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क्यों न अब साड़ी चैलेंज के बाद बबिता जयशंकर के मास्क चैलेंज को पूरा किया जाये और और दिखाया जाए अपने सुई धागे का कमाल? तो क्या तैयार हैं आप?
कहते हैं जहां कोई हल नहीं निकल पाता वहाँ एक औरत आसानी से हल निकाल लेती है और उसी बात का उदाहरण पेश करती है बबिता जयशंकर। तो मिलिए इनकी अनोखी पहल से और जानिए कैसे इन्होंने अपनी बेटी के साथ इनोवेटिव तरीके से घर से ही इको-फ्रैंडली मास्क बनाने शुरू किये।
जब आज पूरी दुनिया कोरोना जैसी महामारी से लड़ रही है तो उसी बीच हमारे साथ कुछ ऐसे लोग भी मौजूद हैं जो अपने छोटे-छोटे योगदान देकर अपनी ज़िम्मेदारी निभा रहे हैं और उन्हीं में से एक हैं बबिता जयशंकर। ये एक फैशन डिज़ाइनर होने के साथ ही इमेज कोच भी हैं। ये लम्बे समय से कैंसर पीड़ितों के साथ भी जुड़ी हुई हैं। इनका कहना है कि अंत में सबसे ज़्यादा इनर हैप्पीनेस महत्वपूर्ण है और उसके लिए सबसे ज़रूरी है सेल्फ कॉन्फिडेंस मतलब खुद पर आत्मविश्वाश। शायद आज की नारी को सबसे ज्यादा इसी कॉन्फिडेंस की ज़रुरत है।
तो चलिए अब आपको बबिता जी से लिए गए टेलिफ़ोनिक इंटरव्यू के दौरान हुई बातचीत से रूबरू करवाते हैं :
मैंने देखा कि बाहर के देशों मे छोटे से लेकर बड़े-बड़े डिज़ाइनर्स घर पर मास्क बनाने की बात कर रहे हैं। वो लोगों को बता रहे हैं कि कैसे घर पर ही मास्क बना सकते हैं। तो मुझे महसूस हुआ कि इंडिया में तो इसके बारे में कोई बात भी नहीं कर रहा है। तो एक फैशन डिज़ाइनर होने के नाते मैंने ये इनिशिएटिव लिया।
आईडिया तो यही था कि घर में कम से कम सबके पास एक मास्क तो होना ही चाहिए। और मास्क ऐसा होना चाहिए जिसमें दम ना घुटे। तो इंटरनेट की मदद से मैंने इसे बनाना शुरू किया। मैंने पहले देखा कि इसमें किस तरीका का कपड़ा इस्तेमाल किया जाता है। और क़िस्मत से वो कपड़ा घर पर मौजूद था तो बस यहीं से शुरुवात हुई।
सबसे पहली चीज़ तो इसके अंदर वोवन(जैसा कि मलमल, सूती) कपड़ा इस्तेमाल होता है जो कि आसानी घर मिल जाता है। पुरानी कॉटन बेडशीट्स इसमें इस्तेमाल करी जा सकती हैं। इसको मैंने चार टुकड़ों में काटा और उन्हें सिल दिया। फिर नाड़े की मदद से उसे हम बांध सकते हैं। इसे मैंने साइड से ख़ुला छोड़ दिया है जिससे हम इसमें और फ़िल्टर लगा सकते हैं। इस डिज़ाइन मे मैंने नाक और मुंह के पास से कर्व शेप दी है जिससे आसानी बात करी जा सके। जिन्हे थोड़ी भी सिलाई आती है वो इसे आसानी से बना सकते हैं।
जब मैंने मास्क बनाना शुरू किया तो, मैंने देखा की मेरे आस पास के बहुत से लोग मास्क की कमी से झूझ रहे हैं। इसलिए मैंने अपनी बिल्डिंग के ज़रूरतमंद लोगों को इसे बांटना शुरू किया। फिर वहीं से मुझे पता चला कि पास के ही एक हॉस्पिटल में भी मास्क की कमी आ गयी है, तो मैंने फिर वह मास्क पहुंचाए।
जैसा कि हम देख रहे हैं कि हर जगह मास्क की कमी हो गयी है। तो इसी बीच ये जो कपड़े के मास्क है, ये रीयुज़ेबल है, आप इसे गर्म पानी मे धोकर आप वापस इस्तेमाल कर सकते हैं। इससे हमारे पास कचरा भी इकठ्ठा नहीं होगा। तो ये एन्वायरनमेंट फ्रेंडली भी है।
जी हां! इंटरनेट के ज़रिये हम अनगिनत लोगों तक पहुंच सकते हैं। इसीलिए मैंने इसके कुछ टेम्पलेट्स फेसबुक और इंस्टाग्राम पर शेयर किये हैं और लोगों से अपील करी है कि जिन्हें थोड़ी भी सिलाई आती है वो इसे बनाना शुरू करें।
(हंसते हुए) बहुत से लोगों ने मुझे टैग करा और जब मैंने रिवर्ट नहीं करा तो इनमें से कुछ ने कहा कि ऐसे तो आप साड़ी को प्रमोट करती हैं, तो अभी क्यों कोई पिक्चर नहीं डाल रहें। तो उन सबको मेरा यही कहना है कि हर चीज़ का सही समय होता है। अभी मुझे ये मॉस्क बनाना ज़्यादा ज़रूरी लगा तो मैं ये कर रही हूं। और मैं पर्सनली उसकी आलोचना नहीं कर रही हूँ।
क्यूँकि अंत में मेरे लिए सबसे ज़्यादा इनर हैप्पीनेस महत्वपूर्ण है। जब मैंने हॉस्पिटल में मास्क बांटे तो वो लोग बार-बार मुझसे इसकी कीमत पूछ रहे थे। जब मैंने उन्हें समझाया कि इससे मैं अपनी जेब नहीं भरूंगी, ये बस मैंने अपनी ख़ुशी के लिए किया है, तो उन लोगों की मुस्कान देखकर ही मुझे मेरी क़ीमत मिल गयी। जब परिणाम अच्छा मिलता है, तो एक संतुष्टि मिलती है जिसकी कोई कीमत नहीं होती।
मेरी सबसे यही अपील है कि आप बस सिचुएशन समझिये और हमें ऐसा कुछ तो नहीं करना है कि बाहर निकल कर लड़ाई लड़नी है। बस सबसे ज़रूरी है घर बैठकर आप जो भी कर सकती हैं करें, हर कोई अपना अपना सहयोग करें। अगर आपको थोड़ी भी सिलाई आती है तो आप मास्क बनाना शुरू करें। आपको जिस भी तरह की परेशानी आये उसकी मदद के लिए मैं तैयार हूँ। बस आप लोग शुरू तो करें। अगर एक घर में से 10 लोगों के लिए भी मदद जाती है, तो ये बहुत बड़ा योगदान होगा। और सबसे ज़रूरी चीज़, इससे आप घर पर बोर भी नहीं होंगे और समय भी आसानी से कट जायेगा।
इंटरव्यू के दौरान बबिता जी से उनके इमेज कोच की ज़िंदगी के बारे में पूछा तो उन्होंने ये वाक्या साझा किया, “मैं एक इमेज कोच होनें के नाते कैंसर पेशेंट्स की क्लास्सेस लेने जाती थी। तो उनको मैं समझाती थी कि बाहरी ख़ूबसूरती मैटर नहीं करतीं। आप अपने बाल, त्वचा के रंग, आदि को लेकर परेशान नहीं हुआ करें, व्हाट मैटर्स इस योर कॉन्फिडेंस , लेकिन फिर मुझे महसूस हुआ कि मैं उनका दर्द तब तक महसूस नहीं कर सकती जब तक मेरे खुद के बाल लंबे हैं। तो अगले दिन मैं अपने बाल कटवा कर चली गयी। फिर उसके बाद मैंने हेयर केयर को लेकर कई कॉर्पोरेट सेशन भी किये। फिर मैं कह सकती थी यस व्हाट मैटर्स इस योर कॉन्फिडेंस । इंडिया में पूरा ध्यान सिर्फ कैंसर की ट्रीटमेंट पर होता है लेकिन उनके पास पेशेंट्स की इमोशनल केयर करने के लिए कोई नहीं होता। और मैं ये सपोर्ट उनको देना चाहती थी।”
तो हमने देखा कि बबिता जी जो ठानती हैं वो कर दिखाती हैं। अब हमारी बारी है। तो क्यों न अब साड़ी चैलेंज के बाद मास्क चैलेंज को पूरा किया जाये और देश के कंधे पर से अपने हिस्से का भार उठा लिया जाये। अगर हम घर बैठे-बैठे इस छोटे से योगदान से डॉक्टर्स की मदद कर सकते हैं, पर्यावरण की मदद कर सकते हैं, ज़रुरतमंदो की मदद कर सकते हैं और उन सबसे बढ़कर खुद की मदद कर सकते हैं, तो क्यों न इसे आज ही अपना लिया जाये और दिखाया जाए अपने सुई धागे का कमाल? तो आप में से कितने लोग इस चैलेंज को एक्सेप्ट करने के लिए तैयार हैं? बबिता जयशंकर और हमारे देश को हम सबकी ज़रुरत है।
मूल चित्र : Babita Jaishankar Album
A strong feminist who believes in the art of weaving words. When she finds the time, she argues with patriarchal people. Her day completes with her me-time journaling and is incomplete without writing 1000 read more...
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