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एक ऐसी माँ होने का फैसला किया जिसकी पहचान होम-मेकर से कुछ ज़्यादा हो – कुशल सिंघल

‘होम-मेकर होने का मेरा सफर’ कांटेस्ट की तीन बेहतरीन कहानियों की श्रृंखला में आइये बधाई दें कुशल सिंघल जी और सुनें उनकी कहानी, उनकी ज़ुबानी!

‘होम-मेकर होने का मेरा सफर’ कांटेस्ट की तीन बेहतरीन कहानियों की श्रृंखला में आइये बधाई दें कुशल सिंघल जी और सुनें उनकी कहानी, उनकी ज़ुबानी!

हर नारी अपने अन्दर एक कहानी छुपाए है। और अगर वह कहानी लाखों अन्य महिलाओं को प्रेरित करने की क्षमता रखती हो तो उस कहानी को लोगों तक पहुँचना ही चाहिए।

अपनी खुद की बनायी हुई सीमाओं को तोड़ा 

मेरी ज़िंदगी की भी एक कहानी है और वो कहानी होम मकेर्स को, समाज की और अपनी खुद की बनायी हुई सीमाओं को तोड़ कर भी अपने सपनों को साकार करने के लिए प्रेरित करती है। 

आज मेरी पहचान है एक सफल होम मेकर, दो बच्चों की माँ, एक व्यवसाई और एक सफल ब्लॉगर। लेकिन यह पहचान बनाने तक का मेरा सफ़र आसान नहीं था

मैंने अपनी ज़िंदगी को घर में रहकर बच्चों की परवरिश करने वाली माँ से बदल कर एक ऐसी माँ बना दिया जो बच्चों को सम्भालने के साथ साथ अपने सपनो को पूरा करने का हौसला भी रखती है। मैं मॉम चिप्पर  की संस्थापिका हूँ जो घर में रहने वाली माओं की आकांक्षाओं को समर्पित एक पूरा मंच है।

एफएमसीजी कॉर्पोरेट कर्मचारी से होम मेकर तक

2003 में, मैंने एचआर में एमबीए  पूरा किया और अपनी आँखों में बड़े सपनों के साथ कॉर्पोरेट दुनिया में अपना सफ़र शुरू किया। एक प्रसिद्ध एफएमसीजी कंपनी में लीडरशिप एंड डेवलपमेंट फंक्शन  का प्रबंधन करते हुए, मैंने अन्य कर्मचारियों को उनकी पूरी क्षमता तक पहुँचने में मदद की और मुझे अपने काम पर काफ़ी गर्व महसूस होता था। मेरी बहुत बड़ी महत्वाकांक्षाएं थीं और अपनी भूमिका में उत्कृष्ट होने के लिए उतनी ही मेहनत भी करती थी। मेरे काम के प्रति मेरी लगन और ख़ुशी की कोई सीमा नहीं थी।

विवाह, पुनर्वास और कैरियर छोड़ने का निर्णय

दो साल बाद मेरी शादी हो गई। और यह मेरे जीवन का एक अहम मोड़ बन गया। यह सब मेरे पति के कोलकाता ट्रान्स्फ़र के आदेशों के साथ शुरू हुआ और मैंने स्वेच्छा से अपनी नौकरी छोड़ कर कोलकाता जाने का फ़ैसला ले लिया। नौकरी छोड़ने का यह ख़याल उस समय मुझे बहुत आसान और स्वाभाविक लगा। हालाँकि हर एक दिन इस फ़ैसले के साथ जीना इतना आसान नहीं था।

मैं ज़िंदगी से कुछ और चाहती थी और ज़िंदगी मुझसे कुछ और ही

एक नया जीवन शुरू करने की सभी खुशियों के बीच में; मैंने अपने सफल कॉर्प्रॉट करियर के सपने को कहीं पीछे छोड़ दिया था। मैं एक मध्यम वर्गीय परिवार से हूँ और मैंने हमेशा देखा है कि मेरे मातापिता दोनों ही परिवार बनाने के लिए कड़ी मेहनत करते थे। मुझे एक महत्वाकांक्षी आत्मनिर्भर ज़िंदगी बनाने की परवरिश मिली थी और ऐसे में मुझे घर पर बैठना और कुछ भी महत्वपूर्ण नहीं करना बहुत मुश्किल लगने लगा। हर पल मैं एक कमी, एक ख़ालीपन अपने अंदर महसूस करती थी।

जीवन आगे बढ़ा और जल्द ही में 2007 में एक बच्ची की माँ बन गयी। मैंने अपने दिल और दिमाग़ को प्यार और जिम्मेदारियों से भरपूर पाया और अपनी बेटी में खुद को देखती थी। उसकी मुस्कुराहट में खुश होना सीख लिया था मैंने।

अभी भी अपने दिल के एक कोने से अपनी आवाज़ सुन सकती थी

मेरा पूरा जीवन तब मेरी बेटी की जरूरतों और इच्छाओं के आसपास केंद्रित हो गया। हालाँकि, मैं अभी भी अपने दिल के एक कोने से अपनी आवाज़ सुन सकती थी। वो आवाज़ जो मुझे जीवन में कुछ और करने की चाहत से जोड़ती थी।

इस बीच, मैंने अपने आप को एक खुशहाल व्यक्ति से एक हमेशा नाखुश और उदास रहने वाली माँ के रूप में बदलते हुए देखा। नए लोगों के साथ मिलना अब मुझे मंज़ूर नहीं था। उनका एक सवालWhat do you do?/आप क्या करती हैं?’ हर बार मेरी चोट को गहरा कर देता था।

यह समय मेरे परिवार के लिए भी कठिन था। मेरे पति मेरे बड़े इमोशनल सपोर्ट  बने, अपने काम से अक्सर समय निकालते ताकि वो मेरा और हमारी बेटी का ख़याल रख पाते।

2013 में मैं दोबारा माँ बनी, इस बार एक बेटे की। और मेरी ज़िंदगी ने एक नया मोड़ लेना शुरू किया। इसलिए नहीं क्योंकि मैं एक बेटे की माँ बनी बल्कि इसलिए क्योंकि अब मैं जानती थी अपना ख़याल रखना भी ज़रूरी है । मैने सीख लिया था ज़िंदगी में कितना ज़रूरी होता है बैलेन्स।

मैं एक गर्वित माँ हूँ, लेकिन यह मेरी एकमात्र पहचान नहीं है

जब मेरा ध्यान मेरे 2 बच्चों को पालने पर केंद्रित था, तब मैंने समझा कि उनका पालनपोषण एक आसान प्रोजेक्ट नहीं था। मैंने बहुत सी किताबें पढ़ीं और पेरेंटिंग से जुड़े हर नए शोध का अध्ययन किया। मैंने इसी बीच पेरेंटिंग कोच सर्टिफ़िकेशन भी हासिल किया। मैंने खुद को दुनिया का सामना करने के लिए तैयार किया और अपने बच्चों को खुश, स्वस्थ और सक्षम बनाने में जुट गयी। 

एक बातचीत मेरे लिए पूरी तरह से गेम-चेंजर साबित हुई

2017 में, जब मेरे दोनों बच्चे स्कूल जाने लगे थे, मैंने अपने करियर को फिर से शुरू करने का निर्णय लिया। और जब मैं सोच रही थी कि मैं क्या करना चाहती हूँ , मेरी 10 साल की बेटी के साथ एक बातचीत मेरे लिए पूरी तरह से गेम चेंजर साबित हुई। उसने मुझसे एक सरल सवाल पूछा, “माँ तुम किसमें सर्वश्रेष्ठ हो?” और उस पर मेरा तात्कालिक जवाब था, मैं आपकी माँ होने में सबसे अच्छी हूँ।

और इसी तरह मुझे अपनी असली पहचान का एहसास हुआ। मैंने सभी अभिभावकों और ख़ास करके होम मॉम्ज़ को उनके पेरेंटिंग के सफ़र में मदद करने के लिए खुद को समर्पित किया है।

मेरा सपना मेरी हक़ीक़त– मॉम चिप्पर 

Mom Chipper के माध्यम से, मेरा उद्देश्य होम मॉम्ज़ को उनकी खोयी हुई पहचान दिलाना और उनकी आवाज़ बनना है। मॉम चिप्पर ने मुझे मेरी शक्ति का अहसास दिलाया और अब मैं बहुत सी और होम मॉम्ज़ के जीवन में मूल्य जोड़ रही हूं।

मैंने महसूस किया है कि महिलाएँ सब कुछ हासिल कर सकती हैं यदि वे समाधानों को खोजने की कोशिश करें जो उनकी वास्तविकता पर आधारित हैं। मेरी सच्ची कॉलिंग को खोजने की मेरी यात्रा ने केवल एक माँ को बेहतर बनने में मदद की बल्कि मुझे वापस अपने आत्मविश्वास और सफलता को पुनः प्राप्त करने में भी मदद की। 

मूल चित्र : Canva 

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About the Author

Kushal Singhal

I Am Kushal : Founder-Momchipper, Cafewhiz : SAHM to 2 lovely kids : A Professional blogger : Entrepreneur : A Life long Learner Born & brought up in a conventional middle class Delhi family, I have always been an ambitious read more...

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