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लॉकडाउन में पत्नियों की बढ़ती ड्यूटी लिस्ट में कुछ पति जोड़ रहे हैं…सेक्स!

लॉकडाउन के दौरान कुछ पति अपनी पत्नियों की एक और ड्यूटी लगा रहे हैं - सेक्स! रुकिए! क्या सेक्स के लिए आपकी पत्नी की रज़ामंदी ज़रूरी नहीं है?

लॉकडाउन के दौरान कुछ पति अपनी पत्नियों की एक और ड्यूटी लगा रहे हैं – सेक्स! रुकिए! क्या सेक्स के लिए आपकी पत्नी की रज़ामंदी ज़रूरी नहीं है?

अनुवाद : प्रगति अधिकारी 

“मेरे पति ने इस लॉकडाउन के बाद से कभी भी सेक्स करने के लिए कहते हैं, और मेरे पास उनको ना कहने की चॉइस नहीं है। मैं थक गयी हूँ और गुज़ारिश करती हूँ कि इस लॉकडाउन को ख़त्म किया जाए”, उसका ऐसा कहना था और सभी लोग हंस पड़े। अब तक, यह हमारे ‘संस्कारी’ समाज की सबसे बड़ी समस्या रही है और इसलिए लोग इसके बारे में कुछ भी सुनना नहीं चाहते थे।

तो अब हम लॉकडाउन में हैं, घरों मेंसील्ड। हम अपनी मर्जी से, कभी भी, अपने घरों से बाहर नहीं निकल सकते हैं और सुरक्षित रहने के लिए यह सबसे अच्छी बात भी है। दूसरी ओर, गृहणियों पर घर के कामों का बोझ बढ़ गया है, जिसमें उन्हें घर के पुरुषों की मुश्किल से ही कुछ मदद मिलती है। सुबह का नाश्ता, फिर दोपहर का खाना, शाम का टिफिन, रात का खाना, घर की सफाई, कपड़े धोना, एक-एक मिनट में उठने वाली हर मांग को पूरा करना और बहुत कुछ। इस सब के साथ, कुछ पति, एक और ड्यूटी जोड़ रहे हैं, ‘सेक्स’।

इस लॉकडाउन में सेक्स ड्यूटी नहीं!

आपके पति आपके बॉस नहीं है, इसलिए उनकी ज़रूरतों के मुताबिक कहीं भी, कभी भी उनके साथ सेक्स करना आपकी ड्यूटी नहीं हैं। सेक्स केवल एक शारीरिक निकटता नहीं है, यह उससे कहीं ज़्यादा है। यह एक भावना है, एक गहरी भावना है जो आपके मन, आपके दिल, आपके शरीर में बहती है – यह आपकी भी चॉइस है, इसमें आपकी इच्छा भी है।

अगर आपके पति आपसे ये भी कहें, “अभी इसी वक़्त करना है, क्यूंकि मैं ऐसा चाहता हूं” – तो यह ध्यान रखें कि इस वाक्य से ही उनकी भावना का पता चलता है, यानी यदि ये लॉकडाउन, आपकी मर्ज़ी के खिलाफ, सेक्स से भरा हुआ है, तो यह सरासर गलत है।

ऐसा भी क्या है जो पत्नी को सेक्स के लिए मजबूर करे?

मैं जानना चाहती हूँ कि क्या किसी ‘सांस्कृतिक’ कानून की किताब में कोई ऐसा कानून है जो कहता है कि जब भी एक पति सेक्स चाहे, उसकी पत्नी को इस आज्ञा का पालन करने के लिए बिस्तर पर तैयार रहना चाहिए? मैं मानती हूँ कि इस लॉकडाउन से हमें निराशा हो रही है और हम बोर भी हो रहे हैं, लेकिन हम सब इसमें एक साथ हैं। और बोरियत, हताशा या किसी भी अन्य चीज का मतलब यह नहीं है कि एक पति अपनी ‘इच्छाओं’ को और बढ़ा ले और अपनी पत्नी से जब मन चाहे बार-बार मांग करता रहे। 

पति समझें कि…

मेरा पुरुषों से अनुरोध है कि आपको यह समझने की आवश्यकता है कि आप अपनी पत्नी के लिए इन बातों पर निर्णय लेने वाले कोई नहीं हैं। यह उसकी अपनी भी पसंद है। अपनी इच्छाओं का बोझ उन पर ना लादें क्यूँकि उनकी अपनी इच्छाएं भी हैं। सेक्स करना हर कपल का निजी मसला है, लेकिन जब यह पुरुष की व्यक्तिगत पसंद बन जाता है, और महिला की नहीं, तो यह कितना उचित है? इसमें महिला को भी उतनी ही चॉइस होनी चाहिए।

आपको आज़ादी है…लेकिन

माना आप एक स्वतंत्र महिला हैं, आपको हर काम करने की आज़ादी है, लेकिन आप अपने साथी की इच्छा के अनुसार सेक्स करने के अलावा, हर निर्णय ले सकती हैं? अभी, यहां, फिर से और फिर से, हर दिन, हर रात, कभी भी, कहीं भी?

सीधे ना बोलिये…

मेरा महिलाओं से अनुरोध है कि यदि आप सेक्स नहीं करना चाहते हैं, तो सीधे ‘नहीं’ कहें। वह आपके पति हैं लेकिन आपके मालिक नहीं। आपको अपने फैसले खुद लेने चाहिए। यह आपका शरीर, आपकी पसंद, आपकी इच्छा है; सेक्स कभी भी एकदेशीय नहीं हो सकता। दोनों पार्टनर्स को यह तय करना चाहिए कि वे कब, कहां और कैसे सेक्स चाहते हैं। आप ‘नहीं’ कह सकते हैं। ऐसा कोई नियम नहीं है जो आपको यह कहने से रोकता है।

सेक्स के लिए दोनों पार्टनर की रज़ामंदी होनी चाहिए, न कि सिर्फ पति या पुरुष पार्टनर की।

मूल चित्र : Screenshot of Lipstick Under My Burkha

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