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सोशल मीडिया पर लड़कियों को साड़ी चैलेंज मिल रहे हैं तो लड़कों को धोती चैलेंज। शायद ये सारी कोशिशें लॉकडाउन में स्वयं को और दूसरों को अवसाद से दूर रखने की हैं।
पूरी दुनिया में गली, मुहल्ले, कस्बों में कमोबेश हर घर की खिड़की और बालकनी आज कल अचानक से लांकडाउन के दिनों में गुलज़ार हो रही है। विश्व भर के बड़ी से बड़ी और छोटी से छोटी अर्थव्यवस्था वाले देश में भी कोरोना के डर का संकट इस कदर व्याप्त है कि सड़कें, माल, थियेटर, रेस्टां, बार तक बंद हैं, सिर्फ आपात स्थिति में जरूरी सेवाएं ही अपना काम कर रही हैं।
कोरोना संक्रमण से फैलने वाला रोग है इसलिए लोगों को अपने घरों में रहने की हिदायत दी गई है और लांकडाउन की स्थिति बनी हुई है। इसलिए घरों में रह रहे लोगों के लिए खिड़कियाँ, टेरिस या बालकनी अचानक से लोगों के लिए फेवरेट जगह बन गई है, जो कभी घरों में कभी सिर्फ चाय की चुस्कियों या कपड़े सूखाने की जगह भर बनकर रह गई थी।
ऊंची-ऊंची अपार्मेंटनुमा घरों की बालकनियों और खिड़कियों से या तो विडियो गेम्स की आवाजें या संगीत की धुनें सुनी जा रही हैं। कोरोना वायरस के फैले डर के बीच एक-दूसरे का मनोबल बढ़ाने के लिए कुछ देशों में नए-नए तरीके ईजाद हो रहे है जो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल भी हो रहे हैं। कुछ बेवसाइट आनलाइन लर्निग कोर्स चला रहे हैं तो कहीं राइटिग कोर्स में लोग लिखना सीख रहे हैं। लोग फिल्म और वेब सीरिज़ के लिए वेबसाइट पर अधिक जा रहे हैं, जैसे नेटफ्लिक्स, अमेज़न, वूट, मैक्स और कई।
लोगों को घरों से बाहर निकलने की मनाही है। बहुत ज़रूरी होने पर ही बाहर निकलने की छूट दी जा रही है। कई देशों में तो लोग रात आठ बजे के बाद राष्ट्रगान शुरू कर देते हैं। इसके लिए सोशल मीडिया पर एक-दूसरे को चैलेज देने का प्रचलन बढ़ा है। मसलन भारत में सोशल मीडिया पर लड़कियों को साड़ी चैलेंज मिल रहे हैं तो लड़कों को धोती चैलेंज। लड़कियां अपनी तस्वीरें साड़ी पहने शेयर कर रही हैं तो लड़के धोती पहने अपने फोटो शेयर कर रहे हैं।
कोई बालकनी की रेलिंग बजाते दिख जाता है तो कोई अगले ही पल उसका साथ देने के लिए चम्मच से पैन बजाते हुए और लोग भी साथ आ जाते हैं। कुछ इलाकों में तो लोग अपनी खिड़कियों या बालकनियों में डांस करते नज़र आ रहे है। और कुछ गाते तो कुछ सफाई करते।
ये सारी कोशिशें स्वयं को दूसरों में मानसिक अवसाद से दूर रखने की हैं। घर के दायरे में अपने काम-काज से कटे हुए लोग स्वयं को अकेला न समझें और न ही स्वयं को डिप्रेशन में ले जाए। इसके लिए लोग एक-दूसरे का मंनोरजन के साथ-साथ नैतिक बल देने की कोशिश कर रहे है। मानो वह एक-दूसरे से कह रहे हो जिंदगी की रफ्तार थमी जरूर है, लेकिन उसको लड़कर जीतने का जस्बा कही अधिक बड़ा है। वह नहीं थमा है और इसको थमने भी नहीं देना है।
मूल चित्र : Canva/YouTube
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