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ऊपर वाले का शुक्रिया अदा कीजिये कि इस मुश्किल समय में आप अपनों के करीब हैं। लेख को पढ़कर आप भी मानेंगे कि हम घर पर हैं और खुशनसीब हैं ।
वे सभी लोग जो बार-बार यह सोच रहे हैं कि वह ‘घर’ पर 21 दिन कैसे निकालेंगे, उन्हें मैं सिक्के के दूसरे पहलू से अवगत कराना चाहती हूँ । उन्हें यह याद दिलाना चाहती हूं कि वह शुक्र मना सकते हैं कि वह घर पर हैं क्योंकि बहुत से लोग हैं जो इस परिस्थिति के चलते जहां हैं वहीं रुकने को मजबूर हैं । वे अपने घरों से दूर हैं किसी अनजान देश, किसी अनजान शहर में । अब ये सोचिए कि वे अगले इक्कीस दिन कैसे गुजारेंगे, आपको अपनी परेशानी बहुत छोटी लगने लगेगी।
ऐसे लोगों की तादाद बहुत बड़ी है। इनमें से बहुत से ऐसे हैं जो अपने व्यवसाय के चलते विदेश यात्रा पर थे और अब जिस तरह इस विषाणु ने पूरे विश्व को अपनी चपेट में ले लिया है, उन्हें नहीं पता कि वो कब वापस आ पायेंगे । वायु सेवा, रेल सेवा व अंतराजजीय बस सेवा बंद होने की वजह से कमोबेश यहीं स्थिति देश के विभिन्न शहरों में गए लोगों की है। वो यह सोचकर खुश हो सकते हैं कि वे कम से कम अपने देश में हैं। जहां अभी भी हालत काबू में हैं, फिर भी वे अपने परिवार के लिए चिंतित हैं। होटलों या किसी परिचित के यहां ठहरे इन लोगों के लिए एक एक दिन काटना मुश्किल हो रहा है। मैं यह सब इसलिए लिख पा रही हूँ क्योंकि मेरे बहुत से परिचित इस स्थिति से गुज़र रहे हैं ।
इन व्यक्तियों से भी बुरी स्थिति है उन मज़दूरों की जो छोटे छोटे गांव व कस्बों से मजदूरी के लिए शहर आये थे। वापस जाने का उनके पास कोई रास्ता नही बचा तो वे पैदल ही अपने घरों की तरफ निकल पड़े हैं समान सर पर उठाए। इसलिए अगर आप घर पर हैं तो यकीन मानिए आप बहुत अच्छी स्थिति में है।
तीसरी श्रेणी आवश्यक सेवाओ से जुड़े उन सब लोगों की है जो इस कठिन वक़्त में अपनी जान जोखिम में डालकर हमें अपनी सेवाएं दे रहे हैं। सभी डॉक्टर्स, सफाईकर्मी, पुलिस फोर्स व सेना में कार्यरत ये सभी लोग अपनी जिम्मेदारियों के चलते अपने घर नही जा पा रहे हैं। न वो दूसरे देश में न किसी और शहर में है। बहुत मुमकीन है कि कार्यस्थत से बीस मिनट की दूरी पर उनका घर हो और उन्होंने चार दिनों से अपने बच्चों की शक्ल न देखी हूँ। ये सभी करोना के खिलाफ इस युद्ध मे दृढ़ता से खड़े हुए पहलीं पंक्ति के सैनिक हैं । पूरे देश ने 22 मार्च को एक साथ इनका धन्यवाद देकर ये बता दिया है कि इस लड़ाई में हम इनके साथ हैं।
अब तो आप ही मानेंगे कि हम सब जो घर पर हैं खुशनसीब हैं । ना हम विदेश में हैं और ना किसी दूसरे शहर में हैं और ना ही आवश्यक सेवाओं से जुड़े हुए लोगों की तरह हमें अपने काम के सिलसिले में बाहर जाना है । हमारे पास कितना वक्त है हर वो काम करने का जिसके लिए पहले हमारे पास वक़्त न होने का बहाना था । अपने परिवार व बच्चों के साथ समय बिताइए, किताबें पढ़िये, टीवी या अन्य किसी माध्यम पर अपनी पसंदीदा फिल्में देखिए । ऊपर वाले का शुक्रिया अदा कीजिये कि इस मुश्किल समय में आप अपनों के करीब हैं।
मूल चित्र : Canva
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