कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं? जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!
'होम-मेकर होने का मेरा सफर' कांटेस्ट की तीन बेहतरीन कहानियों की श्रृंखला में आज हम, आप सब के साथ, शुभा पाठक जी को बधाई देते हुए उनका अभिनंदन करते हैं और जानते हैं उनके इस सफर के बारे में।
‘होम-मेकर होने का मेरा सफर’ कांटेस्ट की तीन बेहतरीन कहानियों की श्रृंखला में आज हम, आप सब के साथ, शुभा पाठक जी को बधाई देते हुए उनका अभिनंदन करते हैं और जानते हैं उनके इस सफर के बारे में।
नमस्कार, मैं एक होम मेकर अर्थात गृहणी हूं।
कहने को तो गृहणी के लिए काफी कुछ कहा जाता है। जैसे, “सारा घर जिसका ऋणी है वही गृहिणी है।” अच्छा लगता है जब ये सुनने को मिलता है, पर हर घर के लोगों की सोच एक जैसी नहीं होती। हालांकि इसका मतलब ये नहीं कि होम मेकर होने से आपका महत्व कम हो जाता है, बल्कि मैं तो यही सोचती हूं कि आप ही तो हैं जो इस घर को घर बनाती हैं।
कई लोग ये सोचते हैं कि इन लोगों को तो आराम है, घर पर ही तो रहती हैं इनके पास क्या काम है, पर क्या आप ये जानते हैं कि एक गृहणी होने के लिए कितने धैर्य की आवश्यकता है?
जब आप सुबह सबके उठने से पहले उठकर उनके चाय – नाश्ते का ध्यान रखती हैं, घर के छोटे बच्चे से लेकर, पति, सास – ससुर, मेहमानों या घर आने वाले रोज़ के रिश्तेदारों की हर ज़रूरत को पूरा करने में खुद की इच्छाओं को भी अनदेखा करती हैं या फिर सभी के खाने – पीने, दवाइयों , सामान, कपड़े और बर्तनों को इतनी प्राथमिकता देती हैं कि कई बार अपने स्वास्थ्य की भी अनदेखी कर देती हैं।
और जब इन सब के बाद भी कोई आपकी तारीफ में दो शब्द तो क्या बल्कि अगर गलती से भी कोई चूक हो जाए तो सुनाने में नहीं चूकते। तब मन में ये ख्याल अवश्य ही आता है कि इस घर से तो नौकरी ही भली।
आप कोई भी काम करें, आर्थिक स्वतंत्रता के साथ साथ आपको उससे पहचान, प्रशंसा, प्रमोशन, शाबाशी या फिर आगे बढ़ने के अवसर मिलते हैं, पर क्या आपने कभी सोचा है कि एक होम मेकर की सैलरी, इंसेंटिव, बोनस और प्रमोशन क्या हैं???
जी हां, सिर्फ एक प्यार भरी थपकी, उसके प्रयासों का सम्मान, उसकी तारीफ, छोटी गलतियों की अनदेखी, और कभी उसके लिए बनाई गई आपके हाथ की प्यार भरी चाय!
मैं अपने आपको इस मामले में बहुत ही भाग्यशाली कहूंगी क्योंकि मेरे जीवनसाथी सही मायने में मेरी भावनाओं का सम्मान करते हैं। मेरी थकान को समझना, मेरे साथ काम में हाथ बंटाना, मेरी गलतियों को अनदेखा करना, तो कितनी बार अपने हाथ की चाय से मुझे उठाना।
पर हर कोई इतना भाग्यशाली नहीं होता।
ज़रूरत है आप होम मेकर को उसका उचित दर्जा दें क्योंकि वो खुद से पहले आप और आपके घर को दर्जा देती है। वो भी एक इंसान है मशीन नहीं ये समझने की कोशिश उसके लिए उसकी सैलरी होगी। उसके काम को तारीफ के दो बोलों का बोनस दीजिए। उसके थकान से भरे चेहरे को हाथ में लेकर कभी प्यार से सहला देना उसके लिए किसी प्रमोशन से कम नहीं।
कई बार ना चाहते हुए भी ज़िंदगी आपको ऐसे मोड़ पर लाकर खड़ा कर देती है कि आपको अपने सपनों का त्याग करना पड़ता है। कभी घर, कभी घरवाले तो कभी बच्चे आपकी पहली प्राथमिकता बन जाते हैं। जब कोई स्त्री आपको प्राथमिकता देकर, अपने सपनों को छोड़कर, अपने करियर को त्यागकर पूरी तरह केवल परिवार के लिए समर्पित हो जाती है तो फिर घर और घरवालों सबका ये फ़र्ज़ बनता है कि उसके त्याग का उचित सम्मान करें। उसको घर की रानी का दर्जा दें न कि बात बात पर कमी निकालकर उसको नौकरानी जैसा महसूस कराएं।
कई मामलों में औरत खुद भी अपने आपको कमतर आंकती है जो कि गलत है। दूसरों के कहने से अपना आकलन ना कीजिए बल्कि अपने आपकी योग्यता खुद पहचानिए।
आप किसी ऑफिस में हों या घर में हों, आप कामकाजी ही कहलाएंगी क्योंकि आपके बिना घर बिना रीड की हड्डी के समान शरीर है। बस ज़रूरत है अपने हर काम को उचित सम्मान देने की फिर चाहे आप कुकिंग करें या फाइल वर्क दिमाग और हाथ दोनों में इस्तेमाल होते हैं।
मैं तो अपने घर की रानी हूं क्यूंकि मेरे लिए घर संभालना किसी राज पाट संभालने से कम नहीं।
और आप?
बताइएगा ज़रूर!
मूल चित्र : Canva
read more...
Please enter your email address