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कुदरत की देन : एक तोहफा ऐसा जिसका कोई मोल नहीं

प्रकृति को हम देख सकते हैं महसूस कर सकते हैं, पर उसका महत्व कम ही जानते हैं, प्रकृति ईश्वर द्वारा दी गयी सबसे प्रसंशनीय कृति है। 

प्रकृति को हम देख सकते हैं महसूस कर सकते हैं, पर उसका महत्व कम ही जानते हैं, प्रकृति ईश्वर द्वारा दी गयी सबसे प्रसंशनीय कृति है। 

कुदरत की कोख में ,

समाए कितने अनमोल रत्न हैं , 

एक बार चार दीवारी से बाहर झांक कर तो देख ,

थोड़ा करीब आकर तो देख ,

चित्त शांत और मन पावन ना हो जाए तो कह कर देख।

ये पर्वतों की ऊँचाइयाँ ,

कह रही है कुछ सच्चाईयाँ ,

कोई भी मंजिल मुश्किल नहीं ,

बस शिखर पर नज़र रख ,

एक चढान कर के तो देख।

ये सागर की गहराइयाँ ,

करती है बयां कई कहानियाँ ,

करनी पड़ती है कोशिशें कई ,

मोती सहज यूँ ही नहीं मिला करते।

ये बहती हुई नदियाँ ,

करती हैं इशारा ,

ज़िंदगी में कैसे भी मोड़ आए ,

देखो यह रवानी कम ना होने पाए।

यह अपनी धुन में चलती हवा ,

बता रही है जीने का सलीका ,

जहां जी चाहे जब जी चाहे ,

मौज में बह और खोज रोज नए जीने का तरीका।

यह पंछी की खुली उड़ान ,

दे रही है अपनी पहचान ,

जीवन भर कैद में जीने से अच्छा ,

है आज़ादी की एक साँस ही काफी।

ये वृक्ष देते हैं छाया अपार ,

पास आ सुनलो इनकी भी पुकार ,

बिन कुछ बदले में चाहे ,

सीखो इनसे दूसरों पर करना उपकार।

कुदरत हर रूप में दे रहा है गवाही ,

ज़िंदगी नहीं आसान ,

पर ज़िंदादिली से जीने में ,

मुश्किल भी तो कुछ नहीं ,

माँ प्रकृति का कर्ज़ तो ना चुका पाओगे , 

करना चाहो तो चलो थोड़ा फर्ज़ ही अदा कर आओ ,

कुदरत को अब और दोष ना दें ,

चल अपना भी कुछ कर्तव्य निभाएँ ,

स्वच्छता का पाठ सभी को पढ़ाएं।

ऐ साथी राही और मुसाफ़िर !

देखो ना क्या खूबसूरत नज़ारा है ,

कुदरत ने बड़ी शिद्दत से आज फिर पुकारा है ,

चल समा जाएं प्रकृति की बाहों में ,

खो जाएं कहीं इन हसीन वादियों में ,

आओ आज फिर एक घर बसाएं इसके पहलू में। 

आओ आज फिर एक घर बसाएं इसके पहलू में। 

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Rashmi Jain

Founder of 'Soch aur Saaj' | An awarded Poet | A featured Podcaster | Author of 'Be Wild Again' and 'Alfaaz - Chand shabdon ki gahrai' Rashmi Jain is an explorer by heart who has started on a voyage read more...

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