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ज़िंदगीं में खुशिओं का कोई मोल नहीं, और लोग इसे ढूंढ़ते हैं, मगर यह तो आपके पास खुद आपके अंदर है, बस ज़रा ग़ौर से तलाश कीजिए, सब मिलेगा ...
ज़िंदगीं में खुशिओं का कोई मोल नहीं, और लोग इसे ढूंढ़ते हैं, मगर यह तो आपके पास खुद आपके अंदर है, बस ज़रा ग़ौर से तलाश कीजिए, सब मिलेगा …
गमों के बाज़ार में, बड़ी नादान सी, प्यारी सी, छुपकर बैठी थी एक खुशी।
मेरे करीब आने की आहट सुन, मचल उठी वो खुशी, गले से लगाया तो, छलक उठी वो खुशी।
मैंने पूछा, यूँ क्यों दुबक कर बैठी है तू, क्या किसी बात पर नाराज़ है तू?
वो धीमी सी मुस्कान संग बोली, कर मुझे नज़रअंदाज़ लोग दुखों की ख़रीदारी में, यूँ खो जाते हैं गम के इस मेले में।
मैं रहती हूं आस पास ही, फिर भी मुझे ढूंढ ना पाते हैं, अब बता तू ही, इसमें क्या है मेरी गलती?
बाज़ार की भी यही है रीत, जो सस्ते में मिलती वही ज़्यादा है बिकती, मैं पसंद तो सबको आती हूँ पर मोल मेरा कोई समझ ना पाता, शायद इसीलिए किसी कोने में ही पड़ी रह जाती।
खुशी की इस बात पर आज फिर सोच पड़ा मन, फिर यह कहा, ग़मगीन नहीं मैं, थोड़ा सा हैरान हूँ मैं, तुझसे नाराज़ नहीं ज़िंदगी थोड़ा सा परेशान हूँ मैं।
चारों और शोर है, कैसी यह होड़ है, हर तरफ भागदौड़ है, इस भागती दौड़ती भीड़ में, देख खो ना जाए तू।
संभाल खुद को, कहीं आँसुओं से भीगे दामन में फिसल ना जाए तू, दर्द की गहराइयों में समा ना जाए तू।
एतबार रख यारा! अकेला नहीं है यहां तू वक़्त ने सबकी झोली में है बाटें ये सन्नाटे, कुछ है तेरा किस्सा, कुछ है मेरा हिस्सा …
ध्यान रहे बस इतना, दुनिया में बस दो ही हैं तेरे पास रास्ते, या तो हो मायूस बटोर ग़म का खजाना, या तो रह ज़िंदा दिल ढूंढ खुशी का कोई बहाना।
दिल ने दोहराया आज फिर यही तराना, ग़मगीन नहीं मैं, थोड़ा सा हैरान हूँ मैं, तुझसे नाराज़ नहीं ज़िंदगी, थोड़ा सा परेशान हूँ मैं…
मूल चित्र : Pexels
Founder of 'Soch aur Saaj' | An awarded Poet | A featured Podcaster | Author of 'Be Wild Again' and 'Alfaaz - Chand shabdon ki gahrai' Rashmi Jain is an explorer by heart who has started on a voyage read more...
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