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कैप्टन लक्ष्मी सहगल एक डॉक्टर और राजनेता से कहीं बढ़कर थीं

कैप्टन लक्ष्मी सहगल, INA की एक क्रांतिकारी सेनानी, डॉक्टर और राजनेता, जिन्होंने देश को आज़ादी मिलने के बाद भी, देश की सेवा की। 

कैप्टन लक्ष्मी सहगल, INA की एक क्रांतिकारी सेनानी, डॉक्टर और राजनेता, जिन्होंने देश को आज़ादी मिलने के बाद भी, देश की सेवा की। 

अनुवाद : पल्लवी वर्मा 

आज़ादी से पहले लक्ष्मी सहगल का जीवन

“लड़ाई जारी रहेगी”, ये वाक्य सहगल ने बर्कले के एक युवा फिल्म निर्माता से कहा, जो उनके जीवन पर एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म बना रहे थे। 

अनुकरणीय नेताजी सुभाष चंद्र बोस के डायरेक्शन में INA में एक क्रांतिकारी के रूप में उनका संघर्ष सभी जानते  हैं। लेकिन एक सिक्के का हमेशा दूसरा पहलू भी होता है।

उन्हें आईएनए की एक इंटीग्रेटेड विंग, झांसी रेजिमेंट की रानी की अन्य दक्ष कैडेटों के साथ राइफलें, बायोनेट चार्जेस और हैंड ग्रेनेड का उपयोग करने के लिए प्रशिक्षित किया गया था। कैप्टन लक्ष्मी को ब्रिटिश सेना ने मई 1945 में गिरफ्तार किया था और  उन्हें मार्च 1946 तक बर्मा के जंगलों में नजरबंद रखा गया था।

भारत लौटने के बाद, उन्होंने मार्च 1947 में INA के एक प्रतिष्ठित नेता, कैप्टन प्रेम कुमार सहगल से शादी कर ली थी। जब यह दंपति लाहौर से कानपुर आई, तो लक्ष्मी ने खुद को  पाकिस्तान से आए शरणार्थियों की बाढ़ मे झोंक दिया और मेडिकल प्रेक्टिस में ही खुद को पूरी तरह डुबो दिया। उन्होंने हिंदुओं और मुसलमानों दोनों का ही आभार और विश्वास अर्जित किया।

माकपा में लक्ष्मी सहगल की गतिविधियाँ

लक्ष्मी की बेटी ,सुभाषिनी 1980 की शुरुआत में माकपा (भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, मार्क्सवादी) में शामिल हो गईं। उन्होंने ज्योति बसु (उस समय पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री) की अपील पर अपनी माँ का ध्यान आकर्षित किया ताकि बांग्लादेशी रिफ्यूजी कैंप में मैडिकल एक्सपर्ट्स को काम पर रखा जा सके।

कैप्टन लक्ष्मी ने बॉर्डर एरिया में पांच हफ्ते तक सेवा की और रिफ्यूजियों को कपड़े और दवाइयां भी प्रदान कीं। वह तब 57 साल की थीं और उनके लिए कम्युनिस्ट पार्टी में शामिल होना उनके घर वापस आने जैसा था। उसकी सोच हमेशा से कम्युनिस्ट थी।  वह कभी भी बहुत सारा पैसा कमाना या भारी संपत्ति या धन जोड़ना नहीं चाहती थी ।

https://www.youtube.com/watch?v=eaY3uZ7lcb0

एआईडीडब्ल्यूए में गतिविधियां

1981 के वर्ष में, कैप्टन लक्ष्मी AIDWA (ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक वुमेन्स एसोसिएशन कम्युनिस्ट पार्टी की महिला शाखा) की फाउंडर्स में से एक थीं। 1984 में भोपाल गैस त्रासदी के बाद उन्होनें, शहर में, अपनी समर्पित चिकित्सा टीम के साथ एक सर्वे किया और एक साल बाद गर्भवती महिलाओं पर गैस के लॉन्ग टर्म  प्रभावों की रिपोर्ट दी। सिख विरोधी दंगों के दौरान, वह सिख विरोधी भीड़ का सामना करते हुए, कानपुर की सड़कों पर निकल गई थीं और उन्होंने यह भी सुनिश्चित किया कि उनके क्लिनिक के आस पास कोई सिख या सिख इस्टैब्लिशमेंट पर हमला न करे। 1996 में एक अभियान, जो AIDWA के नेतृत्व में बैंगलोर में आयोजित मिस वर्ल्ड प्रतियोगिता के खिलाफ था, में भाग लेने के जुर्म में लक्ष्मी को गिरफ्तार किया गया था।

राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार

2002 में  कैप्टन लक्ष्मी को राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में लेफ्ट की ओर से नामित किया गया था, जिसमें जीत डॉ एपीजे अब्दुल कलाम की हुई थी। 

उन्होंने जनसभाओं को संबोधित करते हुए देश भर में एक ज़बरदस्त अभियान चलाया और स्पष्ट रूप से यह स्वीकार किया कि वह कोई जीतने का मौका नहीं तलाश रहीं बल्कि, इस मंच के द्वारा उन राजनितिक साम्राज्य का निरीक्षण कर रही हैं, जिसने देश में गरीबी और अन्याय फैला रखा है। उन्होंने अपने गुरु नेताजी की शानदार और प्रभावशाली विचारधाराओं को जन-जन तक पहुँचाया। उनके भाषण, सामाजिक गतिविधियाँ, पार्टी के सदस्यों और आम लोगों के साथ होने वाली उनकी मुठभेड़, राजनीतिक रणनीतियाँ, वगैरह नेताजी के सिद्धांतों से बहुत प्रभावित थे। नेताजी के साथ काम करते समय उनके सिद्धांत लक्ष्मी के मन और आत्मा मे समा चुके थे।

कैप्टन लक्ष्मी के पास खुशीयों और आशाओं की अपार शक्ति थी, जिसे वह सबमें बांटती जाती चाहे वो कोवर्कर्स हों, पेशेंट हों, फैमिली हो, या दोस्त। 

20 वीं सदी से लेकर 21 वीं शताब्दी की शुरुआत का समय, कैप्टन लक्ष्मी के जीवन का अभिन्न और अटूट हिस्सा था। इन 65 वर्षों में  ब्रिटिश अत्याचारों के खिलाफ संघर्ष, स्वतंत्रता और राष्ट्र निर्माण जैसे कठोर ऐतिहासिक परिवर्तन, में वह हमेशा समाज के गरीब और उपेक्षित वर्ग की रीढ़ की तरह रहीं। उनके जीवन के प्रत्येक चरण ने उनके राजनीतिक विकास के एक नए आयाम का प्रतिनिधित्व किया।

लक्ष्मी सहगल लोगों की मित्र थीं

स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल एक युवा के रूप में, मेडिकल छात्र के रूप में, आईएनए की झांसी रेजिमेंट की कमांडर के रूप में, एक चिकित्सक के रूप में, जो शरणार्थियों का समान रूप से इलाज करते हैं, सीपीआई (एम) के सदस्य के रूप में जो राजनीतिक या सामाजिक और आर्थिक न्याय के लिए अभियान चलाते हैं, चाहे कोई भी क्षेत्र हो कप्तान लक्ष्मी ने एक बेहतर भारत के लिए अपने अदम्य उत्साह के साथ सभी बाधाओं के खिलाफ लड़ाई लड़ी।

उन्होंने एक फ्रीडम फाइटर, निष्ठावान मेडिकल प्रैक्टिशनर और भारत में महिलाओं के हित में प्रभावशाली  नेता की भूमिका पूरे न्याय के साथ निभाई। उन्होंने बलिदान और सेवा की विरासत के साथ अपना देश आधुनिक पीढ़ी को सौंपा है अब इसका ध्यान आने वाली पीढ़ी को रखना होगा ।

कैप्टन लक्ष्मी सहगल का 6 साल पहले 23 जुलाई 2012 को एक लंबे और अच्छे जीवन के बाद 98 साल की उम्र में कानपुर में निधन हो गया ।

मूल चित्र : YouTube 

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