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हम औरतें भी ना कैसी कैसी धारणा बना लेती हैं कि यदि हमारी शादी हो गई है, हमारी मांग में सिंदूर, माथे पर लगी बिंदी को देखकर कोई भी हमारा बुरा नहीं कर सकता।
आज मैं आपको मेरी एक सहेली मीतू की बात बताती हूं।
मीतू मेरी बचपन की मित्र, यूं कहिए कि मेरी लगोटिया यार है! क्यूं ये लंगोटिया शब्द सिर्फ लड़कों के दोस्तों के लिए ही लगा सकते हैं क्या?
मीतू मुझे आज 2 साल मिली। आज वो मेरे घर आई। अपने पति और अपनी बेटी परी के साथ।
आज भी वहीं सुंदरता, तीखे नैन-नक्श, वहीं बिंदास अंदाज, लहराती ज़ुल्फ़ें, जिसे देखकर किसी भी लड़के का दिल मचल उठे… और दो लाइन तो वो बोल ही दे।
उसको देखते ही मैं बोल पड़ी, “क्यूं यार! अब तो कोई लड़का नहीं छेड़ता तुझे? अब तो जीजू तेरे साथ हैं क्यूंकि तुम तो पहले से और भी हसीन लग रही हो।”
मेरी बात सुनकर उसके पति बोल उठे, “क्या मतलब है आपका…”
“अरे जीजू आपको नहीं पता…?”
“कॉलेज टाइम में जब कुछ लड़के मीतू पर फब्तियां कस्ते थे, तो मीतू उन्हें मारने के लिए भाग पड़ती थी…हम सब को देखकर बहुत हैरानी होती थी कि कैसे वो लड़कों का सामना कर लेती थी। बाकी हम सब फ्रेंड्स चुप ही रहते थे।”
“मीतू के लिए लड़कों का कुछ बोलना बहुत आम बात हो गया था। जैसे कहां जा रही हो? हम भी साथ चलें? आओ लिफ्ट दे दें? आपका काम तो हम यूँ ही कर देंगे और ना जाने क्या-क्या। हमारे पूरे ग्रुप में मीतू ही सबसे सुंदर और बिंदास थी। लेकिन अब मीतू भी इन सब हरकतों से परेशान होने लगी थी।”
मीतू हमेशा यह कहती थी, “जब मेरी शादी हो जायेगी तो ये सब नहीं होगा, फिर लड़के मुझे तंग नहीं करेगें।”
“फिर एक दिन मीतू की शादी हो गई। मीतू की शादी का बाद आज ही मिलना हो पाया है हम दोनों फ्रेंडस का… इसलिए मैं मीतू से पूछ रही थी कि अब कोई बदमाश लड़का तंग तो नहीं करता तुम्हें? क्यूंकि अब तो शादी हो गई है, अब इसकी परेशानी भी खत्म हो गई होगी।”
“अब जब कोई लड़का मीतू के पास आता होगा, तो देखते ही समझ जाता होगा कि लड़की शादी शुदा है और उसे कुछ नहीं कहेगा!”
“अच्छा जी तो यह बात थी?”
“क्यों मीतू अब तो तुम्हे कोई तंग नहीं करता, मेरे सिवा?” उसके पति ने हंसते हुए कहा और मीतू भी अपनी जुल्फो को संवारते हुए मुस्कुराने लगी।
हम औरतें भी ना कैसी कैसी धारणा बना लेती हैं कि यदि हमारी शादी हो गई है, हमारी मांग में सिंदूर, माथे पर लगी बिंदी को देखकर कोई भी हमारा बुरा नहीं कर सकता। लेकिन आज के समाज में ऐसे कई उदाहरण हैं, जहां छोटी बच्चियों से लेकर बूढ़ी औरतों तक को नहीं बख्शा गया है। उन हैवान इंसानों ने तो औरत को एक खिलौना समझ रखा है!
मूल चित्र : Canva
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