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अगर मेरी फ़ैमिली और मेरे पति जैसे लोग आपके पास भी हैं, जिनको आपके होने ना होने से कोई फर्क नहीं पड़ता, तो बी वैरी केयरफुल और अपनी ज़िंदगी को बर्बाद ना होने दें।
नोट : इस कहानी में सेंसिटिव कंटेंट है
सुबह उठ के देखा तो, घर का दरवाजा खुला था, सब जगह देख लिया ना वो था न ही उसका बैग, मेरे पीछे बेटी भी उठ गई।
उसने कहा, “मम्मी हमें जाना नहीं है? पापा कहाँ हैं?”
“बेटा तेरे पापा चले गए हैं।”
मैंने उसको कॉल किया, रिंग जा रही थी मगर वह फोन नहीं उठा रहा था। जब वह गाँव पहुंच गया, उसके बाद उसने फोन उठाया और गुस्से से कहा, “क्या है? क्यों इतने फ़ोन कर रही हो?”
मैंने कहा, “अगर लेकर जाना नहीं था तो बेटी को क्यों बोला ‘बैग रेडी रखना हम गणपति को गांव जा रहे हैं’।”
उसने कहा, “बेटी को बोला था तुझे नहीं, तुझे क्यों आना है? पिछले साल तो तू आई नहीं, तो अब क्यों आना है?”
मैंने कहा, “क्या मतलब है? क्यों नहीं आती? क्या तुझे और तेरी फैमिली को पता नहीं है? तू ही है ना और तेरी माँ? तुम दोनों ही हो जो खुद की वाइफ और अपने ही घर की बहु के बारे में लोगों के पास जाकर, मेरे बारे में गलत बातें फैला रहे हो। शर्म नहीं आती तुम दोनों को? और ऊपर से तुम लोग चाहते हो कि मैं तुम्हारे फैमिली के सब फंक्शन्स अटेंड करूँ? कैसे? शर्म आनी चाहिए तुम्हें। अपनी ही बीवी के साथ रहना है और सोना भी है हर रोज़ मेरे साथ और फिर भी लोगों के पास जाकर मेरे बारे में गन्दा और गलत बोलते हो? तुझे थोड़ी भी मेरी लाज शर्म नहीं आयी? एक बार भी तुझे मेरा ख्याल नहीं आया कि मुझे कितना दुःख होगा? मेरे पर क्या बीतेगी?”
उसने कहा, “पागल हो तुम! पागल, पागल हो चुकी हो। फ़ोन रख मुझे बात नहीं करनी। आना है तो खुद ही आ। मेरे साथ आने की ज़रुरत नहीं है”, और फिर फोन कट जाता है।
मुझे बहुत दुःख हुआ। कैसा आदमी है ये, इसको ज़रा भी मेरी परवाह नहीं है? अब मेरी सहन करने की हिम्मत नहीं है। मैं ज़रूर जाऊँगी और सबको बताऊँगी इन सब को करतूतें।”
मैं गाँव पहुंची। मुझे देख कर वह चौक गया। उसकी माँ, उसके भाई की बीवी बोले, “ये क्यों आयी है यहाँ?” उनका मुँह देख के साफ पता चल रहा था कि उनको मेरा आना अच्छा नहीं लगा।
मेरे ससुर मुझे और मेरी बेटी को देख के बहुत खुश हुए। मैंने कहा, “पापा मुझे आप से कुछ बहुत ज़रूरी बात करनी है।” उन्होंने कहा, “बाद में अभी नहीं।” और वो बाकि लोगों के साथ ड्रिंक करने चले गए। रात को मैंने वापस उनको बोला, “मुझे आपसे बात करनी है।” उन्होंने कहा, “अभी नहीं गणपति के बाद बात करेंगे।”
जब यह बात उसको पता लगी तो वो मेरे पास आया और बोला, “क्यों मेरी इज्जत निकालने आयी है। चली जा वापस। यहाँ तेरी कोई नहीं सुनेगा।”
मैं चुप थी। धीरे-धीरे और दुःख हो रहा था। आँखों से अपने आप आँसू बाहर निकल रहे थे। वहाँ आए हुए सब परिवार वाले देख रहे थे, पर किसी ने आकर ये तक नहीं पूछा कि क्या हुआ।
दूसरे दिन सुबह घर की सब बड़ी औरतें, मासी और मामी सासु, कपड़े धोने नदी को गए। मैं भी उनके साथ गयी और उनको कहा, “मुझे आप सब की मदद चाहिए।”
“मुझे बताना अच्छा नहीं लग रहा है पर बताना बहुत ज़रुरी है। मेरे साथ ये बहुत ही अजीब सा व्यवहार करते हैं। इनको लगता है, बीवी सिर्फ साथ सोने के लिए है। पोर्न, लेस्बियन, टीन ऐसी सब एडल्ट मूवीज़ हर रोज़ देखते हैं। इतना ही नहीं, फिर आधी रात को बाजु में बेटी सोई होती है, उसकी भी परवाह किये बिना मेरे साथ अजीब अजीब हरकते करते हैं। मेरे ना कहने पर भी मुझे परेशान करते हैं। पोर्न मूवीज में जैसे लड़कियाँ कपड़े पहनती हैं, ऐसे तैयार होने को बोलते हैं। मुझे जबरदस्ती मेरी ईच्छा ना हो तो फिर भी उसके साथ सोना पड़ता है।”
“कभी-कभी तो मैं सोई हुई होती हूँ गहरी नींद में और अचानक उठ के देखती हूँ तो, ये मास्टरबेटिंग करके स्पर्म सब मेरे ऊपर डाल देता हैं और गन्दी हँसी हँसते हुए बोलते हैं, अगर तू मुझे सेक्स करने नहीं देगी तो मैं तेरे साथ हर रोज ऐसा ही करूँगा। ऐसा नहीं है कि मैं इनको सेक्स नहीं करने देती, पर ये आदमी साइको है।”
“इनको ये तक नहीं पता कि बीवी के साथ कैसे प्यार करते हैं। बेटी के सामने मुझे कहीं पर भी हाथ लगा देते हैं।मैंने बहुत बार समझाने की कोशिश की, पर उनकी समझ में नहीं आता। अगर मैं उनके साथ नहीं सोई, तो उस महीने मुझे घर चलाने के लिए पैसे नहीं देते। अब हर बार उनके सामने हाथ फैलाना अच्छा नहीं लगता। वैसे ही वे ऑफिस से रात को लेट आते हैं। खाना पड़ा हो किचन में तो वो भी नहीं खाते। हर रोज खाना ख़राब हो रहा है और उपर से वह और उसकी माँ लोगों को जाकर बता रहे हैं कि मैं घर में खाना नहीं बनाती और उनके साथ मैं सोती नहीं हूँ। उनको अपने को छूने नहीं देती हूँ।”
“प्लीज! आप सब जाकर उनको समझाओ की ऐसा ना करे ये मेरे साथ। समझने की कोशिश करे कि छोटी बेटी है घर में। प्यार ऐसे ज़बरदस्ती से नहीं होता। आप सब को तो पता ही है। इनके भाई-भाभी और माँ मुझे कितना मानसिक त्रास देते हैं, फिर भी मैं उनसे लड़ने नहीं गयी। सोचा एक दिन इन सब को पता चलेगा और सुधर जाएंगे, पर अब तो कुछ ज्यादा ही हो रहा है। सो प्लीज! आप उन्हें समझाएं।”
वहाँ बैठी बड़ी मासी सासु ने कहा, “तू चिंता ना कर मैं समझाऊँगी उसे।”
जब सब वापस नदी से घर आए तो मासी ने उससे बात की होगी, तो वो गुस्से से मेरे पास आया और चिल्लाने लगा, “निकल तू अभी यहाँ से निकल, तू यहाँ मेरी बदनामी करने आई है। है ना? चल निकल यहाँ से अब!”
फिर मासी आयी और बोलने लगी, “अगर तुझे सब से मेरे बेटे के बारे में बताना है, तो घर छोड़ने की तैयारी के साथ बताना। बताने के बाद तेरे लिए यहाँ कोई जगह नहीं होगी।”
मेरी किसी ने कोई बात सुनी नहीं और उनके बेटे का पक्ष लेते हुए मुझे ही धमकी दी। मैं रोती रही पर वहाँ आये ७० से ज्यादा लोग किसी ने ये तक नहीं पूछा कि क्या हुआ। मुझे रोती देख के सबसे ज्यादा खुश मेरी देवरानी थी। सब गणपति के त्यौहार मानाने में खुश थे और मैं गणपति के सामने हाथ जोड़े बापा को कह रही थी, बापा ये लोग क्या तेरी पूजा करेंगे, जो अपने ही घर की बड़ी बहु को इतना परेशान करे, उसकी परेशानी समझने की कोशिश तक ना करे और ऊपर से तेरे यहाँ होते हुए मुझे धमकी दे रहे हैं। इनके लिए गणपति त्यौहार सिर्फ सेलिब्रेशन है। ये तुझे भी यहाँ लाए हैं, सिर्फ अपने स्वार्थ के लिए। इनको ये तक नहीं पता अपने क्या होते हैं। ये कैसे लोग हैं? मैं कहाँ फँस गई इन सब में।”
और मैं मेरी बेटी के साथ वहाँ से निकल गयी और घर वापस आ गयी। सोचा पुलिस में जाकर कम्प्लेन करूँ और मैं घर से पुलिस स्टेशन की ओर चल पड़ी। पुलिस स्टेशन पहुंचने पर मेरी बेटी ने पूछा, “मम्मा! हम क्यों पुलिस स्टेशन आये हैं?” और मेरे पैर वहीं रुक गये, ये सोच के कि इस नन्ही सी जान की क्या गलती है? क्यों इसकी छुट्टियों को मैं ख़राब कर रही हूँ? उसके वजह से पुलिस केस करुँगी, पुलिस बेटी को भी पूछेगी। क्या होगा इस छोटी सी जान पर असर? और मैंने रिक्शा वापस लेने को बोला। घर आयी, फ्लाइट की टिकट्स बुक की और मम्मी के यहाँ चली गयी। मम्मी के यहाँ हम कुछ दिन रहे और फिर घर वापस आ गए।
मेरे ऊपर वह बहुत गुस्सा था, उसने मुझसे कहा, “क्यों आई थी वहाँ तू? मेरी बदनामी करने?” और हँसने लगा, “देखा! तेरी किसी ने नहीं सुनी। सो अब के बाद मुँह मत खोलना। कोई भी तेरी बात को नहीं मानेंगे क्योंकि मैंने अपनी इज़्ज़त ऐसे बना के रखी है। मैं कितना भी बुरा करूँ, कोई तेरी बात नहीं सुनेगा। समझी? पागल औरत!”
मैंने उस से बस इतना ही कहा, “जब खुद की ही बीवी की इज्जत और लोगों में जाकर उछाल रहे थे, तब तूने मेरी ज़रा सी परवाह नहीं की। शायद आज तुझे पता चला होगा, इज्जत क्या होती है। मैं घर तोड़ना नहीं चाहती, इसी लिए पहले तेरे फॅमिली से बात की, ताकि वे तुझे समझा सकें। पर तू और तेरी फ़ैमिली के लोग एक जैसे ही हैं। पुलिस स्टेशन जाने निकली थी। शुक्र कर बेटी की वजह से बच गया, नहीं तो आज तू और तेरी माँ जेल में होते। सुधर जा! अभी भी वक्त है। घर में एक छोटी सी बेटी है, वो बड़ी हो रही है। तुमने कभी सोचा है इस सब का उस पर क्या असर होगा? मैं चाहती हूँ उसे हम दोनों का प्यार मिले। तुम पिता हो उसके, ऐसी हरकतें करके तुम मेरे साथ साथ बेटी की भी जिंदगी ख़राब कर रहे हो।”
उसने तो मेरी बात पर ध्यान नहीं दिया लेकिन दोस्तों मेरी आपसे विनती है कि ऐसे इंसान का कभी विश्वास मत करो। ऐसे लोग खुद तो बुरे होते हैं और अपनी संगत में आपको भी बुरा कर देंगे। अपने स्वार्थ के लिए जब तक उनको आपसे मतलब है, वे आपसे अच्छे से बात करेंगे। पर जब मतलब ख़त्म तो ‘तुम कौन? भाड़ में जाओ।’
ऐसे वक्त में हो सके तो ऐसी इनकी हरकतों के सबूत इकठ्ठे करें। पुलिस में जाकर कम्प्लेन करें ताकि कभी आपको ऐसे लोगों के खिलाफ कोर्ट केस करना हो तो ये सबूत काम आएं। वर्ना ऐसे लोग कोर्ट में भी जज के सामने झूठ बोलने से नहीं डरते और आपको बिना सबूत झूठा साबित करेंगे।
अगर मेरी फ़ैमिली और मेरे पति जैसे लोग आपके पास भी हैं, जिनको आपके होने ना होने से कोई फर्क नहीं पड़ता, तो अपनी ज़िंदगी इन पर बर्बाद न करो। अगर आप भी ऐसे लोगो के बीच में हैं, तो बी केयरफुल!
मूल चित्र : Pexels
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