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बेन टेलर के निर्देशन में बनी इस वेब सीरीज़ में, स्कूली बच्चों से लेकर अधेड़ उम्र के लोगों की सेक्स से जुड़ी समस्याएं को बेहतरीन ढंग से पेश किया गया है।
हिंदी पत्र-पत्रिकाओं के डाक्टरी सलाह के कालमों का वस्तुनिष्ठता के साथ रिसर्च किया जाए, तो सबसे पहले यही निष्कर्ष निकलता है कि भारतीय समाज में ‘सेक्स’ के बारे में कितनी तरह की भ्रांतियां हैं। सुनी-सुनाई बातों के कारण और सेक्स के बारे में सामाजिक बाध्यताओं के कारण सेक्स के बारे में छोटी-छोटी बातें भी लोगों के लिए परेशानियों का सबब हैं।
यह उस भारतीय समाज की स्थिति है जिस देश में ‘कामसूत्र’ को लेकर शानदार साहित्य ही नहीं लिखा गया, उसको अजन्ता-एलोरा के दीवारों में उकेरा भी गया। जिसने कई देशों के लिए रिसर्च के लिए दिलचस्पी भी पैदा की। उस भारतीय समाज में ‘सेक्स एडुकेशन’ को लेकर पूर्वाग्रही सोच के वज़ह से सही जानकारी का अभाव तो है, लोग इस की बात भी दबी ज़ुबान में ही करते हैं।
मनोरंजन के नया माध्यम नेटफिलक्स, जो धीरे-धीरे लोगों का चहेता माध्यम बनता जा रहा है, उसपर एक शानदार वेब सीरिज़ है, सेक्स एजुकेशन जिसके दो सीज़न आ चुके हैं। यह हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में उपलब्ध है। युवाओं को, खासकर भारतीय युवाओं को देखनी चाहिए। मजे की बात यह है कि विदेश में बनी यह वेब सीरीज़ भारत में जमकर देखी जा रही है, नेटफिलक्स ने इसे सबसे ज़्यादा देखे जाने वाली वेब सीरीज़ में शामिल किया गया है।
बेन टेलर के निर्देशन में बनी इस वेब सेरीज़ में, स्कूली बच्चों से लेकर अधेड़ उम्र के लोगों की सेक्स से जुड़ी समस्याएं को बेहतरीन ढंग से पेश किया गया है। कहानी का ज़्यादा फोकस टीनएजर्स के रिलेशनशिप और सेक्सलाइफ पर ही है। ये कहानी है 16 साल के लड़के ओटिस की, जिसकी माँ एक मशहूर सेक्स थैरेपिस्ट है। ओटिस अपने ग्रुप में इकलौता वर्जिन लड़का है, जिसका उसे मलाल है। अपने वर्जिन होने की उसे एक अजीब सी खीझ है। उसकी माँ जीन मैलबर्न ओटिस की खीझ की वजह जानती है, लेकिन ओटिस इस विषय पर माँ से बात करने में सहज महसूस नहीं करता है। वह इससे उबरने के लिए तरह-तरह की कोशिश करता है पर कामयाब नहीं हो पाता है, ज़ाहिर है सही जवाब तक वह भी नहीं पहुंच पाता है।
कहानी आगे बढ़ती है और ओटिस को समझ आता है कि उसके दोस्त भले ही वर्जिन न हों, लेकिन उनके जीवन में सेक्स से जुड़ी कई भ्रांतियां और समस्याएं हैं, जिनके पीछे की वजह एक ही है, सेक्स एजुकेशन की कमी। ओटिस और उसकी दोस्त मेव, दोनों एक-दूसरे को पसंद करते है पर कभी कह नहीं पाते है, इसका फायदा उठाकर आधे-अधूरे ज्ञान के जरिए एक बिजनेस शुरू कर देते हैं। वे स्टूडेंट्स से पैसे लेकर सेक्स और रिलेशनशिप से जुड़ी सलाह देते हैं। तुक्के में इनकी कुछ सलाहें कारगर होती हैं, लेकिन कुछ हानिकारक भी। ओटिस के फ्रेंड सर्किल में जो लोग हैं, उनके जीवन पर भी वेब सीरीज़ में उतना प्रकाश डाला गया है, जितना ज़रूरी है।
ऐरिक एक गे है, जिसे अपने गे होने की वजह से ही कुछ लोगों के बुरे बर्ताव का सामना करना पड़ता है। लिली सेक्स करने को आतुर एक लड़की है, लेकिन उसे पार्टनर नहीं मिलता। जब मिलता है तो पता चलता है कि वह ओरों से थोड़ी अलग है। 2 सीज़न के 16 एपिसोड में बंटी वेब सीरीज़ इन सब के साथ स्कूल के कई अन्य स्टूडेंट्स के किरदारों की ज़िंदगी के सेक्स से जुड़े पहलुओं के इर्द-गिर्द घूमती है। दूसरे सीज़न में एलजीबीटीक्यू समुदायों(गे/लैस्बियन) के विषय पर गहराई से पता लगाने की कोशिश की गई है। समलैंगिक समुदायों के अनजान पहलुओं के बारे में जानने की कोशिश इस सीज़न में है, ताकि अधिक से अधिक लोगों को इसके बारे में पता लग सके।
वेब सीरीज़ के दोनों ही सीज़न के केंद्र में ओटिस का किरदार निभा रहे एसा (Aca Butterfield) ही रहें। ऐसा (ओटिस) और एमा (मेव वायली) की एक्टिंग वेब सीरीज़ की जान है। सेक्स थैरेपिस्ट माँ का किरदार निभाने वाली गिलियन एंडरसन ने न सिर्फ बेहतरीन एक्टिंग की, बल्कि उनके किसी भी एपिसोड से गायब न होने के कारण कहानी सधी हुई दिखती है। ऐरिक के किरदार में शूसी (Ncuti Gatwa) का उतावलेपन वाला व्यवहार जहां हंसने पर मजबूर करता है, वहीं गे होने की समस्या झेल रहे लड़के की परेशानियों का एहसास दर्शकों को कराने में भी वो कामयाब रहे है। एक जटिल बायसेक्सुअल लड़के के किरदार में कॉनर स्विन्डेल्स (Cooner Swindells) ने भी कमाल किया।
जैक्सन का किरदार निभा रहे केडर विलियम्स (Kedar Williams ) का अभिनय अच्छा था, लेकिन बीच बीच में वह अन्य धुरंधर किरदारों के मुकाबले कमज़ोर पड़ते दिखते हैं। कहानी स्कूली बच्चों में सिमटकर न रह जाए इसका पूरा ध्यान रखा गया है। इंग्लिश टीचर एमिली और जीन मैलबर्न के बॉयफ्रेंड जैकोब जिसे किरदार इस दायरे को बढ़ाने का काम करते हैं। कुल मिलाकर यह सेक्स से जुड़ी उलझनों और भ्रांतियों से सुलझने का प्रयास कर रहे लोगों की एक बेहतरीन कहानी है, जिसे देखा जाना चाहिए।
इसमें तो कोई शक नहीं है कि वेब सीरीज़ ‘सेक्स एजुकेशन, युवाओं की कई जिज्ञासाओं और बड़ी समस्याओं का समाधान करेगी। लेकिन सवाल यह भी खड़ा होता है कि क्या यह वेब सीरिज़ इससे खुलने वाली सोच को इतना खोल पाएगी कि यह कैसे होता है, ये कब से होता है और किसके साथ होता है तक पहुंच जाए? वेब सीरिज़ के साथ-साथ आने वाले समय में इसे भी देखते हैं।
मूल चित्र और अन्य चित्र : YouTube
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