कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं? जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!
लॉक डाउन में लूडो खेलने पर हुई ऐसी हिंसा के बाद हम यह सोचने पर विवश कर हैं कि आखिर क्यों महिलाएं ऐसे हिंसक और अहंकारी पति को माफ़ कर देती हैं।
एक राष्ट्रीय समाचार पत्र की रिपोर्ट के अनुसार, गुजरात के वड़ोदरा शहर में लॉक डाउन के दौरान बोरियत दूर करने के लिए पति-पत्नी ने ऑनलाइन लूडो गेम खेलने का निर्णय लिया। जब पति महोदय पत्नी से कई बाजियां हार गए तो वह बुरी तरह से चिढ़ गया और उन दोनों के बीच बहस शुरू हो गई। इसी बीच उसने क्रोधित होकर पत्नी को पीटना शुरू कर दिया। बुरी तरह से घायल पत्नी को जब अस्पताल ले जाया गया तो मालूम पड़ा कि उसकी रीढ़ की हड्डी में गैप आ गया है।
अपना इलाज करवाने के बाद जब यह 24 वर्षीय महिला घर लौटी तो उसने एक एन जी ओ की हेल्पलाइन पर शिकायत और मदद के लिए फ़ोन किया। लेकिन हैरानी की बात ये है कि जब एन जी ओ के काउंसलर ने उस से पति के ख़िलाफ़ पुलिस में शिकायत दर्ज़ करवाने के बारे में पूछा तो उस ने इंकार कर दिया। जब पति ने अपने घृणास्पद कृत्य के लिए माफ़ी मांगी तो आख़िरकार पुलिस ने पति को ऐसा अपराध दोबारा ना करने की चेतावनी देकर छोड़ दिया। पति-पत्नी से एक अंडरटेकिंग लिखवाई गई (शायद इसलिए कि वे आपसी सौहार्द्र से साथ रहेंगे) महिला ने कुछ दिन के लिए अपने माता-पिता के घर रहने का निर्णय किया है ।
ऐसी घटनाएं हमें यह सोचने पर विवश कर देती हैं कि आखिर क्यों एक महिला इतने शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न के बावजूद भी ऐसे हिंसक और अहंकारी पति को माफ़ कर सकती हैं।
आर्थिक सुरक्षा और पारिवारिक सहयोग की कमी, तलाकशुदा या पति से अलग रह रही महिला का ‘छोड़ी हुई औरत’ के रूप में सामाजिक तिरस्कार होना और अकेले बच्चों की परवरिश करने में होने वाली मुश्किलें कुछ कारण है जिनकी वजह से एक महिला पति (और उसके परिवार जनों) के हाथों प्रताड़ित होने के बावजूद भी उस से अलग होने की हिम्मत नहीं दिखा पाती।
पुरुषों के लिए औरतों के प्रति हिंसक व्यव्हार के लिए सैकड़ों बहाने होते हैं, वे चाहे अपने व्यवसाय या नौकरी की परेशानी, शारीरिक और आर्थिक असुरक्षा, मानसिक हताशा, सेक्स के लिए पत्नी की आनाकानी, शराब और ड्रग्स की लत हो या खाना स्वादिष्ट न होना या देर से परोसे जाने जैसी मामूली बातें हों। पति और पुरुष होने का अहंकार उनकी हिंसक प्रवृत्तियों को बढ़ावा देता है।
पर क्या ये एक नयी तरह की सामान्य बात नहीं बन जाएगी – पुरुषों का पत्नियों को ऐसी छोटी छोटी बातों के लिए दण्डित करना, उनकी जानवरो की तरह बेरहमी से पिटाई करना? इस पुरुष का अपनी पत्नी को क्रूरता से पीटना, सिर्फ इसलिए कि उसने अपनी चतुरता से पति को लूडो में हरा दिया, क्या उसकी निकृष्ट मानसिक सोच का परिचायक नहीं है? क्या आदमी का अहम् इतना नाज़ुक है कि पत्नी से एक खेल में हुई हार से भी उसे चोट पहुँच जाती है? आह…एक मामूली औरत की मजाल क्या कि वो पति से आगे निकलने का सोच भी सके ! आख़िर पति तो परमेश्वर होता है तो पत्नी को हमेशा उस से दस कदम पीछे रहना चाहिए ना!
ख़ैर…ऐसा नहीं है कि ऐसी अमानवीय घटनाएं सिर्फ़ भारत में घट रही हैं। विदेशो में भी कोरोना के कारण हुए लॉक डाउन के दौरान महिलाओ के प्रति घरेलू हिंसा में इस कदर वृद्धि हुई है कि 6 अप्रैल को संयुक्त राष्ट्र प्रमुख को ऐसे अपराधों को रोकने के लिए तत्काल उपाय करने की अपील करनी पड़ी।
नेशनल कमीशन फॉर वीमेन के अनुसार भारत में भी लॉक डाउन के पहले 25 दिनों (16 अप्रैल तक) में ही घरेलू हिंसा के मामलों में पहले के मुकाबले दोगुनी वृद्धि हुई है। इन के निराकरण के लिए एन सी डब्ल्यू को, अपने पहले से चल रहे ईमेल और हेल्पलाइन नम्बरों के अलावा एक व्हाट्सएप्प नंबर 7217735372 भी तुरंत जारी करना पड़ा ताकि प्रताड़ित महिलाओं को बिना किसी विलम्ब के हर तरह की जरूरी मदद मिल सके।
यह स्थिति इतनी भयावह हो चुकी है कि 18 अप्रैल को दिल्ली हाई कोर्ट को केंद्र और दिल्ली सरकार को घरेलू हिंसा के मामलों को कंट्रोल करने के लिए हर आवश्यक कदम उठाने के लिए निर्देशित करना पड़ा है।
कोरोना वायरस के प्रकोप के कारण महिलाओं और पुरुषों दोनों को ही लॉक डाउन में घर पर रहने के लिए मजबूर हैं फिर भी घर की साफ-सफ़ाई, बर्तन-कपडे धोने से लेकर खाना बनाने, बच्चों और परिवार के अन्य सदस्यों की देखभाल का जिम्मेदारी मुख्य रूप से महिलाओं पर ही है चाहे पुरुषों की तरह उन्हें भी अपने ऑफिस का काम घर से ही करना हो, चाहे उनके भी ऑफिस की जिम्मेदारियां और व्यस्तता पुरुषों जितनी ही हो । फिर भी वे पति के द्वारा अपमानित होने और पिटने के लिए मजबूर हैं।
हमें नहीं मालूम कि लॉक डाउन के दौरान ऐसी कितनी ही अन्य महिलाएं ऐसा अमानवीय व्यव्हार चुपचाप सह रही होंगी पर ये तो सच है कि महिलाएं हमेशा से पुरुष केंद्रित और पुरुष संचालित समाज द्वारा लॉक डाउन में रखी गई हैं।
मूल चित्र : Canva
Curious about anything and everything. Proud to be born a woman. Spiritual, not religious. Blogger, author, poet, educator, counselor. read more...
Please enter your email address