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क्या आपके बेटे को आपकी गलत बात भी माननी चाहिए?

माँ आप हमेशा संजना के पीछे पड़ी रहतीं हैं, अगर उसने आपको जवाब देना शुरू कर दिया तब मैं कुछ नहीं कर पाऊंगा, क्यों कि सहने की भी एक सीमा होती है।

माँ आप हमेशा संजना के पीछे पड़ी रहतीं हैं, अगर उसने आपको जवाब देना शुरू कर दिया तब मैं कुछ नहीं कर पाऊंगा, क्यों कि सहने की भी एक सीमा होती है।

संजना का रिश्ता आया था। मगर उन लोगों का कहना था कि आपकी बेटी हमारे घर आएगी तो हमारी बेटी भी आपके घर बहू बनकर जाएगी। मतलब संजना की शादी अमन से और संजना के भाई की शादी अमन की बहन से होगी।

घर में कोई तैयार नहीं था, मगर पापा को रिश्ता बहुत पसंद आया था इसलिए सबके मना करने के बावजूद उन्होंने हां कर दिया। संजना बहुत सीधी थी और अमन का नेचर भी अच्छा लग रहा था। अमन की बहन अनामिका की शक्ल-सूरत आम सी थी, मगर बहन की खुशी के लिए संजना का भाई नवीन अनामिका से शादी के लिए तैयार हो गया।

शादी के कुछ महीने बाद ही अमन के पापा का स्वर्गवास हो गया। सास ने रो-रो कर सबके सामने संजना पर इल्जाम लगाया, “ये मनहूस है, जब से इसके पैर घर में पड़े हैं कुछ ना कुछ गलत ही हो रहा है। शादी के कुछ दिनों बाद ही मैं सीढ़ी से गिर गई थी। पहली बार मेरे बेटे को काम में घाटा हुआ और अब तो अमन के बाबा को ही खा गई।” ये सब देख कर तो संजना के भाई को बहुत गुस्सा आ गया था मगर माँ ने चुप रहने का इशारा किया।

“मैंने पहले ही मना किया था मगर मेरी बात सुनता कौन है।”

“अब यहाँ तमाशा ना बनाना, समधन जी अभी सदमे में हैं इसलिए ऐसी बात बोल रही हैं। बाद में बात होगी इसके बारे में।” संजना की माँ को दुःख तो बहुत हो रहा था बेटी के बारे में सुनकर मगर क्या कर सकती थीं।

अनामिका ने माँ को समझाया, “पापा जी तो बहुत सालों से बीमार थे, इतनी तकलीफ थी उनको। ठीक से खा पी नहीं पा रहे थे। इतने दिनों तक ही उनकी जिंदगी थी। भला  इसमें भाभी का क्या दोष?”

कुछ महीने बाद अनामिका माँ बनने वाली थी। संजना की सास बहुत खुश थीं, मगर उठते-बैठते एक ही बात कहतीं, “मेरी बेटी तो तेरी माँ को दादी कहने का सुख देने वाली है मगर तू कब ये दिन दिखाएगी। मेरी तो किस्मत ही फूटी थी जो ऐसी बहू मिली। वो तो नवीन की अच्छाई देखकर मैंने हां कह दिया था नहीं तो मेरे बेटे के लिए तो रिश्तों की लाइन थी।”

“तो कर देती उसी लाइन में से निकाल कर किसी लड़की से शादी”, संजना पहली बार बोली थी, मगर जैसे आफत ही आ गई। सासु माँ शुरू हुईं तो जब तक अमन से रो-रोकर सारी बात नहीं बता लीं तब तक उन्हें चैन नहीं आया। बेचारा अमन, उसकी समझ में नहीं आया कि किससे क्या कहे। पहली बार संजना ने जवाब दिया था, कुछ ज्यादा हो गया होगा तभी वो बोली होगी। उसने सोचा। खामोशी से वहीं बैठ कर चाय पीने लगा, बोला कुछ नहीं।

अनामिका दूसरी बार माँ बनने वाली थी मगर संजना अभी तक माँ नहीं बन पाई थी। वो पहले से ज़्यादा खामोश रहने लगी थी। पापा को बहुत दुःख होता। उन्हें सारी बातें पता चल गई थीं। लेकिन उसके माँ ना बन पाने पर और तो कोई कुछ कर नहीं सकता था। एक बात की उन्हें तसल्ली थी कि अमन हमेशा उसका साथ देता था, उसे सपोर्ट करता था।

“अमन ये देखो! इन फोटो में जो पसंद आए बता दो।”

“ये सब क्या है? वो हैरानी से बोला।”

“तुम दूसरी शादी कर लो बेटा! ये लड़की तो बांझ है, तुमको कभी औलाद का सुख नहीं देगी। हमारे वंश को कौन आगे बढ़ाएगा? मैं अब और इंतज़ार नहीं कर सकती। बस तुम शादी के लिए हाँ कर दो।”

“माँ! अमन एकदम से खड़ा हो गया। ऐसा कभी नहीं होगा। मैं संजना से बहुत प्यार करता हूँ। दूसरी शादी के बारे में तो कभी जिंदगी में नहीं सोच सकता। और अभी टाइम ही कितना हुआ है? अनामिका के जल्दी-जल्दी बच्चे हो गए तो क्या हो गया। मेरे भी बच्चे होंगे बस थोड़ा टाइम लग रहा है।”

“आपने एक बार भी ये नहीं कहा कि उसको डाक्टर को दिखा दो। बस जल्दी से दूसरी शादी ही करवाने लगीं। आपने ये सोचा संजना का भाई हमारी अनामिका का पति है और संजना को बहुत चाहता भी है। अगर ये सब सुनकर उसने आपकी बेटी को आपके पास वापस भेज दिया तो? उसके तो बच्चे भी हैं। सोचिए उसका क्या होगा”, अमन ने डराया।

“और अगर भगवान ने हमारी किस्मत में इस तरह औलाद ना भी लिखी होगी, तो हम बच्चा गोद ले लेंगे। वो आपको दादी कहेगा।”

“एक बात और माँ! आप हमेशा संजना के पीछे पड़ी रहतीं हैं, अगर उसने आपको जवाब देना शुरू कर दिया तब मैं कुछ नहीं कर पाऊंगा क्यों कि सहने की भी एक सीमा होती है। एक बात हमेशा याद रखिएगा, आपकी बेटी भी उस घर में है। ये उनकी अच्छाई है कि इतना सब कुछ सुनने के बाद भी हमारी अनामिका वहाँ खुश है। वो लोग कुछ नहीं कहते उसको।”

“प्यार दीजिये माँ! बदले में आपको प्यार ही मिलेगा”, बहुत दिनों से अमन सोच रहा था कि माँ को समझाएगा और आज मौका मिल ही गया।

“हाँ! शायद तुम सच कह रहे हो मैं ही कुछ ज्यादा सख्त हो रही हूँ। जब भगवान ने नानी बनने का सुख दिया है तो दादी भी बनूंगी एक ना एक दिन”, उन्होंने अमन से कहा।

अमन जानता था ये सब वो उस डर की वजह से बोल रही थी जो उसने उनके अंदर भर दिया था कि कहीं उनकी बेटी सचमुच वापस ना आ जाए।

ख़ैर जो भी था, अब शायद सुकून तो रहेगा।

मूल चित्र : Canva 

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