कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं? जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!
माना सरकार ने इनके लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाये हैं, लेकिन अगर हम चाहें तो इस मुश्किल घड़ी में इनकी बहुत मदद कर सकते हैं।
माना सरकार ने ट्रांसजेंडर समुदाय लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाये हैं, लेकिन अगर हम चाहें तो इस मुश्किल घड़ी में इनकी बहुत मदद कर सकते हैं।
हम ने महिलायों की बात करी, बच्चों की बात करी लेकिन एक वर्ग अभी भी छूट गया। इस महामारी में हम सभी एक दूसरे की मदद के लिए बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रहें हैं। सरकार से लेकर NGO तक सभी ज़रूरतमंदों की मदद कर रहें है, लेकिन इस वर्ग के बारे में तो किसी ने खुल कर बात ही नहीं करी। शायद इसी लिए क्यूँकि अक़्सर हम उन्हें अनदेखा ही तो करते आये हैं।
उनके बारे में पढ़ा, तो पता चला कि वो आप और हमसे कई ज़्यादा दिक़्क़तों का सामना कर रहे हैं। मैं बात कर रही हूँ तीसरे जेंडर यानि कि ट्रांसजेंडर कम्युनिटी की। हमारे सर पर छत है, सरकार से हर मदद मिल रहीं है लेकिन इनका क्या ? इनका तो सरकार की किसी स्कीम में कहीं ज़िक्र ही नहीं है।
2011 के सेंसस के मुताबिक़ भारत में कुल 4.88 लाख ट्रांसजेंडर है और 10 सालों में और बढ़ गये होंगे। लेकिन फिर भी इतनी बड़ी कम्युनिटी के बारे में किसी ने नहीं सोचा। ट्रांसजेंडर्स ज़्यादातर सेक्स वर्क और लोकल NGOs के ऊपर ही निर्भर रहते हैं। और लॉक डाउन के चलते इनकी रोज़मर्रा की जिंदगी चलना मुश्किल हो गयी है। आज भी ये लोग ज़्यादातर कंजस्टेड एरियाज़ में ही रहते है या फिर किराये पर और कई मकान मालिकों ने इन्हें बेघर कर दिया है।
आपको बता दूं कि ये दिक्कतें यूँ ही रातों-रात नहीं आयीं। फ़रवरी में भी हैदराबाद के कई सार्वजनिक स्थानों में इनके खिलाफ़ पोस्टर्स लगाये गए जिसमें था कि इन्हीं लोगों की वजह से कोरोना फ़ैल रहा है। क्या इस बात का कोई भी आधार है? अगर हमने उसी समय इन पर ध्यान दिया होता तो शायद इतनी दिक्कतें नहीं आतीं। और बात यहीं ख़त्म नहीं होती है।
जब ये लोग हॉस्पिटल में चेक अप करवाने जाते हैं तो वहां भी इन्हें कई दिक्कतें झेलनी पड़ रही हैं। हाल ही में सोशल मीडिया पर एक वीडियो देखा था जिसमें दिखाया गया कि किस तरह से लोग इनका मज़ाक बना रहे हैं और कई लोगों ने तो ये तक करार दिया, “अच्छा हुआ, तुम लोग संक्रमित हो गये।” इन्हीं लोगों के चलते प्रशासन को भी वही पुरानी दिक़्क़त हुई कि इन लोगों को कौन से वार्ड में रखा जाएगा – मेल या फीमेल? तो क्या महामारी के समय में भी हमारा इस तरह बर्ताव करना ज़रूरी है?
नेशनल सेंटर फॉर ट्रांसजेंडर इक्वलिटी, NCTE की रिपोर्ट के मुताबिक़ ट्रांसजेंडर्स का इम्यून सिस्टम कमज़ोर होता है और इसी के चलते इन्हे वायरस से संक्रमित होने का ज्यादा ख़तरा है। और साथ ही इन में से कई लोग HIV एड्स से भी संक्रमित है, और अभी लॉक डाउन के चलते उसकी दवा भी उपलब्ध नहीं है। इनके पास भुखमरी काटने के अलावा कोई और रास्ता ही नहीं बचा।
अक्कई पद्मशाली(अवॉर्ड विनिंग इंडियन ट्रांसजेंडर, मोटिवेशनल स्पीकर और क्लासिकल सिंगर) कई सालों से ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए काम कर रही हैं। ये बैंगलुरु के मिडिल क्लास फैमिली से निकलकर आज कई लोगों की जिंदगी बचा चुकी हैं। ये देश की पहली ट्रांसजेंडर महिला है जिन्हें ड्राइविंग लाइसेंस मिला। इसके अलावा 2017 में बराक ओबामा जब भारत दौरे पर आये थे तो ये पहली ट्रांसजेंडर महिला थी जिन्हें टाउन हॉल में बुलाया गया था।
इनके शुरुवाती दिनों की बात करें तो 10th क्लास में इन्होंने पढ़ाई छोड़ दी थी और इन्हें ज़बरदस्ती सेक्स वर्क करना पड़ा और वहीं से इनके जीवन का टर्निंग पॉइंट शुरू हुआ। वहां ये कई और ट्रांसजेंडर महिलायों से मिलीं। उसके बाद इन्होंने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा। फ़िर ये संगम नामक LGBTQ राइट एक्टिविस्ट ग्रुप से जुड़ीं और उसके बाद ये जब से लगातार ट्रांसजेंडर कम्युनिटी के लिए काम कर रही है।
इसी सिलसिले में अक्कई पद्मशाली ने इंडियन वीमेन ब्लॉग को एक इंटरव्यू दिया है, जिसमें उन्होंने बताया कि लॉकडाउन के चलते उन्हें कई प्रकार की दिक़्क़तों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कुछ प्रिवेंटिव मेजर्स भी साझा करे। उन्होंने सरकार से आग्रह किया है कि इस वायरस के बारे में ज्यादा से ज्यादा जागरूकता फ़ैलाये। आज भी कई लोगों के पास टीवी और इंटरनेट की पहुंच नहीं है, इसके लिए ज्यादा से ज्यादा डोर टू डोर पब्लिसिटी हो।
साथ ही उन्होंने कहा कि उनकी कम्युनिटी के कई लोग HIV से ग्रसित हैं, तो कई डायबिटीज़ हैं और कई की लिंग बदलवाने के लिए सर्जरी हो रही है। लेकिन इस समय इनके पास कमाने का कोई ज़रिया नहीं है और इसी कारण ये इनके पास इलाज़ के लिए पैसे नहीं हैं, तो ऐसे समय में सरकार को इनके लिए इलाज की सुविधा मुफ्त करवा देनी चाहिए।
इन में से अधिकतर लोगों के पास न कोई बैंक अकाउंट है, न राशन कार्ड, और न कोई दूसरा आइडेंटिटी प्रूफ और उस वजह से सरकार की मदद भी इन तक नहीं पहुंच पा रही है।
पूरे देश में सिर्फ केरल सरकार ने इनके बारे में सोचा। वहां की सरकार ने ट्रांसजेंडर्स के लिए अस्थायी रूप से रहने का और खाने का इंतज़ाम किया है।
ये भी उतनी ही इज़्ज़त के हक़दार है जितने कि आप और हम। अगर आप किसी भी लोकल NGO से जुड़ी हैं तो उन तक इस मुद्दे को पहुंचाएं। या आप किसी भी ट्रांसजेंडर के सम्पर्क में आते हैं तो उनकी मदद करने के लिए एक कदम आगे बढ़ाएं। हो सकता है कि आपके एक कदम से कई लोग उनकी मदद के लिए आगे आ पाएं? उम्मीद है सरकार भी इनके लिए जल्द ही बड़े कदम उठाएगी।
मूल चित्र : Instagram
A strong feminist who believes in the art of weaving words. When she finds the time, she argues with patriarchal people. Her day completes with her me-time journaling and is incomplete without writing 1000 read more...
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