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सुनीता केजरीवाल पारंपरिक होने के साथ-साथ आधुनिक विचारों वाली महिला हैं, अरविंद केजरीवाल की जीत के पीछे उनकी कई सालों की मेहनत छिपी है।
ये बात तो हम कई दशकों से सुनते आ रहे हैं कि हर आदमी की सफलता के पीछे एक औरत का हाथ होता है। औरत को ये क्रेडिट देकर हम सोचते हैं बस हमारा काम हो गया। लेकिन आदमी के पीछे खड़ी उस औरत के त्याग, बलिदान और हिम्मत को हम समझ नहीं सकते।
अभी हाल ही में दिल्ली में चुनाव हुए और अरविंद केजरीवाल बने मुख्यमंत्री। उनकी पार्टी AAP को भारी वोटों से दिल्लीवालों ने जिताया। दिल्ली विधानसभा की 70 में से 62 सीटें AAP को मिल गई तो बंदे में बात तो ज़रूर होगी।
लेकिन मफलरमैन अऱविंद केजरीवाल की सफलता का सारा श्रेय उन्हें या उनकी पार्टी के सदस्यों को नहीं जाता। इस सफलता का एक हिस्सा उनकी पत्नी सुनीता केजरीवाल का भी है। ऐसा कह सकते हैं कि वो ना होती तो मुश्किल घड़ी में अरविंद के लिए संभलना भी मुश्किल हो जाता। कोई माने ना माने मुख्यमंत्री साहब अपनी पत्नी को अच्छे पति की तरह इस सफलता का पूरा श्रेय देते हैं।
सुनीता केजरीवाल इस बार उनके लिए लकी चार्म रहीं। 11 फरवरी जब AAP चुनाव जीत गई उसी दिन सुनीता केजरीवाल का जन्मदिन भी था। जीत की ख़ुशी और पत्नी का 54वां जन्मदिन एक साथ पार्टी दफ्तर में केक काटकर मनाया गया। इस जीत के पीछे कई सालों की मेहनत छिपी है जिसे सुनीता ने पत्नी, मां और पार्टी कार्यकर्ता बनकर बखूबी निभाया है।
अरविंद केजरीवाल राजनीति में आने से पहले एक IRS ऑफिसर थे ये तो लगभग सभी जानते ही होंगे लेकिन उनकी पत्नी सुनीता भी एक IRS ऑफिसर थीं। दोनों की पहली मुलाक़ात IAS की ट्रेनिंग के वक्त मसूरी में हुई थी। कई सालों की जान-पहचान के बाद और एक-दूसरे को समझने के बाद अरविंद-सुनीता साल 1994 में शादी के बंधन में बंध गए थे। उनके दो बच्चे, एक बेटी हर्षिता केजरीवाल और बेटा पुलकित केजरीवाल हैं।
सुनीता एक इंटरव्यू में बताती हैं, “जब हमारी शादी होने वाली थी तो अरविंद ने मुझसे अपना पैशन शेयर किया था कि वो समाज सेवा करना चाहते हैं। जब मैंने उनसे ये बात सुनी तो मुझे अच्छा लगा क्योंकि जिस इंसान का पैशन समाज से जुड़ा हो उसका मन कितना साफ़ होगा। मेरे और उनके विचार काफ़ी मिलते थे इसलिए हम पिछले 25 साल से एक साथ हैं।
वो जब IRS के पद पर थे तो मन से काम तो करते थे लेकिन उनका मन उस काम में नहीं था। इसलिए साल 2000-2010 तक उन्होंने अपना समय निकालकर समाज के लिए काम करने शुरू कर दिए। भ्रष्टाचार से उन्हें हमेशा ही परेशानी थी इसलिए उन्होंने सबसे पहले उस पर काम किया। जब लोग उनके बारे में उल्टा-सीधा कहते हैं तो मेरे सामने उनके संघर्ष के वो कई साल आ जाते हैं। लेकिन ये लोग सिर्फ बातें कर सकते हैं अरविंद ने जो कहा है वो शिद्दत से करके दिखाया है।”
केजरीवाल जब पहली बार दिल्ली के मुख्यमंत्री बने थे उसके बाद भी सुनीता IRS की नौकरी कर रही थीं लेकिन एक साल बाद सुनीता ने नौकरी छोड़ने का निर्णय लिया। केजरीवाल जब दिल्ली में भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ आंदोलन कर रहे थे तो भी सुनीता कभी सार्वजनिक तौर पर ना के बराबर दिखाई पड़ती थी। केजरीवाल आगे से लड़ रहे थे और सुनीता उनकी मज़बूत ढाल बनकर परिवार संभाल रही थीं और जब भी ज़रूरत पड़ती तो कार्यकर्ता बनकर अपने पति का साथ देतीं। सुनीता का मानना था कि पति के मुख्यमंत्री बनने के बाद उनकी भी ज़िम्मेदारी काफ़ी बढ़ गई थी इसलिए उन्होंने अपनी सरकारी नौकरी छोड़ना ही सही समझा। आज दोनों बच्चे IIT में पढ़ रहे हैं जिसकी एक बड़ी वजह सुनीता की मेहनत है।
AAP बनने के बाद धीरे-धीरे सुनीता की सक्रियता भी बढ़ गई और वो पार्टी की गतिविधियों में हिस्सा लेने लगीं। हालांकि वो कभी राजनीति में आना नहीं चाहती थी लेकिन पति के इस सफ़र पर वो कंधे से कंधा मिलाकर साथ चलना चाहती हैं। दिल्ली 2020 के विधानसभा चुनावों में तो सुनीता ने अपने बच्चों के साथ डोर-टू-डोर कैंपेन भी किया।
सुनीता केजरीवाल पारंपरिक होने के साथ-साथ आधुनिक विचारों वाली महिला हैं। वो दकियानूसी बातों को नहीं मानती और समाज द्वारा औरतों के लिए बनाए गई रूढ़ियों को भी ख़ारिज करती हैं।
AAP की जीत के बाद सुनीता ने कहा कि ये उनके बर्थडे पर मिला आज तक का सबसे बड़ा तोहफा है। उन्होंने कहा, “ये सच की जीत है और झूठ बोलने वालों को सबक मिल गया।” इस जीत के बाद भावुक पति अरविंद ने सुनीता को गले से लगाकर उनका धन्यवाद किया। उन्होंने सभी के सामने अपनी पत्नी के निस्वार्थ प्रेम और योगदान को याद किया।
ये सुनीता केजरीवाल का साथ ही था जो अरविंद केजरीवाल को अपनी जीत तक ले लाया। स्वभाव से बेहद शालीन और सरल सुनीता अंदर से उतनी ही मज़बूत और मेहनती हैं। उन्हें हमारी तरफ़ से जन्मदिन पर ऐसी जीत मिलने की बधाई।
मूल चित्र : Wikibio/ Google Images
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