कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं?  जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!

मम्मी जी आप तो अभी भी कितनी एक्टिव हो!

क्या यह उचित है कि घर का एक वर्ग तो काम करता रहे और एक वर्ग आराम से बैठकर मौज मनाएं। जब घर सबका है तो घर के काम भी सबके होने चाहियें।

क्या यह उचित है कि घर का एक वर्ग तो काम करता रहे और एक वर्ग आराम से बैठकर मौज मनाएं। जब घर सबका है तो घर के काम भी सबके होने चाहियें।

“अरे रिया बेटा तुमने अभी तक कपड़े प्रेस नहीं किए? अभी रवि नहा कर आते ही पूरे घर को सिर पर उठा लेगा…”

“तुम्हें पता है तुम्हारे पापाजी और रवि की एक जैसी आदत है, मैंने कभी भी दोनों को कोई काम नहीं करने दिया, सारे काम मैं खुद ही करती आयीं हूं…”

“अब तो उनकी ऐसी आदत है कि इन दोनों को हर चीज़ समय पर चाहिए। सुबह की बेड टी से लेकर रात को हल्दी वाले दूध तक…और एक तुम हो जो उसकी बात को एक कान से सुनकर दूसरे कान से निकाल देती हो”, शांता जी ने अपनी प्यारी सी बहूरानी रिया से कहा।

“मम्मीजी मुझे इस घर में आये हुए अभी 3 महीने ही तो हुए हैं। धीरे धीरे मैं भी आपकी तरह स्मार्ट बन जाऊँगी। जिस तरह से आप काम करती हो, उसी तरह से मैं भी हर काम को बहुत जल्दी और अच्छे से पूरा कर दूंगी।”

“मुझे रवि बता रहे थे कि तुम मम्मी को काम करते हुए देखा करो, किस तरह से मेरी मम्मी अपने दोनों हाथों से कैसे काम करती हैं। एक साथ तीन-चार काम तो निपटा ही देतीं हैं। वे कह रहे थे कि तुम्हें मेरी मम्मी से बहुत कुछ सीखना होगा। तुम मम्मी से ट्रेनिंग लो घर संभालने की, ताकि तुम भी मेरी मम्मी की तरह कुशल ग्रहणी बन सको।”

“मम्मी जी, आप बहुत एक्टिव हैं”, रिया ने कहा।

अपनी बहू के मुँह से अपनी तारीफ सुनकर शांता जी बोलीं, “बेटा तू बैठ और मुझे देख किस तरह से मैं काम करती हूँ।”

फिर क्या था, शांता जी काम करने लग गयी और रिया एक कोने में बैठ कर अपनी सास को देखती रही, ताकि कुछ समय के बाद वो भी घर के काम करने में अपनी भागीदारी दे सके…. और एक कुशल पत्नी, ग्रहणी बन सके।

दोस्तों क्या यह उचित है कि घर का एक वर्ग तो काम करता रहे और एक वर्ग आराम से बैठकर मौज मनाएं। जब घर सबका है तो घर के काम भी सबके होने चाहिए। हमे अपने घरों के पुरुषों से काम करवाना चाहिये ताकि हमारी आगे आने वाली पीढ़ियों में लैंगिक भेदभाव को खत्म किया जा सके। अब ऐसा ना हो कि औरतों और आदमियों के काम को सीमित कर दिया जाए।

आज भी कई घरों में महिलाएं ही सारे काम करती है, पुरुष तो एक गिलास पानी भी खुद लेकर नहीं पीते।  आपका क्या सोचना है इस बारे में।

मेरा ब्लॉग पसंद आये तो आप मुझे लाइक ,फॉलो भी कर सकते हैं, प्लीज ब्लॉग को अपने  फ्रेंड्स के साथ शेयर भी करे।

मूल चित्र : Canva 

विमेन्सवेब एक खुला मंच है, जो विविध विचारों को प्रकाशित करता है। इस लेख में प्रकट किये गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं जो ज़रुरी नहीं की इस मंच की सोच को प्रतिबिम्बित करते हो।यदि आपके संपूरक या भिन्न विचार हों  तो आप भी विमेन्स वेब के लिए लिख सकते हैं।

About the Author

90 Posts | 613,100 Views
All Categories