैक न कर दे, परंतु सोचने वाली बात यही है कि यह जन्म जात ऐसे नहीं होते।

“मम्मा मम्मा जरा उठिए!”

रात 2:00 बजे अपने बेटे की आवाज सुनकर मैं हड़बड़ा कर बोली, “हां क्या हुआ?”

“मम्मा आपके पास कोई पुराने कपड़े हो तो दे दीजिए। एक लड़की बाहर बिना कपड़ों के बैठी है, शायद पागल सी है उसको दे देते हैं ना, कहीं कोई उसका फायदा ना उठाये।”

“बेटा तुम इतनी रात में बाहर क्या करने गए थे?” मैं घबड़ाई सी‌ बोली।

“मम्मा नींद नहीं आ रही थी। बहुत गर्मी लग रही थी इसलिए मैं बस बाहर तक उठ कर गया था। तभी मैंने देखा कि वह लड़की सिर्फ दुपट्टा पहन के वहां पर बैठी है। कुछ सोलह-सत्रह साल की लग रही थी वह। मम्मी प्लीज कोई सूट दे दो। मुझे अच्छा नहीं लग रहा है उसको ऐसे देखकर कहीं कोई उसका गलत फायदा न उठा ले।”

मैं अचरज से अपने बेटे को देखती रही।

“मम्मा क्या देख रही है मुझे”, मुझे हिलाते हुए वह बोला।

“मम्मा बाकी बातें बाद में पहले आप कुछ कपड़े दे दो।”

मैं गुस्से में बड़बड़ाती हुई, “पता नहीं क्या फितूर तुझे सवार हो जाता है, इतनी रात में यह सब करते डर भी नहीं लगता। पता नहीं कौन है क्या है, कहीं तुझ पर ही ना चिल्ला दे। क्या ज़रूरत थी तुझे इतनी रात में बाहर जाने की? तू देखना एक दिन घर लूटवा देगा मेरा”, कहते हुए मैंने अपना एक पुराना सूट निकालकर उसको दे दिया।

बेटे ने बाहर जाकर दूर से उस लड़की को आवाज दी, “दीदी! दीदी! यह कपड़े रखे हैं पहन लीजिए,” कपड़े रख कर वो वापस आने को हुआ।

मैंने उस लड़की को बहुत गौर से देखा। उस विक्षिप्त सी लड़की ने सिर्फ दुपट्टा लपेटा हुआ था। उसने घूर कर मेरे बेटे को देखा, यह देखकर मैं डर गई। मैंने बेटे को आवाज दी कि फौरन वापस आओ। फिर मैं और मेरा बेटा छुपकर उसको देखने लग गए कि वह क्या करती है इन कपड़ों का। उन कपड़ों को देखकर वह अचरज के साथ खुश हो गई और उनको बमुश्किल पहनकर खुशी के मारे कुछ बड़बड़ाने लगी।

वह उन कपड़ों को सहला रही थी, बार बार उन कपड़ों को देख रही थी और खुश हो रही थी। मैं और मेरा बेटा छुप कर उसे देखते रहे।

बेटे ने बोला, “मम्मा आपको खुशी हो रही है ना यह काम कर के?”

सच में आज मेरे लिए खुशी का मतलब बदल चुका था‌। आंतरिक खुशी मिली मुझे आज। सच में किसी ऐसे व्यक्ति की मदद करके कितनी खुशी मिलती है यह आज मुझे पता लगा। मेरे लिए खुशी के मायने बदल गए थे। कभी-कभी यूं ही अचानक में ऐसे भी किसी व्यक्ति की मदद करने में एक सुकून सा मिलता है। वह रात मेरे जीवन की यादगार रात रही। कभी आप भी किसी अनजान के लिए ऐसा कर के देखें , दिल से खुशी मिलेगी आपको, यह मेरा वादा है आपसे।

दोस्तों हम इन से डरते जरूर हैं कि यह पागल इंसान है हमारे ऊपर अटैक न कर दे, परंतु सोचने वाली बात यही है कि यह जन्मजात ऐसे नहीं होते। इनको कोई मानसिक आघात कोई ऐसी पीड़ा रही होती है, जिन से गुज़र कर यह ऐसे हो जाते हैं। बहुत कुछ ऐसा उन्होंने झेला होता है, जो सिर्फ उनके मन और आत्मा को पता होता है। इसलिए ज़रूरत पड़ने पर इनकी मदद जरूर करें।

मूल चित्र : Canva

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