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हम कौन होते हैं दूसरों को जज करने वाले

बस करो अब! बंद करो अब हमें जज करना, हमारे नेचर से हमारे करैक्टर को जज करना, हमारे पहनावे से हमारे ज़मीर को जज करना बंद करो!

बस करो अब! बंद करो अब हमें जज करना, हमारे नेचर से हमारे करैक्टर को जज करना, हमारे पहनावे से हमारे ज़मीर को जज करना बंद करो!

“क्या बात है आज नेहा और आकाश नहीं दिख रहे हैं?” मोना ने पूछा।

“हाँ, वो नहीं आ रहे हैं। मेरी बात हुई थी उससे, उसके घर अचानक मेहमान आ गए,” रिया ने बताया।

“अरे यार, बहुत मिस करेंगे उसे वो तो रौनक है हमारे ग्रुप की। वो साथ होती है तो समय कैसे गुजर जाता है पता ही नहीं चलता।”

“सही कह रही हो मोना तुम, वो तो हमारे ग्रुप की जान है।”

“काहे की जान? कुछ ज्यादा ही बिंदास है, मुझे तो उसका करैक्टर ही सही नहीं लगता,” अनु ने कहा

“ऐसे कैसे तुम किसी पर भी लांछन लगा सकती हो अनु? एक औरत होकर दूसरी औरत के बारे में ऐसे घटिया विचार।”

“एक दिन तो इन्होंने भी कह दिया कि उसका चाल चलन कुछ ठीक नहीं है। और हर कोई कहता है जब देखो तब गैर मर्दों के साथ खिलखिलाकर बात करना, हंसी मजाक करना, एक औरत को शोभा नहीं देता डियर।”

“पिछली बार जब सुमन के यहाँ गेट टूगेदर था तब तुम वहाँ नहीं थीं रिया वरना तुम्हें समझ आता। पहले तो वह सबके सामने बड़ी सती-सावित्री बनती फिरती थी। लेकिन उस दिन तो उसने सारी हदें पार कर दीं।”

“ऐसा क्या कर दिया उसने जो तुम उसके चरित्र पर ऊंगली उठा रही हो?”

“अरे रोमा, बता ना इसे!”

“कुछ नहीं रिया दरअसल सब कपल्स आपस मे हंसी मजाक कर रहे थे। पर तुम्हारी बेस्ट फ्रेंड नेहा ऐसे ऐसे एडल्ट जोक्स मार रही थी कि हम तो शर्म से पानी पानी हो गये। उसे तो शर्म नहीं आती पर दूसरों का तो लिहाज करे। रोहन, अवि, राहूल सब उठकर चले गये थे उसकी बातें सुनकर।”

“वैसे भी हम सब जानते हैं आकाश ने उसे कुछ ज़्यादा ही छूट दे रखी है, इसलिए वह ज्यादा ही बिंदास है,” अनु ने कहा

“और क्या बताऊँ तुम्हें? सुमन की पार्टी में उसके मोबाइल पर कोई कॉल आया था ..किसी मनु का। तो वह अंदर कमरे में चली गई। और खिलखिलाकर बात करने लगी फोन पर। उसके बात करने के अंदाज से साफ जाहिर हो रहा था कि वह किसी मर्द से बात कर रही है।”

रिया ज़ोर-ज़ोर से हंसने लगी।

“हंस क्यों रही हो? मैंने कोई जोक थोड़ी सुनाया है?”

“पहली बात तो ‘मनु’ मेरे पति मनन का नम्बर है। जो उसके मोबाइल मे मनु नाम से सेव है और हाँ मुझे अच्छे से याद है उस दिन मैंने ही मनन के मोबाइल से उसे कॉल किया था। तुम क्या जानती हो नेहा के बारे में? हम सब तो कई सालों से एक दूसरे को जानते हैं। पर तुम हमारे ग्रुप में अभी नई हो और इसलिए ये सब कह रही हो।”

“और रही बात अडल्ट जोक्स की तो कहाँ लिखा है हंसी मजाक सिर्फ मर्द ही कर सकते हैं? तुम्हारे पति ने उसे केरेक्टरलेस कहा और तुमने उन्हें बढ़ावा दिया। वेरी गुड, यानि मर्द खुलकर बात करें, हंसी मजाक करें तो वह जायज़।  लेकिन औरत अगर थोडी फ्रेंडली बात कर ले तो वह मर्दों को दोस्ती के लिए इनविटेशन दे रही है, तो वह आप में इंटरेस्टेड है! अगर वह किसी मर्द से हंसकर बाते कर ले तो उसका करैक्टर लूज़ है?”

“वाह रे मेरे इक्कीसवीं सदी के दोस्तों! जमाना बदल गया पर तुम्हारी सोच नहीं बदली। किसी के कपड़ों से और उसकी बातों से उसका करैक्टर जज कर लिया तुमने? एक औरत होकर दूसरी औरत का साथ देने की बजाय तुमने उसे ही चरित्रहीन करार दिया। जब नेहा साथ होती है तो तुम लोग उसे मल्टीटैलेंटेड, ऑलराउंडर कैसे-कैसे खिताब देकर उसके आगे पीछे घूमते हो और उसके पीठ पीछे उसकी ही बुराई! भगवान बचाये उसे तुम जैसे दोस्तों से।”

अगर एक मर्द औरत की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाये तो सही लेकिन अगर एक औरत पहल करे तो वह चरित्रहीन? अगर कोई मर्द औरत की तारीफ करे तो ठीक है पर अगर कोई औरत हंस बोल भी ले तो वह तुम्हें इन्वाइट कर रही है? तो मेरा सवाल आप सब से है – क्या एक औरत अपनी पवित्रता साबित करने के लिए किसी मर्द से करैक्टर सटिर्फिकेट की मोहताज है? बहुत हो गया!

बस करो अब! बंद करो अब हमें जज करना, हमारे नेचर से हमारे करैक्टर को जज करना, हमारे पहनावे से हमारे ज़मीर को जज करना बंद करो!

मूल चित्र : Canva 

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