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क्या नेहा धूपिया का रोडीज़ शो में ये कहना कि कोई भी व्यवहार, चाहे आपकी नज़र में वो कितना भी गलत हो, उसका जवाब हिंसा नहीं हो सकता, गलत है?
समाज में एक अजीब सा चलन चल पड़ा है, शारीरिक प्रताड़ना का, चाहे वह पत्नी हो या गर्लफ्रेंड, लोग कहीं न कहीं उनको प्रताड़ित करने का कोई भी मौका नहीं चूकने देते। हम ताज़ा जानकारी के मुताबिक देख सकते हैं कि भारत के लोग किस प्रकार से पुरुषवाद को बढ़ावा दे रहे हैं, और उनको सपोर्ट कर रहे हैं जो महिला को शारीरिक प्रताड़ना देते हैं और अपशब्द बोलते हैं।
फिलहाल की दशा में देखा जा सकता है कि अभिनेत्री नेहा धूपिया, जिन्होंने रोडीज़ के रियल्टी शो पर एक कांस्टेंट को अपशब्द कहे, या उसको समझाया कि भारतीय संविधान हो या समाज, किसी भी सूरत में लड़की के ऊपर हाथ उठाने का अधिकार नहीं देता।
लड़की हो या लड़का उसको अधिकार प्राप्त हैं के वह कितने भी बॉयफ्रेंड या गर्लफ्रैंड बनाए, यह उसका ज़ाती मामला है। हाँ, यह कहा जा सकता है कि नैतिक मूल्य सब के अलग-अलग हो सकते हैं और लोग उनसे प्रभावित हो सकते हैं। माना किसी को धोखा देना गलत बात है मगर इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं कि आप किसी पर भी हाथ उठाओ।
https://youtu.be/x1wZBxkIrbc
व्यक्तिगत तौर पर मेरा मानना यह है कि नेहा धूपिया ने बिल्कुल सटीक और सही बात की। लोग एक थप्पड़ मारने वाले के समरूप खड़े हैं, और जो इंसान समानता और घरेलू अपवाद के ख़िलाफ़ है, उसको ट्रोल कर रहे हैं। यह महज एक ट्रोल का मामला नहीं, यह पूरे समाज की सोच का मामला है और अत्यंत विचारशील स्तिथि है।
नेहा धूपिया इस रियलिटी शो से पिछले पाँच साल से जुड़ी हैं और उन्होंने अपने बयान में यह भी कहा के उनको इसमें बहुत मज़ा आता है और वह इसे एन्जॉय करती हैं, मगर इस बात को वह बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करेंगी। वह अपनी बात पर अडिग हैं और लोगों से अपील कर रही हैं कि असमानता के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई जाए।
नेहा धूपिया आगे कहती हैं कि मैं महिला हूँ और हिंसा के खिलाफ आवाज़ उठाने के बदले उन्हें क्या मिला? 56000 से अधिक संदेश के साथ साथ उनके पिताजी के व्हाट्सएप्प नंबर पर भी भद्दे-भद्दे मेसेज का आना नहीं रुक रहा। और उनकी छोटी बेटी के लिए भी लोग अभद्र टिप्पणी कर रहे हैं। अब वो लोग कहाँ हैं जो एक छोटी से टिप्पणी पर इतना बवाल कर रहे थे? अब भी तो आप अभद्रता की सारी हदों को पार कर रहे हो। और शर्म की बात यह है कि एक ऐसी महिला के लिए, जिसने सिर्फ और सिर्फ हिंसा के खिलाफ आवाज़ उठाई।
देश को असमानता के समुंदर से निकाल कर हमको समानता के किनारे पर लाना होगा, वरना वह दिन दूर नहीं जब हमारा समाज अनैतिकता और अभद्रता के समुद्र में डूब जाएगा। लोगों को जागरूक होने की ज़रूरत है, लोगों को हिंसा के ख़िलाफ़ आवाज़ उठानी चाहिए चाहे पुरुष हो या महिला इस समस्या को समाज से खत्म कर देना चाहिए।
मूल चित्र : YouTube
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