कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं? जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!
माना कि थप्पड़ मारना ग़लत था, लेकिन आज मैं यहां एम टीवी रोडीज़ 17 में नेहा धूपिया की कही बात पर बात करना चाहती हूं जिससे मुझे थोड़ी परेशानी है।
टीवी चैनल MTV युवा लोगों के बीच खासा पसंद किया जाता है। इसपर ऐसे कई शो आते हैं जिन्हें आजकल की जेनेरेशन में सबसे ज्यादा देखा जाता है। ऐसा ही एक शो है रोडीज़। कई सालों से चल रहे इस कार्यक्रम का 17 वां सीज़न चल रहा है। इस बार का थीम रखा गया है रोडीज़ रेव्लयूशन जिसके ज़रिए ऐसे-ऐसे युवाओं को आगे आने के लिए कहा जा रहा है जो अपने काम से समाज में कुछ बदलाव ला चुके हैं या ला सकते हैं।
मैं ख़ुद इस प्रोग्राम को देखती हूं और कई बार कुछ कंटेस्टेंट सच में काफ़ी अच्छे होते हैं। हां, क्योंकि टीआरपी के लिए इसे भी बाकी शोज़ की तरह काफी मसाला चाहिए होता है, तो फ़िज़ूल की लड़ाइयां, कुछ नाकारा कंटेस्टेट भी आपको दिख ही जाएंगे।
इस शो के 5 जज हैं – रणविजय, रफ्तार, प्रिंस, निखिल चिनप्पा और नेहा धूपिया जिन्हें आप जानते ही होंगे। ये सभी ऑडिशन में आने वाले कंटेस्टेट में से चुनकर अपनी टीम बनाते हैं। इनकी भी कई बातें इस शो की रेटिंग में तड़का लगाने का काम करती हैं।
इस बार ऐसी ही कुछ बात कर दी है रोडीज़ 17 में नेहा धूपिया ने। एक कंटेस्टेंट करण कपूर का ऑडिशन हो रहा था। उसने एक बार अपनी गर्लफ्रेंड को थप्पड़ मार दिया था। वो ये दावा कर रहा था कि उसने ऐसा इसलिए किया था क्योंकि उसकी गर्लफ्रेंड चीटिंग कर रही थी और 4 लड़कों को डेट कर रही थी। इस पर नेहा ने करण को चिल्ला कर कहा कि ‘अगर उस लड़की के 5 व्बॉयफ्रेंड थे तो ये उसकी च्वाइस है, तू कौन होता है किसी लड़की को थप्पड़ मारने वाला। शायद तुझमें ही कोई दिक्कत होगी कि उसके तेरे अलावा भी ब्वॉयफ्रेंड थे।”
https://youtu.be/x1wZBxkIrbc
अब मैं यहां ये बिल्कुल भी नहीं कह रही कि उस लड़के ने जो किया वो सही किया। थप्पड़ मारना ग़लत था। लेकिन मैं यहां रोडीज़ 17 में नेहा धूपिया की बात पर बात करना चाहती हूं जिससे मुझे थोड़ी परेशानी है। उन्होंने जो कहा चलिए वो भी ठीक है, लेकिन पिछले साल एक लड़की के ऑडिशन के दौरान भी कुछ ऐसा ही वाक्या हुआ था तब नेहा ने कुछ और ही कहा था।
उस लड़की ने कहा कि मेरे 4 ब्वॉयफ्रेंड हैं जिन्हें उसने मारा था और उसके अलावा भी कई रहे हैं। तब नेहा धूपिया ने कुछ नहीं कहा था उल्टा काफी हल्के फुल्के अंदाज़ में ये बात ख़त्म हो गई थी।
मुझे तकलीफ़ इस बात से हुई कि या तो नेहा उस लड़की की बात भी सवाल करतीं या फिर करण कपूर की बात पर भी वैसे ही रिएक्ट करतीं। एक समय के बाद नेहा के डायलॉग्स मुझे नकली लगने लगे। जो बात ग़लत होती है वो ग़लत ही होती है, इसमें जेंडर का नाम लेकर हल्ला करने की कोशिश नहीं होनी चाहिए।
इस साल 8 मार्च को इंटरनेशनल विमेंस डे का थीम था ईच फॉर इक्वल यानि हम किसी को किसी से ज्यादा या कमतर नहीं समझते। महिलाओं को भी पुरुषों की ही तरह समान अधिकार और समान सम्मान मिलना चाहिए। एक जैसे काम के लिए एक जैसी कमाई होनी चाहिए, पति-पत्नी दोनों काम करते हों तो घर का काम भी आधा-आधा होना चाहिए। क्योंकि हम महिलाएं हैं और शारीरिक तौर पर लड़कों से कमतर हैं इसका ये मतलब ये नहीं है कि हमारा लड़कों को मारना सही है या उन्हें हमारा मारना सही है। हिंसा किसी भी तरीके की किसी पर भी ग़लत ही है।
रोडीज़ 17 में नेहा धूपिया का ये बयान आने के बाद सिर्फ हम ही नहीं, सोशल मीडिया पर कई लोगों को उनसे नाराज़गी हुई। सोशल मीडिया की फौज उनपर अब तक कई मीम्स और कमेंट्स लिखकर ट्रोल कर चुकी है।
कई दिन बाद नेहा ने भी चुप्पी तोड़कर अपने सोशल मीडिया पर इस बात की सफ़ाई दी लेकिन लोगों को वो ज्यादा पसंद नहीं आई क्योंकि अपनी पोस्ट में नेहा ने अपनी बात पर कमेंट करने से ज्यादा इस बात का दुहाई दी कि लोग उनके साथ-साथ उनके परिवार के सदस्यों को भी गालियां दे रहे हैं। वो लिखती हैं, ‘मैं पिछले 5 साल से रोडीज़ का हिस्सा हूं। इसने मुझे देश के सभी हिस्सों से एक टीम बनाने का मौका दिया। लेकिन पिछले 2 हफ्तों से जो कुछ ही हो रहा है उसे मैं स्वीकार नहीं करती हूं। हाल ही में एक एपिसोड में मैंने हिंसा के खिलाफ आवाज उठाई। एक लड़के ने बताया कि उसकी पार्टनर ने उसे धोखा दिया था। इसके बदले में लड़के ने लड़की के साथ मारपीट की। ये बात मुझे गलत लगी। मैं चीटिंग करने वालों का सपोर्ट नहीं करती हूं लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि मेरी बातों को गलत तरीके से पेश किया गया।’
अब यहां जो नेहा ने लिखा है वो बात बिल्कुल सही है और उनके परिवार के सदस्यों के साथ लोगों का इस तरह का बर्ताव भी ग़लत है लेकिन डियर नेहा काश कि आपने जो लिखा है वैसा ही होता। आपको ये मानना होगा कि आपने जैसा रिएक्ट किया था वो भेदभाव वाला था। आपने अपनी इस पूरी पोस्ट में वो बात नहीं कि जब आपने एक लड़की को ऐसी ही बात पर कुछ नहीं कहा था। आपने हिंसा के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई हमें अच्छा लगा लेकिन थोड़ा फेक भी।
फेमिनिज़्म जिसे हिंदी में नारीवादी भी कहते हैं उसका असल मतलब है ऐसा सिद्धांत जो स्त्रियों और पुरुषों को समान अधिकार और अवसर मिलने चाहिए। जन्म लेने का समान अधिकार (गर्भपात रोकना), समान परवरिश का अधिकार, व्यावसायिक जीवन में समानता का अधिकार, सुरक्षा का समान अधिकार, जीवन के अहम फ़ैसले लेने का समान अधिकार।
हमें फेक फेमनिज़्म से बचने की बेहद ज़रूरत है क्योंकि यही वजह है कि हमें जो लड़ाई लड़नी है वो ना लड़कर हम किसी और ही वजहों पर शोर मचाते रहते हैं। छोटे कपड़े आपकी मर्ज़ी है तो पहनिए लेकिन आप बस इसलिए पहन रही हैं कि आपको अपना अधिकार चाहिए और लोगों को दिखाना है कि आप कुछ भी कर सकती हैं, तो मेरे हिसाब से वो वजह ग़लत है।
हमें सोच में फर्क लाना है और उसके लिए बहुत लंबी लड़ाई लड़नी है। सिर्फ महिला होने का फायदा उठाकर किसी पर झूठे आरोप लगाना या फिर चिल्लाना नहीं है। जो महिलाएं सच में ज़मीन से जुड़कर हक की लड़ाई लड़ रही हैं, उनका साथ देना है ना कि “मैं औरत हूं मुझे सीट दो”, “मैं औरत हूं मेरे साथ ऊंची आवाज़ में बात मत करो”, “मैं औरत हूं मुझे हाथ भी लगाया तो केस कर दूंगी”, ये सब करने से पहले, “मैं औरत हूं मुझे पैदा होने से पहले ही मत मारो”, “मैं औरत हूं मेरे साथ हर काम में हाथ बंटाओ”, “मैं आराम से बात करूं तो तुम भी चिल्ला कर बात मत करो”, “मैं सच्चाई से अपना रिश्ता निभाऊं तो तुम्हें भी निभाना होगा और मैं ना निभा पाऊं तो तुम भी आज़ाद हो”…
हमें किसी समाज को पुरुष प्रधान या महिला प्रधान नहीं बनाना है बस एक समान बनाना है।
मूल चित्र : YouTube
read more...
Please enter your email address