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‘होम-मेकर होने का मेरा सफर’ कांटेस्ट की तीन बेहतरीन कहानियों की श्रृंखला में आज तीसरी कहानी है विनीता धीमान की! विनीता आपको हार्दिक बधाई!
आज, मैं आपको अपने बारे में बताती हूँ। मैं एक साधारण सी शक्ल-सूरत वाली पढ़ी-लिखी लडक़ी…या अब कहूँ औरत हूँ।
मेरा बचपन बीकानेर राजस्थान में बीता है। बचपन से ही मैं अपने पापा की लाडली रही। मेरे पापा मेकेनिकल इंजीनियर हैं और वहीं ऊन की फैक्ट्री में काम करते थे। हम चार भाई बहिन है, पापा ने हम को बहुत प्यार से पाला-पोसा। कभी-कभी तो मम्मी की मार से भी बचाया, जहां मम्मी को बहुत जल्दी गुस्सा आता था। इसके पीछे भी सबक था कि मैं आगे आने वाले समय की लिए तैयार हो गयी। मैंने बी.एड, एम.फिल किया उसके बाद मुझे बैंक में डाटा एंट्री की जॉब मिल गई।
कुछ समय नौकरी करने के बाद पापा ने शादी करवा दी और मैं अपने ससुराल में बिना कोई परेशानी के एड्जस्ट हो गई। मेरे ससुराल में सास, ससुर, देवर, पति सब हैं।
यहां दिल्ली में मेरी एक स्कूल में जॉब लग गयी लेकिन अपनी बेटी होने के कारण मुझे स्कूल छोड़ना पड़ा और उसके ढाई साल के बाद मैंने फिर से स्कूल जॉइन कर लिया। सोचा था कि अब सब अच्छे से होगा मेरा स्कूल और घर सब बढ़िया चल रहा था।
लेकिन भगवान को कुछ और ही मंजूर था और मैं फिर से प्रेग्नेंट हो गयी इस बार प्रेग्नेंसी में दिक्कतें थीं, तो डॉक्टर्स ने ज़्यादा काम न करने को कहा। सब ने कहा जॉब छोड़ दो लेकिन मैंने पूरे 7 महीने जॉब की। फिर शरीर ने जवाब देना शुरू कर दिया और मुझे अपनी नौकरी छोड़नी पड़ी।
अब तो मैं दो बच्चों की माँ हूँ। फिर सब कहते है कि परिवार पूरा हो गया तो तुम फिर से नौकरी कर लो, लेकिन अब मैंने सोचा है कि मुझे पहले अपना घर और बच्चों की देखभाल करनी है। मेरे पति ने भी कभी भी दवाब नहीं बनाया है कि तुम घर में क्यों रहती हो? बाकी औरतों की तरह नौकरी क्यों नहीं करतीं? उनका कहना है कि एक होम-मेकर होना भी बहुत मुश्किल वाली 24 घण्टे की नौकरी है। इसमें न तो छुट्टी मिलती है और न ही कोई तनख्वाह। एक औरत अपने प्यार से घर का सारा काम भी करती है और अपने बच्चों की भी देखभाल करती है।
होम-मेकर के साथ मेरी नई पहचान मेरा लेखन जो अब तक मुझ तक सीमित था, उसे मैंने अपना नया जॉब बना लिया। अब मैं एक हिंदी ब्लॉगर बन गयी और इस मंच पर मैंने ब्लॉग लिखने शुरू कर दिए। और अब मेरा सपना कि मैं जॉब करूँ वो पूरा होने लगा। अब मैं अपने परिवार के साथ इस नई जॉब को भी अच्छे से कर रही हूं, और बहुत खुश भी हूँ… अब आप सोचोगे कि क्या कमा रही हूँ? अब मैं अपने पढ़ने का प्यार पा रही हूँ जो किसी पैसे का मोहताज नही है।
सच मे यहाँ पर मैंने बहुत प्यार पाया, फॉलोवर्स मिले, नए दोस्त मिले और मुझे एक नई पहचान मिली।
इस तरह मैने जब तक नौकरी की तब तक परिवार और पति का साथ मिला और अब जब अपने घर के साथ साथ अपने लेखन को भी निखार रही हूँ। अब सब मेरे जान पहचान वाले भी मेरे होम मेकर के इस सफ़र को सलाम करते है और मेरी कलम से निकले ब्लॉग्स, कविताओं और कहानियों को अपने आप से जोड़ कर खुश हो जाते है और उनके द्वारा किये गए कमेंट्स को पढ़कर मैं अपनी होम-मेकर की जॉब को जी लेती हूँ।
मैं अपने इस होम-मकेर के साथ लेखक, ब्लॉगर के कभी न खत्म होने वाले सफर से बहुत खुश हूँ यहाँ से मुझे कोई निकाल नहीं सकता। न ही मुझे कोई सेवानिवृत्त कर सकता है।
आपको मेरी नयी पहचान कैसी लगी? मुझे ज़रूर बताएं।
मूल चित्र : Canva
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