कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं?  जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!

जीवन की सुनहरी धूप की यादें और एक चमकती आशा।

ज़िंदगी एक खेल की तरह है कभी कोई जल्दी हार जाता है और कभी कोई देर से। मृत्यु तो सबको आनी हैं। खुद को संभालना किसी अपने के जाने के बाद,यह मायने रखता है।

ज़िंदगी एक खेल की तरह है कभी कोई जल्दी हार जाता है और कभी कोई देर से। मृत्यु तो सबको आनी हैं। खुद को संभालना किसी अपने के जाने के बाद,यह मायने रखता है।

घर में सन्नाटा पसरा हुआ है….

रात में तूफ़ान तो आया और अपने  साथ लाया ऐसा दुख जो असहनीय था गुप्ता परिवार के लिए….

शाम को पूजा करने के बाद, गीता जी के अचानक से उनके सीने में दर्द होने लगा… दर्द इतना कि उनका पूरा शरीर हिलने लगा, मुंह तो पीला पड़ गया। दर्द असहनीय होता जा रहा था।

गीता जी की हालत को देख घर के सभी सदस्यों की हालत भी खराब होने लगीं। “बाहर काफी तेज तूफ़ान आया है”…पापा विराज ने कहा फिर दोनों बेटों ने झट से गाड़ी निकाली और ले चले हॉस्पिटल

लेकिन भगवान को कुछ और ही मंजूर था… रास्ते में ही उनकी मौत हो गई।

डॉक्टर ने चेक किया और बताया कि हार्ट अटैक के कारण ये हुआ….

लेकिन घर में कोई परेशानी नहीं है।

“आज तो छोटे बेटे राहुल की बिटिया का नामकरण था और गीता तो बहुत खुश थी क्यूंकि उसकी मन की मुराद जो पूरी हो गई थी फिर ये क्यूं हो गया” अपनी आंखो को साफ करते हुए गुप्ता जी बोले।

“अब मेरा क्या होगा इसके जाने के बाद मेरा जीवन तो बेरंग हो गया है, अब मेरे जीने का कोई मतलब नही…तुम मुझे भी अपने साथ ले जाती,  मेरी गीता !”  इतना कहते हुए गुप्ता जी फूट फूट कर रोने लगे।

“पापा यह क्या हो गया ?मां के बिना हम सब कैसे रहेंगे????” राहुल रोता हुआ बोला।

अगले दिन सुबह उन्हें घर लाया गया, सभी को बताया गया धीरे धीरे मिलने वालों की संख्या बढ़ने लगी और तीनों बेटियों भी अपने पूरे परिवार के साथ आ गई मां को अंतिम विदाई देने। पूरे घर में मातम छा गया। हर कोई गीता जी को याद कर रहा था।

विराज और राहुल मां के अंतिम संस्कार की तैयारी कर रहे है और बीती बातों को याद कर रहे है… कि कैसे मां के साथ उनका समय बीता… पांचों भाई बहिन का प्यार, माता पिता का आपसी तालमेल, घर में दो बहुओं के होने के बाद भी कभी सास बहू की लड़ाई झगड़ा न होना, इतने बड़े घर को मां ने बहुत अच्छे से संभाल रखा था…

घर के साथ मां का रिश्तेदारों के साथ भी सम्बन्ध काफी अच्छे थे। “मां ने तो हमारी गायों को भी बहुत अच्छे से रखा था पता नहीं अब हमारी पत्नियां कर भी पाएंगी या नहीं” दोनों भाई आपस में बात कर रहे थे कि “अब हमें पापा का पूरा ध्यान रखना है”।

अंतिम संस्कार करने के बाद, सभी क्रिया कर्म करने के बाद सब रिश्तेदार, पड़ोसी, जान पहचान वाले अपने घर चले गए।

दसाई की क्रिया करने के कुछ दिनों तक तो बेटियां रही फिर वो भी अपने ससुराल को चली गई।

धीरे धीरे सभी की दिनचर्या फिर से सामान्य होने लगे लेकिन गुप्ता जी को रह रह कर अपनी पत्नी की याद सताती थी…कैसे सुनहरी धूप में बैठ कर दोनो बाते किया करते थे.. लेकिन अब वो सब कहां??? ऐसा नहीं था कि उनके बेटे,बहू उनका ध्यान ना रखते हो।

सबको अपनी मां के जाने का पूरा अफसोस था लेकिन वो सब इस नियति के आगे कुछ नहीं कर सकते थे।

बेटियां भी फोन करके पिता को समझाती की पापा अब तो आपको ये स्वीकार करना होगा कि मां अब नहीं आएगी और आप अपना ध्यान रखो, ऐसे चुपचाप रहने से दुख कम नहीं होगा बल्कि और बढ़ जाएगा आपको पुरानी सभी बातों को भूलकर अपना मन किसी और जगह लगाने की कोशिश करिए। खुश रहिए, बच्चों के साथ खेलो।

गुप्ता जी को जब यह सब बाते पता थी लेकिन अपनी पत्नी के साथ निभाए 42 सालों के साथ को भूल पाना बहुत मुश्किल हो रहा था।

फिर एक दिन जब उनकी दोनों बहुएं बाज़ार गई हुई थी तब गुप्ता जी  अपनी गायों को पानी पिलाने को गए… तो देखा की उनके वहां जाते ही उनकी बहुत पुरानी गाय उन्हें देखकर बहुत खुश हुई तो उन्हें याद आया कि उनकी पत्नी का सबसे ज्यादा समय इन गायों की सेवा करना, पानी पिलाना, दूध निकालने, उनकी साफ सफाई करने में ही बीत जाता था।

गीता ने तो सब गायों के नाम भी रख रखे थे। वो जिस गाय को बुलाती थी वहीं आ जाती थी… फिर तो गुप्ता को अपने फिर से जीने  का मकसद  मिल गया।

अब तो उनका पूरा ध्यान अपने इन बेजुबान जानवरों की देखभाल करने में बीतने लगा और उनकी सेवा करते उन्हें ऐसा आभास हुआ कि उनकी पत्नी भी उनके इस कार्य से बहुत खुश है।

धीरे धीरे अब गुप्ता जी के बेरंग जीवन में रंगों का पुनरागम हो गया। उन्हें इस तरह से व्यस्त देखकर अब उनके बच्चे भी बहुत खुश थे कि पापा ने अपने आप को संभाल लिया है

किसी अपने के जाने के बाद हमारी जिंदगी थोड़ी रुक जाती है… उनको भुला पाना हमारे लिए बहुत मुश्किल होता है। लेकिन हम चाहे तो अपने जीवन को एक सही दिशा में लगाकर पुनः कोशिश कर सकते है। जीवन में फिर से सुनहरी धूप का अनुभव कर सकते हो..

मूल चित्र : Pixabay

विमेन्सवेब एक खुला मंच है, जो विविध विचारों को प्रकाशित करता है। इस लेख में प्रकट किये गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं जो ज़रुरी नहीं की इस मंच की सोच को प्रतिबिम्बित करते हो।यदि आपके संपूरक या भिन्न विचार हों  तो आप भी विमेन्स वेब के लिए लिख सकते हैं।

About the Author

90 Posts | 613,986 Views
All Categories