कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं? जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!
चाहे वो ख़ाकी वर्दी में हों या सफ़ेद कोट में, विज्ञान से लेकर प्रशासन तक, ये 11 भारतीय महिलाएं हर क्षेत्र में कोरोना से लड़ने का अथक प्रयास कर रही हैं।
हम सालों से पढ़ते और सुनते आये हैं कि युद्ध के समय में महिलाओं का घर के अंदर रहना ही बेहतर होता है, लेकिन ये इस बार क्या हुआ? जी हाँ, इस बार के युद्ध में तो भारतीय महिलाएं योद्धाओं की तरह काम कर रहीं हैं, चाहे वो ख़ाकी वर्दी में हो या सफ़ेद कोट में। विज्ञान से लेकर प्रशासन तक, भारतीय महिलाएं हर क्षेत्र में कोरोना वायरस से लड़ने के लिए अपने अथक प्रयास कर रही हैं।
आज पूरी दुनिया कोरोना जैसी महामारी से लड़ रही है तो इसमें हर कोई अपना योगदान दे रहा है और उनमें सबसे आगे हैं भारतीय महिलाएं। भारत में, प्रमुख विभागों – प्रशासन, निदान, रोकथाम, अनुसंधान और इलाज के सुचारु कामकाज को सुनिश्चित करने के लिए, कई महिलाएं सप्ताह के सातों दिन, चौबीसों घंटे काम कर रही हैं।
आज का ये आर्टिकल उन्हीं महिलाओं की हिम्मत को समर्पित है। अगर हम उन सभी महिलाओं का यहां ज़िक्र करें, तो शायद शब्द कम पड़ जायेंगे लेकिन उनकी गिनती खत्म नहीं होंगी। इसीलिए आज हम आपको रूबरू करवायेंगे भारत की कुछ जांबाज़ महिलाओं से जो देश की सेवा में एक कदम भी पीछे नहीं हटती।
ये देश के शीर्ष स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग में वायरल रोगों की प्रभारी हैं और महामारी विज्ञान और संचारी रोग के विभाग में कार्य कर रही हैं। इन दिनों डॉ गुप्ता की प्राथमिक ज़िम्मेदारी भारत के लिए परीक्षण और उपचार प्रोटोकॉल्स बनाना है।
डॉ गुप्ता ने कोविड -19 की जाँच करने के लिए बनाई गयी प्रयोगशालाओं को पूरे देश में स्थापित करवाया है। इनके अंतर्गत दो महीने के कम समय में, कोरोनो वायरस मामलों के निदान के लिए सरकारी क्षेत्र में 130 से अधिक प्रयोगशालाओं और निजी क्षेत्र में 52 प्रयोगशालाओं को बनाया गया है।
बैंगलुरु की महिता नागरज़ ने हाल ही में सीनियर सिटिज़न के लिए इनिशिएटिव लिया है। इन्होंने केयरमोंगर्स इंडिया नाम से एक ऑनलाइन कैंपेन शुरू किया है, जिसके अंतर्गत ये सभी सीनियर सिटीजन्स की ज़रूरतों को पूरा करेंगी। पूरे इंडिया में इनके वालंटियर्स हैं जो उन सभी लोगो की रोज़मर्रा की ज़रूरतों को पूरा कर रहें है जो बेसहारा है।
इनका मंत्रालय कोरोना वायरस जैसी चुनौती से लड़ने के लिए नोडल एजेंसी है। प्रीति, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन के साथ, केंद्र और राज्य सरकार के अन्य विभागों में तालमेल रखती है। ये दोनों इस महामारी की नियमित समीक्षा करते हैं। इन्होंने चीन के वुहान शहर से 645 भारतीय छात्रों की निकालने में प्रमुख भूमिका निभाई है। दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य सुरक्षा योजना आयुष्मान भारत में भी इन्होंने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
प्रिय अब्राहम इन दिनों की देश की बैकबोन – नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV), की प्रमुख है। एनआईवी कोविड -19 की जाँच के लिए शुरू में देश का एकमात्र परीक्षण केंद्र था।
जैसे-जैसे कोविड -19 के मरीज़ो की संख्या बढ़ती गयी, तो उसी से लड़ने के लिए एनआईवी इसके परीक्षण समय को 12-14 घंटो से कम करके केवल चार घंटों पर ले आया है।
NIV ने भारत के पहले तीन कोविड -19 मामलों की पुष्टि की थी। लेकिन जैसे जैसे संक्रमित लोगो की संख्या बड़ी, आईसीएमआर ने प्रयोगशालाओं की संख्या बढ़ा दी। और इन सभी प्रयोगशालाओं को प्रिया अब्राहम के नेतृत्व में, NIV ने सभी प्रकार की समस्याओं से निबटने में मदद की।
ये तेलंगाना की सबसे युवा सरपंच है। महज़ 25 साल की उम्र में ये बहुत उम्दा तरीके से अपनी ज़िम्मेदारी निभा रही है। इन्होंने ख़ुद इनके गांव की बॉडर पर बैठकर सुनिश्चित करा की सभी लोग लॉकडाउन का पालन करें। कई दिनों से हाथ में डंडा लिए अपनी जान की परवाह करें बिना ये हर एक गांव की सुरक्षा कर रही है।
रेणु स्वरूप पिछले 30 सालों से विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT) में काम कर रही हैं। इन्हें अप्रैल 2018 तक ‘एच’ वैज्ञानिक का दर्जा मिला हुआ था जिसका मतलब आउटस्टैंडिंग साइंटिस्ट होता है। और इसके बाद इन्हे बतौर सेक्रेटरी यानि की सचिव नियुक्त कर दिया गया।
ये अभी कोरोनो वायरस वैक्सीन विकसित करने के लिए महत्वपूर्ण शोध में शामिल है। इससे पहले इन्होनें 2001 में बायो टेक्नोलॉजी विजन के निर्माण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और साथ ही ये 2007 की नेशनल बायो टेक्नोलॉजी डवलपमेंट स्ट्रेटजी और 2015-20 की स्ट्रेटजी II में शामिल रह चुकी है। जेनेटिक्स एंड प्लांट ब्रीडिंग में पीएचडी धारक रेणु स्वरूप को विज्ञान के क्षेत्र में महिलाओं को बढ़ावा देने के लिए जाना जाता है।
मध्य प्रदेश के इंदौर में अपनी ड्यूटी निभाते हुए इन्हें पत्थर बाज़ी का सामना का सामना करना पड़ा। लेकिन ये एक कदम भी पीछे नहीं हटी और लगातार अपनी ड्यूटी निभा रही हैं । दरअसल ये अपनी टीम के साथ इंदौर के लोगो की स्क्रीनिंग कर रहीं थीं । लगातार इतनी मेहनत के बावजूद भी इनकी टीम पर किसी ने पत्थर बाज़ी शुरू कर दीं और जिसमे इन्हें गहरी चोट भी आयी लेकिन यें बिना रुके अगले दिन वापस ड्यूटी निभाने पहुंच गयी। यें हमारे लिए किसी फ़रिश्ते से कम नहीं है।
तमिलनाडु के स्वास्थ्य सचिव के रूप में नियुक्त बीला राजेश अपने राज्य में चुनौती से निपटने में सबसे आगे रहकर अपना योगदान देती हैं। 1997 बैच से निकली ये आईएएस अधिकारी मीडिया से बहुत अच्छे सम्बन्ध बनाकर चलने वालो में से हैं और इन्हे ट्विटर पर बहुत एक्टिव रहने के लिए भी जाना जाता है। अपने विचारों को साझा करने के अलावा, वह उनसे या उनके विभाग से पूछे प्रश्नों का जवाब भी बहुत सटीक जवाब देती हैं।
ये 2019 से बतौर स्वास्थ्य सचिव (सेक्रेटरी) के रूप में कार्यरत हैं और इससे पहले भारतीय चिकित्सा और होम्योपैथी की आयुक्त (कमिशनर) थीं। इन्हीं की देख-रेख में तमिलनाडु ने नीति आयोग की हेल्थ इंडेक्स में सभी भारतीय राज्यों के बीच तीसरा स्थान हासिल किया है।
एक सच्ची योद्धा की जीती – जागती मिसाल है स्वाति रावल। ये दुनिया के उस कोने से भारतीय छात्रों को बचाकर लायी जहां कोरोना ने आतंक मचा रखा है। ये अपनी टीम के साथ मिलकर एयर इंडिया के विशेष विमान से इटली से 263 भारतीय छात्रों को अपने साथ में लेकर भारत आयीं। ये परिवार और अपने आप की चिंता करें बिना उस टीम की हिस्सा बनी। अभी यें एक अपनी 5 साल की बच्ची की माँ भी हैं।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा 2015 की टॉपर टीना डाबी ने एक बार फिर साबित कर दिखाया की महिलाएं किसी से कम नहीं है। अगर वो ठान ले, तो बड़े बड़े मुद्दे भी आसानी से सॉल्व कर सकती है। जिस तरह उन्होंने कोरोना वायरस के प्रकोप से भीलवाड़ा को बचाया वो क़ाबिले तारीफ़ है। इन्होंने दिन रात काम करके भीलवाड़ा के लोगो को सुरक्षित रखा। ये घर घर जाकर लोगो से अपील कर रही थी, उनकी सभी जरूरतों को इन्होने बेहतरीन तरीके से पूरा किया।
ये वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन में बतौर चीफ साइंटिस्ट काम कर रहीं है। कोविड – 19 से सम्बंधित सभी मुख़्य फैसलों में इनकी अहम भूमिका रहती है। इन्होंने HIV एड्स को लेकर भी लगभग 30 सालों तक काम किया है। इससे पहले ये 2015 से 2017 तक इंडियन कॉउंसिल ऑफ़ मेड़िकल रिसर्च की डायरेक्टर जनरल रह चुकी है भारत सरकार की स्वास्थय से लेकर रिसर्च में सेक्रेटरी रह चुकी है।
शायद ये पढ़कर उन सभी लोगों के मुँह पर ताले लग जायेंगे जो कहते है कि महिलाएं ऑफिस वर्क तक ही सिमित हैं। आज की महिला अगर 5 मीटर की साड़ी लपेटे हुए रसोई में खाना बना सकती है तो वो खाकी वर्दी और सफ़ेद कोट पहन कर लोगों की जिंदगी भी बचा सकती है। और इतना ही नहीं वो घर में बैठकर अपनी कलम की तीखी धार से कई लोगों का मुँह बंद करवा सकती है और फील्ड में जाकर एक जर्निलस्ट की भूमिका भी निभा सकती हैं।
आज का ये लेख उन सभी महिलाओं को सलाम करता है जो इस मुश्किल खड़ी में अपना योगदान दे रही हैं। उम्मीद है आगे से आप भी एक महिला की शक्ति को आंकने से पहले कई बार सोचेंगे।
मूल चित्र : Twitter/LinkedIn/Facebook
A strong feminist who believes in the art of weaving words. When she finds the time, she argues with patriarchal people. Her day completes with her me-time journaling and is incomplete without writing 1000 read more...
Please enter your email address