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तुम भाग्यशाली हो यदि पिता के ये हाथ तुम्हारे साथ हैं और इन हाथों की लकीरों में छिपे किस्सों को पढ़कर सदा के लिए अपने दिल में सहेज कर रखना।
कभी मौका मिले तो किसी अधेड़ उम्र पिता के हाथों को गौर से देखिएगा। हाथों पर पड़ी लकीरें न जाने कितने ही अनगिनत, अनकहे किस्से-कहानियां अपने भीतर समेटे रहती हैं , उन्हे पढ़ने,सुनने और समझने की कोशिश करना।
वे कहानी सुनाएंगी कि पिता कैसे-कैसे कठिन दौर से परिवार को सही सलामत लौटा लाए हैं !
वे कहानी सुनाएंगीं कि तुम्हें मेले भेजकर खुद आने वाले कल की चिंता में न जाने कितने ही घंटे वीरानों में पड़े सोचते रहे हैं !
वे कहानियां सुनाएंगीं कि जब-जब मुसीबतों भरी आँधियां घर-परिवार पर मंडरा रही थीं तब वे अपने बाजुओं में शक्ति और दिल में विश्वास रखे डटे रहे कि तुम सुरक्षित रहो !
वे कहानियां सुनाएंगीं कि न जाने कितनी ही रातें फाकों में काटने को मजबूर होने पर भी तुम्हें उसकी भनक तक न लगने दी कि जब तुम्हारी थाली में 56 पकवान थे !
वे कहानियां सुनाएंगीं कि पूरी उम्र इन हाथों ने ही नाउम्मीदी में भी उम्मीदों और आस का दामन थामे रखा और परिवार की हिम्मत और हौसला बढाया !
वे कहानियां सुनाएंगी कि दिखने में कठोर हाथों वाले उस पिता का दिल बेहद ही नर्म और कोमल है !
वे कहानियां सुनाएंगीं कि परिवार को संघर्ष और कठिनाइयों से बचाने की खातिर ये हाथ सदा दीवार बन कर डटे रहे !
वे कहानियां सुनाएंगीं कि परिवार को सदा दुखों भरी बारिश से बचाने की खातिर ये हाथ सदा छाता बनकर स्वयं बेशक भीगते रहे लेकिन तुम पर दुखों की एक भी बूंद नहीं पड़ने दी !
वे कहानियां सुनाएंगी कि पिता ने इन्हीं हाथों से तुम्हारे जीवन की बगिया में फूल खिलाने की खातिर अपने खुद के सपनों के हिस्से वाली ज़मीन बंजर ही छोड़ दी !
तुम भाग्यशाली हो यदि पिता के ये हाथ तुम्हारे साथ हैं ! और इन हाथों की लकीरों में छिपे किस्सों को पढ़कर सदा के लिए अपने दिल में सहेज कर रखना कि तुम भी कुछ ऐसे ही किस्से लिख सको अपने हाथों पर !
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