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अगर मेरा बेटा शेफ बनना चाहता है तो इससे आपको परेशानी क्यों?

अब जब हमारा समाज इस सोच से ऊपर उठ रहा है तो हम क्यों वो पिछड़ी और दकियानूसी सोच रखें क्यूंकि कोई काम किसी किसी एक जेंडर के लिए नहीं है।

अब जब हमारा समाज इस सोच से ऊपर उठ रहा है तो हम क्यों वो पिछड़ी और दकियानूसी सोच रखें क्यूंकि कोई काम किसी किसी एक जेंडर के लिए नहीं है।

“आरव, ये क्या? तुम अब खाना बनाने का कोर्स करोगे? यही बाकि था हमारी नाक कटवाने पर तुला है ये लड़का। लोग क्या कहेंगे कि बेटी इंजीनियरिंग पढ़ना चाहती है और तुम लड़का होकर होटल मैनेजमेंट का कोर्स करना चाहते हो? लोग क्या कहेंगे? माही अगर ये बात कहती तो शोभा देता लेकिन तुम लड़के होकर ऐसा कैसे सोच सकते हो?” राजकुमार जी लगातार सवाल पर सवाल पूछे जा रहे थे। उन्हें यकीन नहीं हो रहा था कि आरव प्रोफेशन के लिए ऐसा क्षेत्र चुन सकता है।

“पापा वो… मैं… मुझे कुकिंग पसंद है”, डरते हुए आरव ने कहा।

“हे भगवान, लड़कियों के सारे लक्षण तुममें आ गए हैं। खाना बनाना लड़कियों का काम है ना कि लड़कों का। बनना ही है तो इंजीनियर, डाॅक्टर, प्रोफेसर बनने की सोचते, ये रसोईयां बनने की क्यों सूझी तुम्हें?” गुस्से और चिंता से राजकुमार जी ने कहा।

“लता … लता कहां हो? घर में रहकर तुम क्या करती हो? तुम ही ने बिगाड़ा है इसे। जब देखो तब रसोई में घुसा कर रखती हो इसे। अब देखो इसे”, राजकुमार जी ने पत्नी पर चिल्लाते हुए कहा।

“कौन सा पाप कर दिया आरव ने अगर होटल मैनेजमेंट का कोर्स करना चाहता है तो। आपको पता नहीं देश के शेफ विदेशों में अपना डंका बजा रहे हैं, संजीव कपूर, रणवीर बरार, विकास खन्ना, ऐसे अनगिनत शेफ है जिनका मुकाम बहुत बड़ा है। आपको ऐसा क्यों लगता है कि खाना बनाना सिर्फ लड़कियों का काम होता है। आज हर क्षेत्र में लड़की और लड़के एक-दूसरे की बराबरी कर रहे हैं। लड़की पढ़-लिख कर इंजीनियर, डाॅक्टर, फैशन डिजाइनर, प्रोफेसर बन सकती है तो लड़के क्यों नहीं।” लता ने अपनी बात रखी।

“लड़के… लेकिन..कैसे?” राजकुमार जी को अभी भी लता के जवाबों से संतुष्टि नहीं हो रही थी।

तभी आरव ने अखबार लेकर आया और उसमें आए समाचार को दिखाते हुए कहा, “पापा ये विकास खन्ना है और ये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी हैं। बाकि 500 देश के सीईओ शामिल थे जहां विकास खन्ना जी ने सेवेन कोर्स मील बनाया था और उनकी बनाई डिश बहुत ही पसंद की गई। प्रधानमंत्री द्वारा उन्हें शाबाशी मिली। ये कितनी बड़ी बात है पापा। विकास जी के माता-पिता के लिए गर्व की बात है”, आरव ने कहा।

अब राजकुमार जी का गुस्सा शांत होने लगा। तभी लता ने कहा, ” देखिए ये सारे फर्क हमने बनाए है अब जब हमारा समाज इस सोच से ऊपर उठ रहा है तो हम क्यों वो पिछड़ी और दकियानूसी सोच रखें। अभी हमारी दुनिया बराबरी वाली है और कोई काम किसी पार्टिकुलर जेंडर के लिए नहीं है। सारे का सभी को करने का हक और अधिकार है।”

राजकुमार जी को अपनी सोच पर शर्म आई और उन्होंने कहा, “सही कहती हो लता, ये सारे पुरानी सोच मेरे दिमाग में घर कर गई थी लेकिन आज तुमने मेरी आँखे खोल दी। आरव जो तुम करना चाहते हो, वो करो बेटा! मैं तुम्हारे फैसले में तुम्हारे साथ हूं।”

उम्मीद है आपको मेरी ये कहानी अच्छी लगी होगी। मेरी आगे की कहानियों को पढ़ने के लिए मुझे फॉलो करना ना भूले।

मूल चित्र : Canva

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Pragati Tripathi

This is Pragati B.Ed qualified and digital marketing certificate holder. A wife, A mom and homemaker. I love to write stories, I am book lover. read more...

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