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दाग़ और कलंक, क्यों यह दो नाम जब भी जुड़े, महिलाओं के साथ ही जुड़े? क्यों ना आज दाग देने वालों को इन शब्दों को जोड़ा जाए...
दाग़ और कलंक, क्यों यह दो नाम जब भी जुड़े, महिलाओं के साथ ही जुड़े? क्यों ना आज दाग देने वालों को इन शब्दों को जोड़ा जाए…
दाग़! किस दाग़ की बात कर रहे हैं? वह दाग़ जो ज़्यादातर पुरुष अपनी पत्नी के चेहरे और शरीर पर देते हैं, या बलात्कार के बाद? आप महिलाओं को ही दाग़ के निर्देश किस बिना पर देते हैं? और कौन सी चुनरी? यहाँ पर समाज ही है जो चुनरी पर दाग़ के लिए कटाक्ष का जिम्मेदार है। दाग़ और कलंक यह दो नाम हैं, जब भी जुड़े महिलाओं के साथ ही जुड़े। कभी एक आद बार कलंकित पुरूष भले ही सुन लिया हो। मगर महिलाओं को तो दहलीज़ से बाहर क़दम रखते ही चरित्रहीन बना दिया जाता है। बात करते हैं चुनरी पर दाग़ की। कभी अपने स्वाभिमान के कुर्ते और पितृसत्ता की पगड़ी के दाग़ को भी धो डालिये, जिस पर ना जाने कितने शोषण का खून भरा हुआ है और ना जाने कितनी ही आवाज़ों के सिहरने की आवाज़।
मैली आपकी चुनरिया नहीं, पितृसत्ता को सहायता देने वालों के दिमाग हो गए हैं।किसी मो भी किसी ने हक़ नहीं दिया के आपके शरीर को किसी भी कीमत पर मैला बोले। एक बात गौर करने वाली है आज जब हम महिला समस्या की बात करते हैं तो मुख्यता किन समस्याओं की तस्वीर उभर कर सामने आती है? बलात्कार, घरेलू हिंसा, छेड़छाड़, भावनात्मक शोषण?
तो फिर चुनरिया को मैली करने वाला कोई और है, और डर औरत रही है। घर पर डट कर रहो और सबको यक़ीन दिलवाओ समानता में ही सबकी भलाई है। सबको ईश्वर ने ही बनाया है।
कुछ मत भूलो! सब याद रखो चाहे वह कुछ भी हो। खोने की ज़रूरत तो बिल्कुल भी नहीं है। आप वयस्क हैं तो आपको खुद के पैरों पर खड़े होने का अधिकार है और आप बच्ची हैं, तो आपका अधिकार तब भी कोई नहीं छीन सकता। आप अपने परिवार की बिटिया रानी हैं और अगर ससुराल में भी जाना है तो अपने आत्मबल और आत्मविश्वास को साथ ले जाना बिल्कुल न भूलिएगा। सबसे ज़्यादा ज़रूरत इनकी वहीं पर पड़ती है।
उपरोक्त कुछ पंक्तियां पुराने गीतों की हैं। फ़िल्म दिल ही तो है से संकलित की गई हैं। स्वर्गीय साहिर लुधियानवी जी के द्वारा लिखा गीत बहुत अच्छा बन पड़ा है। मगर मुझे शायद कहीं से इसमें भी पितृसत्ता की बू महसूस हुई।
बहरहाल! सब महिलाओं के लिए आज एक संदेश यही है कि अपने आत्मविश्वास को कभी भी कमज़ोर मत पड़ने देना। दाग आपकी चुनरी में नहीं पड़ सकता….
मूल चित्र : Canva
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