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25 हिंदी शॉर्ट फिल्म जो इस वीकेंड तो आपको देख ही लेनी चाहियें

लॉकडाउन के तहत अगर आप घर पर बोर हो रहे हैं, लेकिन ज्यादा खाली समय भी नहीं है तो ये 25 हिंदी शॉर्ट फिल्म आपके देखने के लिए बिलकुल सही रहेंगी।  

लॉकडाउन के तहत अगर आप घर पर बोर हो रहे हैं, लेकिन ज्यादा खाली समय भी नहीं है तो ये 25 हिंदी शॉर्ट फिल्म आपके देखने के लिए बिलकुल सही रहेंगी।  

अनुवाद : शगुन मंगल 

वैश्विक महामारी के इस समय के दौरान, हमें बस इतना करना है कि हम घर पर रहें, ताकि हम वायरस के संचरण को कम कर सकें, और कोरोना वायरस के मामलों को कम कर सकें। लेकिन, यहां तक कि अगर हम घर से काम कर रहे हैं, तो भी चार दीवारों के भीतर रहना काफी मुश्किल हो सकता है।

इसलिए हम अस्थायी रूप से फंस चुके हैं, लेकिन हम निश्चित रूप से अपने दिमाग को कुछ दिलचस्प चीज़ों में लगा सकते हैं उससे पहले की ये हमें जकड़ ले।

इसका समाधान है – हिंदी शॉर्ट फिल्म

जब घर के अंदर करने के लिए कुछ नया नहीं होता तो ये मोनोटोनस सा लगता है। लेकिन जैसा कि कहा जाता हैं, ‘आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है’। मैंने अपना खाली समय पास करने का एक शानदार तरीका खोजा – जो भी मुझे मिलता है, वही अच्छा है। क्या हम सब इसके लिए तैयार हैं या नहीं?

यहां यूट्यूब पर उपलब्ध हिंदी शॉर्ट फिल्म की सूची है (पिछले एक साल में), जो महिला सशक्तिकरण और नारीवाद का जश्न मनाती हैं, जिसे आप निश्चित रूप से देख सकते हैं। तो आप किसका इंतज़ार कर रहे हैं? जाइये और मनोरंजन के इस पाइपिंग हॉट कप को पकड़िये , आराम से और इन 25 मनोरंजक लेकिन मार्मिक हिंदी शॉर्ट फिल्म को अपने इन दिनों देखिये।

चुभन

28 मिनट

हर महिला के लिए यौन उत्पीड़न का शिकार होना एक बुरे सपने की तरह होता है। श्वेता बासु प्रसाद (मकड़ी की बाल अभिनेत्री) का शानदार प्रदर्शन आपको रोमांच से भर देगा।

देवी

13 मिनट

काजोल मुखर्जी की यह फ़िल्म, जीवन के अलग अलग पड़ाव से आयी रेप विक्टिम्स को दिखती है।  वे सभी एक कमरे में कैद हैं और उनकी बातचीत में हर किसी की कहानी का पता चलता है, जो रूह कांप देने वाले है।

द लवर्स

24 मिनट

क्या समाज के दबाव के कारण पुरुष ‘मूक’ श्रेणी में आते हैं? खैर, घरेलू हिंसा अधिनियम पर 23 मिनट की श्वेता बसु और जरीना वहाब की इस फिल्म को देखने के बाद कम से कम मैं कह सकती हूं कि हाँ उनमें से कुछ आते हैं।

सिब्लिंग्स

33 मिनट

निधि (शिवानी टंकसले) और दीया (शीतल मेनन) दो बहनें हैं, जो अपने पिता की देखभाल करती हैं। बच्चों के रूप में, हम हमेशा सोचते है कि हमारे माता-पिता इन्विन्सबल (अजेय) हैं। जब हम बड़े होते हैं, और वो धीरे-धीरे बूढ़े होने लग जाते है और अचानक से हम अपने माता-पिता की देखभाल करने लग जाते हैं। यह एक कड़वी सच्चाई है जिसका अंत अनएक्सपेक्टेड होता है।

बेसन के लड्डू

9 मिनट

निशा (श्वेता त्रिपाठी) की शादी को अभी बस एक महीना ही हुआ है और अपने ससुराल वालों के लिए एक दिवाली पार्टी का आयोजन करती है। वह अपने नए परिवार की उम्मीदों से मेल खाने के लिए खुद को हर तरिके से बदलती है। लेकिन, विक्रांत, उसका पति, उसे कहता है की जैसी तुम हो वैसी रहो। क्या वह उसे सुनती है? और अगर वह करती है, तो क्या उसके ससुराल वाले इसके लिए तैयार है ? जानने के लिए पूरी फिल्म देखें।

नेम प्लेट

10 मिनट

सोसाइटी उन सभी सभी औरतों को कोसती है जो अपने पति से उम्र में बड़ी होती हैं।  और अगर लड़की ज़्यादा कमाती हो तो उनके हाव भाव बदल जाते हैं। क्या उम्र और पैसा इतना जरूरी है एक रिश्ते में?  ये अवार्ड विनिंग फिल्म इसी बात पर रौशनी डालती है।

नूर

12 मिनट

नूर एक छोटी बच्ची है, जिसके अंकल एक यौन शिकारी ( दरिंदे ) है। फिल्म की शुरुआत उस लड़के के अंधेरे में चलने, सड़कों पर भटकने से होती है और अंत में वो अपने हॉउस हेलपर के यहां जाती है।  यह अमीर और गरीब दो अलग-अलग दुनिया की अनकही कहानी को उजागर करता है।

धूप हंसकर बोली

13 मिनट

https://youtu.be/ZFcIpUTtS3I

शीबा चड्ढा एक माँ का किरदार निभाती हैं। उनकी बेटी के साथ वो एक मैट्रिमोनियल ऑफिस में जाती है। ये थोड़ी अजीब सी बातचीत अंत में आपकी आंखो  में खुशी के आंसू ले आएगी। ऐसा तब होता है जब एक बेटी अपनी विधवा माँ के लिए कुछ खास करती है।

इट्स-अ-गर्ल

34 मिनट

https://www.youtube.com/watch?v=pC7A2J-QcJw&feature=emb_err_watch_on_yt

अनीसा बट्ट एक बहादुर मां की भूमिका निभाती है जो अपनी अजन्मी (अनबॉर्न) बच्ची के लिए लड़ती है। क्या वह समाज की सोच से जीत पायेगी ? जानने के लिए जल्दी में देखें।

स्टोरी ऑफ़ अ हाउसवाइफ

20 मिनट

समाज कितना ही आधुनिक हो जाये लेकिन वो एक महिला के साथ तो वैसा ही व्यवहार करेगा।  मनीषा मारजारा एक ऐसी ही महिला की भूमिका निभा रही हैं और वह इसे बहुत सही से निभाती है।

बुद्ध

18 मिनट

प्रशांत इंगोले की फिल्म भारतीय महिलाओं के लिए एक गहरा संदेश देती है  – महिलाओं को खुद के लिए खड़े होने की ज़रूरत है! ज़रूरत! क्या मुझे कुछ और कहने की ज़रूरत है?

घर की मुर्गी

18 मिनट

https://www.youtube.com/watch?v=D567scaLR6s&feature=emb_err_watch_on_yt

साक्षी तंवर इसमें घर की मुर्गी की तरह किरदार निभा रही है, जिसे सब हलकर में लेते है, लेकिन एक दिल दहला देने वाली घटना के बाद उसका एक फैसला सब कुछ बदल देता है। मुझे लगता है की सबको यही करना चाहिए, यही सही करने का तरीका का है।

डब्बा

27 मिनट

एक मार्मिक लघु कहानी जिसमें एक पत्नी को अपने पति के संबंध के बारे में पता चलता है। आगे देखें  कि वो इससे कैसे निपटती है।

नींद

15 मिनट

दीप्ति नवल एक थेरेपिस्ट हैं जो पेशेंट्स को प्रॉपर स्लीप पैटर्न अपनाने में मदद करती हैं।  लेकिन वो एक पेशेंट को नहीं सुला पाती जो पिछले 20 साल से सोया ही नहीं। कविताओं के इर्द-गिर्द घूमती यह फिल्म ज़रूर देखें।

मात

22 मिनट

याशिका तंवर की यह दिल दहला देने वाली फिल्म एक बेटी के बारे में एक है जो लगभग बीस वर्षों के बाद अपनी माँ से मिलने के लिए अपने बच्चों के साथ आती है। बच्चों की नानी एक हाउस हेल्पर के साथ रहती हैं। यह कहानी एक मजबूत संदेश देती है। 

मीरास

8 मिनट

चुप्पी एक नए शिकार को जन्म देती है। सादिया सिद्द्की की यह फिल्म घरेलू हिंसा के खिलाफ लड़ती है।

पीरियड्स

5 मिनट

यह अवार्ड विनिंग सिक्स सिग्मा फिल्म है  फिल्म की कहानी दो गांव की लड़कियों के इर्द-गिर्द घूमती है। पूरे देश में, लड़कियों को अभी भी स्कूल छोड़ना पड़ता है क्योंकि उनके पास सैनिटरी पैड नहीं होते हैं। यह कहानी मेंस्टुरेशन से रिलेटेड टैबू को तोड़ती है।

ख़िलाफ़

10 मिनट

नवनी परिहार और ईशा शर्मा ने बहुत ही खूबसूरती से सास – बहू का किरदार निभाया। एक व्यथित बहू को एक बार फिर से प्यार मिल जाता है। क्या उसकी सास उसका साथ देगी और क्यों। समझने के लिए देखिये कौन किसके ख़िलाफ़ है।

अ बिटर पिल

12 मिनट

आशुतोष झा द्वारा निर्देशित, यह एक मेट्रो शहर में रहने वाली पेशेवर महिला की कहानी है। भावनात्मक उत्पीड़न और व्यस्त जीवन से वो परेशान रहती है , जिसे बहुत लोग अपनी निजी ज़िंदगी से मिलता-जुलता पाएंगे।

डोलियां

13 मिनट

त्रिमला अधिकारी और सीमा आज़मी की ये फिल्म, उत्तर प्रदेश के एक गाँव की कहानी है जहाँ एक प्रॉस्टिट्यूट सेक्स एजुकेशन देती है।  यहां एक महिला है कामना, जो स्त्रीत्व की तलाश करती है क्योंकि उसके स्तन( ब्रेस्ट्) नहीं हैं। क्या कामना को जो वो चाहती है वो मिलेगा जैसा उसका नाम है ? महिलाओं और उनकी शारीरिक विशेषताएं – हमने ऐसा कई बार सुना है। इसमें एक शानदार कंसेप्ट है, ज़रूर देखिए।

चुपचाप

24 मिनट

इस लघु फिल्म में एक महिला होने के कड़वे सच को दर्शाया गया है। बलात्कार और छेड़छाड़ की अकथनीय वास्तविकता पर कटाक्ष करते हुए, यह कहानी एक पॉइंट पर आकर डरा देने वाली है।

अ रिस्की बिज़नस

9 मिनट

दो बेटियों ने अपनी माँ के जीवन में बैटरी से चलने वाले खिलौने ( बैटरी ऑपरेटेड टॉय ) की खोज की। यह जोखिम भरा व्यवसाय (रिस्की बिज़नस ) कुछ ऐसा है कि जिसे संभालना उनके लिए आसान नहीं है। अभिनेत्री श्रुति पंवार दर्शाती हैं कि एक महिला की कामुकता (सेक्सुएलिटी ) उसके मातृत्व पर निर्भर नहीं करती है।

अम्बु

8 मिनट 

https://www.youtube.com/watch?v=6uZitOSasNw

इस शार्ट फिल्म में स्मृति कालरा हैं जो एक महिला और पुरुष दोनों की भूमिका में हैं। वह एक मुस्लिम महिला है जो एक संदिग्ध जीवन जीती है। ‘अम्बु’ नाम ही अम्मा और अब्बू के मेल का प्रतीक है। एक पुरुष के साथ-साथ एक महिला होने का क्या कारण हो सकता है, यह जानने के लिए देखें अम्बु। 

कांदे पोहे

11 मिनट

लड़के  (तुषार पांडे) का परिवार शादी के लिए लड़की (अहसाँ चन्ना) के घर जाता है। यह कांदे पोहे च कार्यक्रम है।

होलिकादहन

20 मिनट

अनुरीता झा होली के रंगों में भीग कर अपने आप को खुश करने के लिए केवल एक बेकार रिश्ते से निकलती है। एक महिला के दिल के हर कोने में ताकत है!

आप पक्के से सामान्य से परे कुछ देखने जा रहे हैं। मुझे लगता है कि इन हिंदी शॉर्ट फिल्म को ढूंढना सही साबित हुआ है। अब आप अपने आप को Covid – 19 की खबरों को स्क्रोल करते हुए नहीं मिलेंगे।

मूल चित्र : YouTube 

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About the Author

Natasha Perry Thomas

Blogger, Writer and Content Curator. Author of 'Infidelity-An Outrageously Funny Affair and The Ultimate Rom-Com' - available on Kindle. read more...

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