कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं? जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!
सैनिटरी नैपकिन COVID-19 लॉकडाउन के दौरान महिलाओं को साफ और सुरक्षित रखने के लिए एक आवश्यक वस्तु है। क्या हमारे देश में इसका इंतज़ाम पर्याप्त मात्रा में है?
जैसा कि पूरा इंडिया लॉकडाऊन हो गया है, तो इसमें कई एसेंशियल चीज़ो का प्रोडक्शन पूरी तरह से बंद हो चुकी है। क्यूंकि रॉ मैटेरियल्स की सप्लाई बंद हो चुकी है और मजदूर काम पर नहीं आ पा रहे हैं, तो इसी वजह से कई ज़रूरी सामन की बाज़ारों में किल्लत आ गयी है। और, उन्ही में से एक हैं, महिलाओं के लिए बेहद ज़रूरी, सेनेटरी नैपकिन। उसका प्रोडक्शन भी पूरी तरह से बंद हो गया।
जब कई मीडिया हाउसेस ने इस मुद्दे को सरकार के सामने रखा तो इसके बाद हाल ही में सरकार ने एसेंशियल सामानों की रिवाइज़ड लिस्ट जारी करी और उसमे सेनेटरी नैपकिन को भी शामिल करा गया। इस आर्टिकल को लिखते वक़्त खबर आयी कि अब उसकी प्रोडक्शन फैक्ट्रीज़ वापस से शुरू कर रही हैं। नोट करने की बात ये है कि कई राज्य सरकारों जैसे तेलांगना और कर्नाटक ने इसे पहले ही एसेंशियल लिस्ट में शामिल कर दिया था।
लेकिन दिक्क़ते यहाँ ख़त्म नहीं होतीं। सबसे पहले तो कई दिनों तक इसका प्रोडक्शन बंद रहा, तो इसकी वजह से बाज़ारो में इसकी कमी हो गयी है। अगर हम ऑनलाइन देखते हैं तो लगभग सभी पोर्टल्स पर ये आउट ऑफ़ स्टॉक हो चुके हैं या इनका दाम बढ़ चुका है। लोकल शॉपकीपर्स भी अपनी मोनोपोली चला रहे हैं और अपनी मर्ज़ी के दाम लगा रहे हैं। ऐसे में आम नागरिक के लिए इसे खरीद पाना बहुत मुश्किल हो गया है।
अगर हम देखें तो इंडिया की 10-15% पैड की डिमांड चीन से पूरी होती है। और अभी सभी प्रकार के आयत-निर्यात बंद है तो ये भी एक समस्या है। साथ ही साथ इसमें इस्तेमाल होने वाले रॉ मैटेरियल्स जैसे वुड पल्प, सॉफ्ट टिश्यू पेपर, रिलीज़ पेपर, हॉट मेल्ट गम आदि की सप्लाई बंद हो चुकी है। तो इसकी वजह से फैक्ट्रीज चाहते हुए भी इसका प्रोडक्शन नहीं कर पा रही हैं। और अगर ये स्टॉक में हैं भी, तो वर्कर्स काम पर नहीं आ पा रहे हैं। कई लोग अपने गांव चले गए हैं या फिर जो रह गए हैं उन्हें कोई साधन नहीं मिल पाता है। तो इन्हीं सब कारणों से इसका प्रोडक्शन अभी भी पूरी तरह से चालू नहीं हुआ है।
इसी कारण सेनेटरी नैपकिन की कमी हो गयी है, तो महिलाओं के लिए एक नई समस्या आ गयी है। अगर हम रूरल इंडिया की बात करें तो वहाँ तो औरतें और लड़कियां सभी आंगनबाड़ी और स्कूल से मिलने वाले सेनेटरी नैपकिन्स पर ही पर निर्भर रहतीं हैं, जो की अब पूरी तरह से बंद हो चुकी है। तो उन्हें कपड़ा या कोई और दूसरा विक्लप चुनना होगा, जो उनकी सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है।
शायद आज यह दिक्कत हमारे सामने नहीं होती, अगर सरकार ने इस पर पहले ही ध्यान दिया होता। ख़ैर अब हम बायोलॉजिकल प्रोसेस तो नहीं रोक सकते हैं, तो इस मुश्किल घड़ी में हम औरतें ही एक दूसरे की मदद कर सकते हैं। कोशिश करें कि अगर आपके आसपास किसी भी महिला को इसकी ज़रूरत हो तो आप मदद के लिए हाथ आगे बढ़ाये। उन्हें जागरूक भी करें और एक बेहतर विकल्प चुनने के लिए आग्रह करें। इस समय मेंस्ट्रुअल कप वरदान की तरह साबित हो सकते है, रीयूसेबल नैपकिन भी एक अच्छा विक्लप हो सकता है। शायद, अभी ये वक़्त इन सब बातों की चर्चा करने का नहीं है।
इस समय सभी को एक दूसरे की मदद कर देश को इस मुश्किल घड़ी से निकलना है, लेकिन अगर आपके सामने सच में ऐसी सिचुएशन आ जाये, तो आप क्या सुझाव देंगी?
मूल चित्र : YouTube
A strong feminist who believes in the art of weaving words. When she finds the time, she argues with patriarchal people. Her day completes with her me-time journaling and is incomplete without writing 1000 read more...
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